Coronavirus Effect : सूनी पड़ी चौपाल, सखियां भी साथ नहीं जा रहीं पनघट Jamshedpur News

Coronavirus Effect. कोरोना संक्रमण को लेकर पूर्वी सिंहभूम के गांवों में जीवनशैली बदल गई है। फेस-टू-फेस की जगह फेसबुक पर भेंट-मुलाकात हो रही है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 10:31 AM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 02:09 PM (IST)
Coronavirus Effect : सूनी पड़ी चौपाल, सखियां भी साथ नहीं जा रहीं पनघट Jamshedpur News
Coronavirus Effect : सूनी पड़ी चौपाल, सखियां भी साथ नहीं जा रहीं पनघट Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं। चौपाल सूनी पड़ी है। बैठकी नहीं लग रही है। माझी बाबा (ग्र्राम प्रधान) शारीरिक दूरी बनाने रखने से संबंधित वीडियो संदेश सोशल साइट पर जारी कर रहे हैं। फेस-टू-फेस मिलने की जगह ग्रामीणों की भेंट-मुलाकात फेसबुक और वाट्सएप पर हो रही है। ऐसे तो बिल्कुल नहीं थे पूर्वी सिंहभूम जिले के गांव-गलियारे। यहां तो हर दूसरे दिन पंचों की बैठकी लगती थी। सामाजिक मुद्दों पर चौपाल में चर्चा होती थी। अब सब खत्म। गांव सुनसान हैं। सखी-सहेलियां भी अब पनघट पर साथ नहीं दिख रहीं। गांव के बाहर नो एंट्री के बोर्ड वाले बांस-बल्ली हैं। सबकुछ बहुत बदल-सा गया है। 

दशमत हांसदा कहते हैं, 'अब तक हमने गांवों में ऐसी स्थिति नहीं देखी थी। मैं खुद अब गांव वालों को सोशल साइट्स पर वीडियो संदेश देकर समूह में न जुटने की सलाह दे रहा हूं, जबकि मैं खुद सामान्य स्थिति में हफ्ते में कई बार पंचों के साथ बैठ कर सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करता था। जुगसलाई क्षेत्र में पडऩेवाले सभी गांवों की सामाजिक व्यवस्था व विवादों के निपटारे के लिए लगने वाली सामाजिक पंचायती में इनकी खास भूमिका रहती है। करनडीह के पास स्थित पोंडेहासा गांव में रहते हैं। यहां कोरोना संक्रमण के दौर में सभी बैठकें बंद हैं। 

कुआं पर नहाने वालों के लिए पाली निर्धारित

गांवों में अब भी कई चीजें ऐसी हैं, जिन्हें सामूहिकता में किया जाता है। मसलन सामुदायिक कुआं पर नहाना आदि। गांवों में घर-घर पानी की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में ग्रामीण कुआं पर नहाने के लिए जाते हैं। अब भी जा रहे, लेकिन नहाने का समय अलग-अलग निर्धारित है। गांव वालों ने तय किया है कि कुआं पर नहाने वालों की भीड़ न हो, इसलिए अलग-अलग समय पर लोग नहाने के लिए जाएंगे। डोभापानी, बिञबुरु व तिरिलडीह जैसे गांवों में यह व्यवस्था है। 

ताश खेलते भी नहीं दिखते ग्रामीण 

पहले गांवों में लोग अक्सर ताश खेलते दिख जाते थे, लेकिन अब लोग कहीं नहीं दिखते। ऐसी ही स्थिति फुटबॉल मैदानों की भी है। पूर्वी सिंहभूम में शायद ही ऐसा कोई गांव हो, जहां बच्चे हर शाम मैदान में फुटबाल खेलते नहीं दिखते थे, लेकिन अब ये मैदान भी खाली हैं। 

बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी बरकरार

जमशेदपुर से सटे आदिवासी बहुल गांवों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक अब भी बरकरार है। इन गांवों में उन गांवों के उन लोगों को भी प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है, जो नौकरी करने के लिए गांव से बाहर जाते हैं। ऐसे लोगों को शहरों में अपनी व्यवस्था करने के लिए कह दिया गया है। 

शादी-ब्याह भी टालने की हिदायत

गांवों में ग्राम प्रधान पहले से तय शादी-ब्याह भी टालने की हिदायत दे रहे हैं। इसके साथ ही सारे सार्वजनिक आयोजनों पर भी रोक लगा दी गई है। लोगों को बिना जरूरी घर की दहलीज न लांघने की हिदायत दी गई है।  

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