Jitiya,Jivitputrika Vrat 2021: संतान की दीर्घायु व निरोगी काया की कामना का जिउतिया व्रत 29 सितंबर को, यहां रही पूरी जानकारी

जिउतिया व्रत के लिए मंगलवार 28 सितंबर को दिन में नहाय-खाय रात्रि में शुद्घ भोजन भोर में सरगही करके बुधवार 29 सितंबर को उदया अष्टमी तिथि में जिउतिया व्रत व पूजन करना शास्त्र सम्मत रहेगा। गुरुवार 30 सितंबर को प्रात सूर्योदय के उपरांत पारण करना शास्त्रोचित होगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 12:15 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 10:37 PM (IST)
Jitiya,Jivitputrika Vrat 2021: संतान की दीर्घायु व निरोगी काया की कामना का जिउतिया व्रत 29 सितंबर को, यहां रही पूरी जानकारी
व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उदया अष्टमी तिथि को किया जाता है।

जमशेदपुर, जासं। पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के आधार पर माताओं द्वारा किया जाने वाला प्रमुख व्रत जीवत्पुत्रिका है, जिसे जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उदया अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस व्रत में माताएं संतान की लंबी आयु, आरोग्यता, बल वृद्धि, सुख-समृद्धि, यश, ख्याति एवं कष्टों से रक्षा की कामना करती हैं।

क्षेत्रीय देशाचार व मान्यताओं के आधार पर इस व्रत में माताएं सप्तमी तिथि को दिन में नहाय-खाय, रात में विधिवत पवित्र भोजन करके, अष्टमी तिथि के सूर्योदय से पूर्व भोर में ही सरगही व चिल्हो-सियारो को भोज्य पदार्थ अर्पण कर व्रत को प्रारंभ करती हैं। व्रत के दौरान पूजन व राजा जीमूत वाहन व चिल्हो-सियारो की कथा का श्रवण करती हैं।

28 सितंबर को तीन बजे के बाद लगेगी अष्टमी

ज्योतिषाचार्य पं रमा शंकर तिवारी ने बताया कि काशी से प्रकाशित पंचांगों के अनुसार इस बार मंगलवार 28 सितंबर को अपराह्न 3.05 बजे तक सप्तमी तिथि है, जबकि इसके बाद अष्टमी तिथि लग रही है। अष्टमी तिथि बुधवार 29 सितंबर को संध्या 4.45 बजे तक रहेगी, तदुपरांत नवमी तिथि लगेगी। पौराणिक कथा व शास्त्रीय मान्यताओं से सूर्योदयकालीन शुद्घ अष्टमी तिथि में व्रत करके तिथि के अंत अर्थात नवमी तिथि में पारण करना वर्णित है।

30 सितंबर को प्रात: सूर्योदय के उपरांत पारण

माधवाचार्य के अनुसार- उदये चाष्टमी किंचित् सकला नवमी भवेत्। सैवोपोष्या वरस्त्रीभि: पूजयेज्जीवत् पुति्रकाम्।। निराहारं व्रतं कुयरत् तिथ्यन्ते पारणं सदा।। इस प्रकार जिउतिया व्रत के लिए मंगलवार 28 सितंबर को दिन में नहाय-खाय, रात्रि में शुद्घ भोजन, भोर में सरगही करके बुधवार 29 सितंबर को उदया अष्टमी तिथि में जिउतिया व्रत व पूजन करना शास्त्र सम्मत रहेगा। गुरुवार 30 सितंबर को प्रात: सूर्योदय के उपरांत पारण करना शास्त्रोचित होगा। विशेष परिस्थिति में बुधवार को संध्या में सूर्यास्त के उपरांत नवमी तिथि में पारण करना भी शास्त्रसम्मत है। व्रत के दौरान व्रती को शांत चित्त व शुद्घ मन से श्रद्घापूर्वक अपने ईष्ट देव एवं भगवान का ध्यान करना चाहिए। ईश्वर की कृपा से सभी माताओं का व्रत पूर्ण हो तथा मनोवांछित फल प्राप्त हो।

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