कर्नाटक हाईकोर्ट ने अमेजन व फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच रोकने की याचिकाएं की खारिज, कैट ने किया स्वागत

karnataka high court सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा कानून के अंतर्गत अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जनवरी 2020 में जांच का आदेश दिया था जिसके खिलाफ अमेजन एवं फ्लिपकार्ट फरवरी 2020 में कर्नाटक हाईकोर्ट से स्थगन आदेश ले लिया था।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 05:03 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:55 PM (IST)
कर्नाटक हाईकोर्ट ने अमेजन व फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच रोकने की याचिकाएं की खारिज, कैट ने किया स्वागत
कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा भारत में अमेज़न और फ्लिपकार्ट के ई-कॉमर्स व्यापार मॉडल के खिलाफ की जा रही जांच पर कर्नाटक हाईकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दाखिल की थी। इसके खिलाफ अमेजन व फ्लिपकार्ट ने स्टे की मांग पर याचिका दायर की थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इसका स्वागत किया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि अब सीसीआई को तुरंत अमेज़न और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू करने में की देरी नहीं करनी चाहिए।

मालूम हो कि सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा क़ानून के अंतर्गत अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जनवरी 2020 में जांच का आदेश दिया था जिसके खिलाफ अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट फरवरी 2020 में कर्नाटक हाईकोर्ट से स्थगन आदेश ले लिया था। जिसके बाद सीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दाखिल की थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था। उसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में लगभग 40 दिन से अधिक समय तक सुनवाई कर जून में अमेमन और फ्लिपकार्ट की याचिका को ख़ारिज कर दिया था। जिसके ख़िलाफ़ इन दोनों ने कर्नाटक हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील की थी जिसे कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया है। प्रवीण खंडेलवाल और सुरेश सोंथालिया ने कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह आदेश आने के बाद अब अमेज़न और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच की कार्रवाई शुरू करने में कोई बाधा नहीं है और अब सीसीआई को तुरंत इन दोनों कंपनियों को भारत में उसके बिजनेस मॉडल, जिसने देश के नियमों, कानूनों एवं नीति को चकमा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, के खिलाफ जांच शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की ज़िम्मेदारी बनती है कि जो लोग लगातार कानून और नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं उन पर नकेल कसी जाए। इसी क्रम में अमेज़न और फ्लिपकार्ट के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए। सोंथालिया ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में और विशेष रूप से ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी कंपनियां भारत को एक कमजोर देश मानकर अपनी मनमर्जी का व्यवहार करती है। इन कंपनियों के लिए भारतीय कानूनों, नीतियों और नियमों की अनिवार्य पालना का कोई महत्व नहीं है और वो अपनी इच्छा अनुसार नियमों एवं नीति का उल्लंघन कर रही है। जिससे देश के छोटे व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है।

वाणिज्य मंत्री से किया ये आग्रह

कैट ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से भी आग्रह किया कि इन विदेशी फंडिंग वाली ई-कॉमर्स कंपनियो को भारत के क़ानून, नियम एवं नीतियों की अनिवार्य पालना के लिए बाध्य कराना चाहिए और दो टूक कहना चाहिए कि या तो नियमों का पालन करें अथवा भारत छोड़कर उस देश में चले जाएं जहां पर नियमों की पालना आवश्यक नहीं है। साथ ही कैट ने गोयल से आग्रह किया है देश के कानूनों के लिए पलायन मार्गों को अवरुद्ध करने हेतु एफडीआई नीति के प्रेस नोट नंबर 2 की जगह बहुप्रतीक्षित नया प्रेस नोट तुरंत जारी किया जाए। इन कंपनियों द्वारा सरकार के नियमों और नीतियों का अक्षरश: पालन किया जाना चाहिए। जैसा कि पीयूष गोयल ने पिछले दो वर्षों से अधिक समय में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मंचों पर कई बार जोर देकर कहा भी है।

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