जेकेएम कालेज की प्राचार्या डा. कल्याणी कबीर को साहित्य लेखन में मिले कई सम्मान

साहित्यकार डा. कल्याणी कबीर की जन्मभूमि मोकामा बिहार रही कर्मभूमि झारखंड के जमशेदपुर है। डा. कल्याणी कबीर पिछले 40 वर्षों से अध्यापन के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 08:30 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 08:30 AM (IST)
जेकेएम कालेज की प्राचार्या डा. कल्याणी कबीर को साहित्य लेखन में मिले कई सम्मान
जेकेएम कालेज की प्राचार्या डा. कल्याणी कबीर को साहित्य लेखन में मिले कई सम्मान

सुजीत सरकार, गालूडीह : साहित्यकार डा. कल्याणी कबीर की जन्मभूमि मोकामा बिहार रही, कर्मभूमि झारखंड के जमशेदपुर है। डा. कल्याणी कबीर पिछले 40 वर्षों से अध्यापन के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। वर्तमान में वे जेकेएम डिग्री एवं बीएड कालेज की प्रचार्या के पद पर कार्यरत हैं। साथ ही आकाशवाणी जमशेदपुर से वर्ष 2003 से आकस्मिक उद्घोषिका के तौर पर भी जुड़ी हुई हैं। साहित्य की दुनिया उनकी दुनिया का एक अभिन्न हिस्सा है। अपने विचारों और भावनाओं को निर्भिकता के साथ कागज पर उतारने को इन्होंने महज शौक नहीं समझा, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी समझी है। डा. कबीर ने अब तक कई साहित्य लिखीं। उनमें राष्ट्रसंवाद, झारखंड प्रदीप, गृहस्वामिनी, साहित्यनामा, साहित्यवसुथा, झारखंड जनसंचार आदि पत्रिकाओं में उनके आलेख और उनकी कविताएं जगह पाती रही हैं।

लेखन के क्षेत्र में डा. कबीर को दिनकर सम्मान, जगन्नाथ राय पुरस्कार, सुरभि सम्मान, कृष्ण कला केन्द्र फॉर एजुकेशन सोसायटी, नर्मदा सम्मान आदि प्राप्त हुआ है। शहर की साहित्यिक संस्थाओं में भी इनकी सक्रिय भूमिका है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की सचिव पद की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ यह बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग, साहित्योदय जमशेदपुर से भी जुड़ी हुई हैं। इनकी पहली काव्य संग्रह गीली धूप का प्रकाशन वर्ष 2013 में हुआ है, दूसरी काव्य संग्रह मन की पगडंडी है, वर्ष 2020 में प्रकाशित हुई है। कौन हैं डा. कल्याणी कबीर : डा. कल्याणी कबीर का जन्म बिहार राज्य के मोकामा में हुई है, उनका पिता किशोर कुमार, माता मीरा राय थी, डा. कबीर साधारण परिवार के होने के बावजूद छोटी सी उम्र में पढ़ाई के प्रति रुचि रखती थी। वर्तमान में डॉ कबीर घाटशिला प्रखंड अंतर्गत गालूडीह क्षेत्र के जेकेएम महाविद्यालय में प्राचार्या के पद पर स्थापित हैं। डा. कबीर रांची विश्व विद्यालय से उत्तर छायावादी महाकाव्य परंपरा पर शोध की हैं। वर्ष 1997 से अब तक अध्यापन कार्य में संलग्न। डा. कबीर का लिखा गया दो काव्य संग्रह गीली धूप व मन की पगडंडी प्रकाशित हो चुकी है। डा. कल्याणी कबीर की लिखी कविताएं : प्रथम एकादश (कविता संग्रह), व्यंजना ( कविता संग्रह), पलाश (कविता संग्रह), बाल कहानी संग्रह (कहानी संग्रह), भावांजलि (कविता संग्रह), साहित्यनामा (आलेख), चांद अमावस का ( कविता संग्रह) आदि। कई संस्थाओं की संबद्धता से जुड़ी हैं डा. कबीर : सचिव, अखिल भारतीय साहित्य परिषद ,जमशेदपुर इकाई,अध्यक्ष, साहित्योदय, जमशेदपुर इकाई, सचिव, फाउंडेशन फॉर कृष्ण कला केन्द्र एंड एजुकेशन सोसायटी, सदस्य, हुलास साहित्यिक संस्था, सदस्य, सहयोग बहुभाषीय साहित्यिक संस्था। उनके द्वारा लिखा गया आलेख एवम कविता कई पत्रिका में प्रकाशित हुए। उनमें राष्ट्रसंवाद , झारखंड प्रदीप, झारखंड जनसंचार, उजेषा टाइम्स, गृहस्वामिनी, समय मंथन, नव प्रदेश, युवा विस्टा आदि शामिल हैं। अब तक मिले सम्मान : दिनकर सम्मान, नर्मदा सम्मान 2014(मध्य प्रदेश), जगन्नाथ राय सम्मान, राष्ट्रसंवाद सम्मान, कृष्ण कला केंद्र सम्मान, नई दिल्ली, सुरभि सम्मान, लोक समर्पण सम्मान, गुरू शिष्य सम्मान, सशक्त नारी सम्मान, नई दिल्ली, 2020 रिषिका सम्मान 2020 आदि शामिल हैं।

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