युद्ध नहीं बेचता है बंकर, सैन्य जीवन के द्वंद्व को उजागर करती है यह फ‍िल्म

80 मिनट की फ‍िल्म बंकर सैन्य जीवन के द्वंद्व को उजागर करती है। युद्ध में फर्ज निभाते हुए सैनिक किस तरह अपने परिवार और समाज को याद करता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 25 Aug 2019 02:47 PM (IST) Updated:Sun, 25 Aug 2019 03:57 PM (IST)
युद्ध नहीं बेचता है बंकर, सैन्य जीवन के द्वंद्व को उजागर करती है यह फ‍िल्म
युद्ध नहीं बेचता है बंकर, सैन्य जीवन के द्वंद्व को उजागर करती है यह फ‍िल्म

जमशेदपुर, एम. अखलाक। सिनेमा की दुनिया में युद्ध बेचना भी एक कला है। ठीक उसी तरह जैसे कोई सरकार असल मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए युद्ध को अंजाम देती है। सन्नी देओल समेत कई अभिनेता हैं जिन्होंने समय-समय पर युद्ध बेचकर खूब शोहरत बटोरी है। सीमा पर तैनात या महीनों से बंकर में रह रहा कोई सैनिक सचमुच सन्नी देओल की तरह हीरो ही होता है ?

युद्ध कोई जीतता नहीं है। युद्ध में हमेशा सैनिक का परिवार हारता है। सैनिक चाहे इस पार का हो या उस पार का। जुगल राजा की फिल्म 'बंकर' सैन्य जीवन की इसी व्यथा की शानदार कथा है। यह फिल्म एक बंकर में शुरू होती है और उसी बंकर में खत्म होती है। 80 मिनट तक एक ही लोकेशन पर सिने प्रेमियों को बांधे रखना इस फिल्म की विशेषता भी है।

शांति का देती संदेश

जुगल राजा कहते हैं- महज 35 लाख में बनी यह फिल्म युद्ध उन्माद का नहीं, शांति का संदेश देती है। यह घरेलू फिल्म है। यह सैन्य जीवन के द्वंद्व को उजागर करती है। युद्ध में फर्ज निभाते हुए सैनिक किस तरह अपने परिवार और समाज को याद करता है। किस तरह बंकर को ही घर समझता है। किस तरह बंकर में ही अाखिरी सांस लेता है, इसे फिल्म में बखूबी दिखाया गया है।

जुगल राजा की पहली फ‍िल्म

कई विज्ञापन फिल्में और शार्ट फिल्में बना चुके जुगल राजा की यह पहली बड़ी फिल्म है। इसकी कहानी उन्होंने खुद लिखी है। खुद इसे निर्देशित भी किया है। इसके लिए उन्होंने सैनिकों के बीच रहकर उनके मनोभावों का अध्ययन किया है। जुगल कहते हैं कि महज पांच दिन में यह फिल्म बनकर तैयार हो गई। हां, इसके लिए उन्हें रोज कड़ी मेहनत जरूर करनी पड़ी। इस फिल्म में एक भी चर्चित चेहरा नहीं है, लेकिन सबका अभिनय बेजोड़ है।

यहां से ली तालीम

मुंबई में जन्मे जुगल राजा की शिक्षा-दीक्षा मुंबई विश्वविद्यालय से हुई। डिजिटल एकेडमी आफ फिल्म मेकिंग से भी इन्होंने तालीम हासिल की है। सफरनामा नाम से एक ई-बुक और आडियो बुक भी लिख चुके हैं। यह उपन्यास है। शीघ्र ही पुस्तक की शक्ल में आने वाला है। 

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