Jharkhand: कोल्हान विश्वविद्यालय के घंटी आधारित शिक्षकों ने उठाई राजस्थान की तरह पैकेज की मांग

कोरोना से राज्य में दो घंटी आधारित शिक्षकों की मौत भी हो चुकी है लेकिन उनके आश्रितों को न तो विश्वविद्यालय से कुछ मिला और न ही राज्य सरकार से। इस कारण घंटी आधारित शिक्षकों ने कोरोना काल में राजस्थान सरकार की तरह पैकेज की मांग की है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 06:50 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 06:50 PM (IST)
Jharkhand: कोल्हान विश्वविद्यालय के घंटी आधारित शिक्षकों ने उठाई राजस्थान की तरह पैकेज की मांग
झारखंड में घंटी आधारित शिक्षकों के भरोसे विश्वविद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था टिकी हुई है।

जमशेदपुर, जासं। झारखंड में जहां घंटी आधारित शिक्षकों के भरोसे विश्वविद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था टिकी हुई है। वहीं इन शिक्षकों के भविष्य को लेकर न तो सरकार को चिंता है और विश्वविद्यालयों को। कोरोना काल में ये शिक्षक ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं, वीडियो भी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर रहे हैं। कोविड से ग्रसित भी हो रहे हैं।

कोरोना से राज्य में दो घंटी आधारित शिक्षकों की मौत भी हो चुकी है, लेकिन उनके आश्रितों को न तो विश्वविद्यालय से कुछ मिला और न ही राज्य सरकार से। इस कारण घंटी आधारित शिक्षकों ने कोरोना काल में राजस्थान सरकार की तरह पैकेज की मांग की है। राजस्थान सरकार ने वहां के घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को 50 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति और इनके बच्चों के पठन-पाठन की जिम्मेदारी उठा रही है। कोल्हान विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने इस मांग को उठाते हुए राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री तथा विश्वविद्यालय के कुलपति से इस संबंध में पहल करने को कहा है, ताकि कोरोना से मौत होने पर उनके आश्रित को अपने भविष्य को लेकर चिंतित न होना पड़े। मालूम हो कि ये घंटी आधारित शिक्षक ऑनलाइन तथा ऑफलाइन क्लास, प्रश्नपत्र सेटिंग, परीक्षा लेना, उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन आदि सभी कार्य लगातार एवं निष्ठा पूर्वक करते आ रहे हैं। विश्वविद्यालयों में नामांकन की संख्या बढ़ाने में भी उनका योगदान अहम है।

ये कहते शिक्षक

मानवताशून्य और संवेदनहीन विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक कार्य कर रहे हैं। बावजूद इसके ससमय मानदेय नहीं मिल रहा है। एक-एक साल से मानदेय बकाया है। कहीं-कहीं छह माह तक बकाया है। तकनीकों कारणों को बताकर यह विश्वविद्यालय के स्तर से रोका गया है। हर बार विश्वविद्यालय द्वारा मानदेय भुगतान के लिए नित नए नियमों का पालन करने का आदेश दिया जाता है। इन शिक्षकों की नियुक्ति पूरी तरह यूजीसी के मानकों के आधार पर होती है। बावजूद इसके इन शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार होता है। घंटी आधारित शिक्षकों को राजस्थान सरकार की तरह पैकेज मिलना चाहिए।

- डा. एके झा, प्रदेश संरक्षक, झारखंड सहायक प्रााध्यापक अनुबंध संघ।

आज हम सबों के बीच रांची विश्वविद्यालय के दो मित्र डॉ. शांता बेसरा एवं डॉ. जानकी कुमारी कोरोना से संक्रमित होकर असमय अलविदा कह गई। सबसे ज्यादा अफसोस इस बात की है कि रांच विश्वविद्यालय ने विगत एक वर्ष से तथा कोल्हान विश्वविद्यालय ने विगत छह माह से मानदेय का भुगतान तक भी नहीं किया है। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुएम राज्यपाल सह कुलाधिपति, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा विभाग तथा सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं कुलसचिव को इमेल के माध्यम ज्ञापन भेजा गया है ताकि संक्रमित होकर मृत्यु होने पर 50 लाख की सहयोग राशि पीड़ित परिवार को सरकार दें तथा प्रतिमाह नियमित रूप से मानदेय का भुगतान विश्वविद्यालय करना सुनिश्चित करें।

- डा. अंजना सिंह, सचिव, कोल्हान विश्वविद्यालय सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ।

जिस राज्य के उच्च शिक्षा में गुणवत्ता पूर्ण विकास के लिए हम अपनी सारी ताकत लगा कर सेवा दे रहे हैं। उसी राज्य की सरकार हमें ससमय मानदेय तक नहीं दे रही है। एक शिक्षक के लिए इससे ज्यादा अपमान क्या हो सकता है कि इस महामारी काल में हम अपने बच्चों का भरण पोषण तक नहीं कर सकते। संक्रमित होने पर पैसा के अभाव में इलाज तक नहीं करा सकते। ये सरकार सामाजिक सुरक्षा तक प्रदान नहीं कर सकती। विश्वविद्यालय तो सारी मानवता ही ताख पर रख दी है।

-सिमोन सोरेन, भूगोल विभाग, टाटा कॉलेज चाईबासा।

घंटी आधारित शिक्षकों के प्रति विश्वविद्यालय का रवैया असंतोषजनक है। इस करोना जैसे महामारी में काम तो हमलोगों से स्थायी शिक्षकों की तरह लिया जाता है लेकिन मानदेय समय पर नहीं मिलता है। हमारी वस्तुस्तिथि यह है कि हमें छह माह से मानदेय नहीं मिला है ऐसी स्थिति में हमलोग करोना जैसी महामारी से कैसे लड़ सकते हैं। हमारे कई साथियों का आर्थिक आभाव में समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। रांची विश्वविद्यालय के दो मित्रों की मृत्यु हो गई। ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि पीड़ित परिवार को 50लाख सहयोग राशि दें।

-डा. राजीव कुमार, बहरागोड़ा कॉलेज

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