सीताराम शास्त्री को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देगा झारखंडी समाज

Sitaram Shastri death anniversary. सीताराम शास्‍त्री ने अपना पूरा जीवन झारखंड निर्माण और झारखंडियों को स्वाबलंबी बनाने में गुजार दिया। झारखंड के कई नेतृत्वकर्ता खासकर राजनीतिक नेताओं के सहयोग और मार्गदर्शक दोनों की भूमिका में शास्त्री जी रहे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 10:09 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 10:09 AM (IST)
सीताराम शास्त्री को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देगा झारखंडी समाज
सादगी के प्रतीक सीताराम शास्त्री को अपनी श्रद्धाजंलि देंगे।

जमशेदपुर, जासं। सीताराम शास्त्री के जीवन के कुछ पहलुओं को याद करना, सहेजना, संजोना उपयोगी ही नहीं अर्थवान भी है। वे झारखंडी मूल के नहीं थे, लेकिन झारखंडी समाज, जीवन, संसाधन और झारखंड के भूत, वर्तमान व भविष्य के बारे में उनका लगाव, चेतना और संवेदना किसी भी आम और महान झारखंडी से कम नहीं थी। आज उनकी पुण्यतिथि है। झारखंडी समाज के अलावा कई संगठन व संस्था सादगी के प्रतीक सीताराम शास्त्री को अपनी श्रद्धाजंलि देंगे। 

झारखंड जनतांत्रिक महासभा के दीपक रंजीत ने बताया कि सीताराम शास्‍त्री ने अपना पूरा जीवन झारखंड निर्माण और झारखंडियों को स्वाबलंबी बनाने में गुजार दिया। झारखंड के कई नेतृत्वकर्ता खासकर राजनीतिक नेताओं के सहयोग और मार्गदर्शक दोनों की भूमिका में शास्त्री जी रहे। झारखंडी मूल के असरदार-नमकदार नेता टूटते रहे, झुकते रहे, भटकते रहे, शिखर चढ़ते रहे लेकिन सीताराम शास्त्री झारखंड की जमीन पर जूझते रहे। उनके साथी बदलते रहे, लेकिन झारखंड के बारे में उनकी भावना, उनके विचार नहीं बदले। 

क्रांतिकारी समूहों में भी रही सक्रियता

जन मुक्ति संघर्ष वाहिनी के मंथन ने बताया कि वे कहते थे कि झारखंड का प्रश्न सिर्फ क्षेत्र का प्रश्न नहीं, किसी जन्मबद्ध समुदाय या जाति का प्रश्न नहीं, मानवीय संवदेना का भी प्रश्न है। बुनियादी मानवीय मूल्य का भी प्रश्न है। मानवीय संवेदना और मूल्य ही असल चालक है। सही स्थिति यही होगी कि गैर झारखंडियों को भी झारखंडियों के लिए लड़ना होगा और झारखंडियों को भी गैर झारखंडियों के लिए लड़ना होगा। झारखंड में ही नहीं, झारखंड के बाहर भी। उनकी सक्रियता मार्क्सवादी-लेनिनवादी और संपूर्ण क्रांतिकारी समूहों के साथ भी रही।

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