झारखंड के मंत्री ने की निजी स्कूलों की तारीफ, शिक्षकों ने किया मंत्री का विरोध, कहा- किसके आदेश पर चल रहे सरकारी स्कूल
झारखंड के मंत्री रामेश्वर उरांव के बयान पर शिक्षक समुदाय में रोष व्याप्त है। सरकार का एक भी कार्य बिना सरकारी शिक्षकों के संभव नहीं है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को पठन-पाठन कम करने के लिए सरकार ही बाध्य करती है।
जमशेदपुर, जासं। झारखंड के मंत्री रामेश्वर उरांव के बयान पर सरकारी स्कूल के शिक्षक बिफर गए है। मंत्री ने कहा था कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने का माहौल नहीं तथा निजी स्कूलों का गुणगान किया था। मंत्री के इस बयान की निंदा शिक्षक संघ ने की है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के वरीय शिक्षक प्रतिनिधि सुनील कुमार ने इसकी कड़ी निंदा एवं भर्त्सना की है। उन्होंने कहा है कि सरकार में मंत्री रहते हुए सरकारी विद्यालयों की अपेक्षा निजी विद्यालयों को श्रेष्ठ बताने तथा उसका गुणगान करने संबंधी बयान देने के पहले मंत्री को सोचना चाहिए कि सरकारी विद्यालयों में अधिकांश अभिवंचित वर्ग, सुविधा विहीन परिवार के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।
इसके साथ ही मंत्री को यह भी बताना चाहिए कि शिक्षकों को पीडीएस दुकानों में ड्यूटी का आदेश किसने दिया ? राशन कार्ड सत्यापन में किसके आदेश से सरकारी शिक्षकों को लगाया गया? शिक्षकों को घर-घर चावल बांटने का आदेश किसने दिया? किसके आदेश पर सरकारी प्राथमिक शिक्षा में एनजीओ का हस्तक्षेप एवं उनके दिशा निर्देश पर विभिन्न शिक्षण कार्यक्रमों को लागू किया गया? लंबे समय से बीएलओ कार्य में सरकारी शिक्षकों को किसके आदेश पर लगाया गया? इसके साथ ही शिक्षकों से और भी अन्य कई तरह के गैर शैक्षणिक कार्य क्यों करवाए जाते हैं ? क्या निजी विद्यालयों के शिक्षकों से उक्त कार्य करवाया जाता है ? निजी विद्यालयों के छात्र और उनके अभिभावकों तथा सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र एवं उनके अभिभावकों के बीच गहरे सामाजिक फासले की क्या उन्हें जानकारी नहीं है ? निजी विद्यालयों के अधिकांश छात्रों के पास ऑनलाइन क्लास करने हेतु मोबाइल उपलब्ध है, इसमें अभिभावकों का सहयोग भी प्राप्त है परंतु क्या सरकारी विद्यालय के अधिकांश छात्रों को ऑनलाइन क्लास करने हेतु मोबाइल उपलब्ध है ? ऐसी परिस्थिति में सरकारी विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे संभव है, इस पर मंत्री जी को गंभीर विचार करने की जरूरत है।
पिछले लंबे समय से राज्य के सरकारी शिक्षकों तथा शिक्षक संघों की लगातार मांग रही है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से पूर्णतः मुक्त किया जाए। इस संबंध में अब तक सरकार के द्वारा ठोस निर्णय क्यों नहीं लिया गया ? मंत्री से अनुरोध है कि केवल शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त कर दें और सरकारी शिक्षकों का पूरा समय केवल शिक्षण कार्य के लिए हो, यह सुनिश्चित करा दें तो गुणवत्ता शिक्षा के मामले में निजी विद्यालय सरकारी विद्यालयों के सामने कभी टिक नहीं पाएंगे। सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की योग्यता और प्रतिभा में कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो केवल सरकार के दृढ़ इच्छाशक्ति की।