Jharkhand Union Politics: राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ को लेकर श्रम विभाग का बड़ा फैसला, अनूप सिंह व केएन त्रिपाठी को झटका

झारखंड के ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार श्रमिक निबंधक ने सत्ताधारी कांग्रेस के बेरमो से विधायक कुमार जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ- आरसीएमएस धनबाद की कमेटी को मान्यता देने से इंकार कर दिया है। इस कमेटी में महामंत्री एके झा थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 05:24 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 07:53 PM (IST)
Jharkhand Union Politics: राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ को लेकर श्रम विभाग का बड़ा फैसला, अनूप सिंह व केएन त्रिपाठी को झटका
कांग्रेस के बेरमो से विधायक कुमार जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह।

जमशेदपुर, जासं।  झारखंड के ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार श्रमिक निबंधक ने सत्ताधारी कांग्रेस के बेरमो से विधायक कुमार जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ आरसीएमएस धनबाद की कमेटी को मान्यता देने से इंकार कर दिया है। इस कमेटी में महामंत्री एके झा थे।

यह यूनियन पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में संचालित होती थी जिसको लेकर विवाद होने के बाद मान्यता को लेकर अलग-अलग आवेदन दिए गए थे। इसी यूनियन की अपनी कमेटी का नाम रजिस्टर बी में दर्ज करने के लिए कांग्रेस के ही पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने भी आवेदन दिया था जिनके आवेदन को भी श्रम विभाग ने खारिज कर दिया है। श्रम विभाग ने यह कहते हुए इसको खारिज किया है कि चूंकि इस यूनियन की मान्यता 2017 में ही रद्द हो चुकी है इस कारण इसकी कमेटी का नाम नहीं चढ़ाया जा सकता है। इस मसले को लेकर पहले से ही ललन चौबे और ददई दुबे गुट हाईकोर्ट की शरण में है और इसमें अनूप सिंह और केएन त्रिपाठी भी पार्टी बने हैं। इस कारण न्यायालय के फैसला आने तक श्रम विभाग इंतजार करेगा जिसके बाद ही यूनियन को मान्यता मिलेगी।

क्या है पूरा मामला

राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ एकीकृत बिहार के वक्त वर्ष 1951 में बिहार सरकार के श्रम विभाग से निबंधित था जिसके अध्यक्ष बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे होते थे। इसके बाद कालांतर में यूनियन की राजनीति गरमायी और इंटक में दो फाड़ हो गया। जिसमें कांग्रेस के तत्कालीन सांसद ददई दुबे और ललन चौबे एक गुट में थे और इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी संजीवा रेड्डी और राजेंद्र सिंह अलग एक- दूसरे गुट में हो गए। इस बीच आरसीएमएस राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में चलने लगी तो ददई दुबे भी अपनी समानांतर कमेटी चलाने लगे थे। 2017 में बिहार में 980 ट्रेड यूनियनों की मान्यता को रद्द कर दिया गया था जिसमें एक आरसीएमएस यूनियन भी शामिल है। इसके बाद श्रम विभाग ने सभी यूनियनों को कहा था कि नये सिरे से झारखंड में आवेदन दें जिसके आधार पर सबका रजिस्ट्रेशन होगा। इसके बाद आरसीएमएस यूनियन की मान्यता और रजिस्टर बी में दर्ज कराने के लिए अनूप सिंह और केएन त्रिपाठी ने अपना-अपना आवेदन दे दिया। इस बीच ललन चौबे और ददई दुबे भी अलग हो गये और वे लोग अपनी यूनियन को मान्यता के लिए हाईकोर्ट चले गये। अब भी केस लंबित है। अनूप सिंह को हाल ही में राजेंद्र सिंह के निधन के बाद एक गुट ने उनको अध्यक्ष बना लिया था जिसका रजिस्टर बी में नाम दर्ज करने का आवेदन दिया गया था जिसको श्रम विभाग ने खारिज कर दिया। केएन त्रिपाठी के आवेदन को भी खारिज कर दिया गया।

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