Jharkhand Best Tourist Places : आइए सारंडा, यहां के अद्भुत झरने कर देंगे आपको रोमांचित

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित सारंडा वन लगभग 850 वर्ग किलोमीटर में फैला सघन वन है। खामोशी में डूबे इस जंगल में हरियाली और खूबसूरती का बेजोड़ मेल देखने को मिलता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 21 Aug 2021 02:18 PM (IST) Updated:Sun, 22 Aug 2021 09:17 AM (IST)
Jharkhand Best Tourist Places : आइए सारंडा, यहां के अद्भुत झरने कर देंगे आपको रोमांचित
किरीबुरू से 22 किलोमीटर की दूरी पर गुआ स्थित है । गुआ में भी अनेक दर्शनीय स्थल हैं

सुधीर पांडेय, चाईबासा । हमारे देश में ऐसे कई अनोखे स्थान हैं जहां कि खूबसूरती बस देखते ही बनती है । पर्यटन की दृष्टि से भी यह स्थान काफी समृद्ध है। ऐसे में अगर आप खूबसूरत झरना, पहाड़ों एवं घने जंगलों में घूमने के शौकीन हैं सारंडा के जंगल आपके लिए उपयुक्त स्थान है। प्रकृति के अद्भुत नजारे से भरपूर 700 पहाड़ियों एवं घने जंगलों का यह घर विहंगम दृश्य और रोमांच से भरा है। सारंडा का शाब्दिक अर्थ 700 पहाड़ियां हैं।

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित सारंडा वन लगभग 850 वर्ग किलोमीटर में फैला सघन वन है। खामोशी में डूबे इस जंगल में हरियाली और खूबसूरती का बेजोड़ मेल देखने को मिलता है। सारंडा का कुछ हिस्सा उड़ीसा की सीमा से भी सटा हुआ है। विहंगम 700 पहाड़ियों से घिरा यह वन पूरे एशिया में साल वृक्षों की अत्यधिक संख्या के लिए जाना जाता है इसके अलावा यहां आम, जामुन, बांस, कटहल एवं पलाश के भी अनेकों पेड़ हैं । ऊंची, छायादार, फलदार इन अनगणित पेड़ों का वर्चस्व यहां कुछ ऐसा है कि सूरज की किरने भी आने से घबराती है। वही पलाश के सूरत लाल फूल जब यहां की धरती को छूते हैं तो लगता है कि किसी ने लाल कालीन बिछा दिया हो।

ये है दूरी

सारंडा के पास में मनोहरपुर रेलवे स्टेशन जो 60 किलोमीटर की दूरी पर हावड़ा- मुंबई मुख्य लेन पर है। दूसरा रेलवे स्टेशन बड़ाजामदा है जो 22 किलोमीटर की दूरी पर है। इस स्टेशन पर हावड़ा - बड़बिल जनशताब्दी एक्सप्रेस रुकती है । कुछ लोकल ट्रेन भी टाटा से चलकर बड़बिल व गुआ जाने वाली सवारी गाड़ी का ठहराव है। टाटा से प्रत्येक आधे घंटे पर किरीबुरू के लिए बस चलती है। टाटा से किरीबुरू की दूरी 170 किलोमीटर है । राउरकेला से भी किरीबुरू के लिए बस चलती है।

हाथी चौक से शुरू होती यात्रा

सारंडा वन की रोमांचक यात्रा गुआ की हाथी चौक से शुरू हो जाती है। टेढ़े-मेढ़े व घुमावदार रास्ते से होते हुए 15 किलोमीटर का सफर काफी रोमांचकारी यात्रा का आनंद लेते किरीबुरू पहुंचते हैं । किरीबुरू में वन विभाग के द्वारा आज्ञा प्राप्त करने के उपरांत वन में प्रवेश किया जाता है। आज हम बात करते है सारंडा के नदियों एवं झरनों की जिसको पास से देखने पर सुखद अनुभूति होती है। ऐसा लगता है मानो प्रकृति की गोद में हम आ गए हैं। प्रदूषण की दुनिया से मुक्त स्वच्छ वातावरण सुखद अनुभूति का एहसास कराता है।

सारंडा के नदियों एवं झरने

टाइबो झरना

थलकोबाद से 10 किलोमीटर की दूरी पर टाइबो झरना आकर्षण का केंद्र है। यहां काफी ऊंचाई से सालों भर पानी गिरता रहता है। टायबो झरना में मछलियों की बहुतायत है, पर यहां पुरानी मान्यता के अनुसार लोग मछली नहीं मारते हैं।

झाटीसरिंग झरना

किरीबुरू से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर यह प्राकृतिक झरना ऐसे तो काफी छोटा है। प्रकृति प्रेमी इसके आसपास बैठ कर वनभोज का लुफ्त उठाते हैं । वन विभाग की ओर से इस झरने पर चेक डैम का निर्माण कराया गया है जहां स्थानीय लोगों के द्वारा नौका विहार कराया जाता है। सारंडा वन से आसपास के अन्य झरने जो उड़ीसा में आते हैं।

झींगरा फॉल

बोलानी स्थित सीआईएसएफ कॉलोनी मार्ग पर थोड़ा अंदर जंगल में स्थित है । इस झरने के बिल्कुल करीब तक चार पहिया वाहन से जा सकते हैं। यहां लगभग 80 फीट ऊंची पहाड़ी से गिरता झरना अद्भुत दृश्य बनाता है । सूर्य की रोशनी जब इस गिरती हुई पानी पर पड़ती है तो इंद्रधनुषी छटा बनाती है। गाड़ी खड़ी करने के बाद लगभग 500 मीटर जंगल के अंदर उबर खाबर रास्ते पर पैदल चलते हुए इस झरने के पास हम पहुंच जाते है इन पथरीली रास्ते पर चलना काफी रोमांच पैदा कर देता है। कल कल करती हुई पानी की आवाज एक अलग परिवेश में प्रवेश करने का एहसास दिलाती है।

पंचेरी फॉल

घने जंगल में प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने के लिए किरीबुरु बोलनी मार्ग पंचेरी गांव की मुख्य सड़क से लगभग 3 किलोमीटर अंदर जंगल में पंचेरी झरना है । यहां जाने के लिए कच्ची सड़क बनी हुई है जहां पर मोटरसाइकिल या पैदल पहुंचा जा सकता है।

पुंडुल फॉल :

बेसकैंप गांव से लगभग 5 किलोमीटर दूर घने जंगल में ऐतिहासिक पुंडूल झरना है । इसके समीप भगवान शिव का मंदिर है । झरने को देखने वह मंदिर में पूजा करने लोग जाते है । यहां तक जाने के लिए कच्ची सड़क है। किरीबुरू से 60 किलोमीटर पर मनोहरपुर स्थित है किरीबुरू से जंगल के रास्तों से मनोहरपुर की यात्रा करना काफी रोमांच पैदा करता है । इन 60 किलोमीटर में प्रकृति के अनेक दर्शनीय स्थान है।

मनोहरपुर के दर्शनीय स्थान

समीज - परलीपोश का विश्व कल्याण आश्रम

मनोहरपुर से मात्र 18 किलोमीटर की दूरी पर गोइलकेरा प्रखंड में स्थित सबसे खूबसूरत जगह है जो कारों और कोयल नदियों के संगम तट पर स्थित है। आश्रम की स्थापना शंकराचार्य की थी।

रानी डूबा झरना - मनोहरपुर से 26 किलोमीटर दूर चिड़िया के पास स्थित है।

किरीबुरू से 22 किलोमीटर की दूरी पर गुआ स्थित है । गुआ में भी अनेक दर्शनीय स्थल हैं

1. बाहुबली झरना : गुआ से 3 किलोमीटर नुईया में स्थित यह झरना में लगभग 40 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है । झरने में कुर्सीनुमा आकार में पानी गिरता है।

2. कारो नदी के किनारे मंदिर व प्राकृतिक दृश्य : कलकल बहती कारों नदी के‌ किनारे प्रकृति प्रेमी इसके आसपास बैठ कर वनभोज का लुफ्त उठाते हैं । इसके आसपास के स्वच्छ वातावरण लोगों को तनाव मुक्त करती हैं। स्थानीय युवाओं को वन विभाग के द्वारा पर्यटन मित्र के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। इससे युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो रहे हैं।

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