Bharat Bandh: कैट के 26 फरवरी के भारत व्यापार बंद को झारखंड मजदूर यूनियन ने दिया समर्थन

Bharat Bandh. कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने 26 फरवरी को देशव्यापी भारत व्यापार बंद की घोषणा की है। झारखंड मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष सह झारखंड प्रदेश कांग्रेस व्यापार व उद्योग सेल के चेयरमैन कमल किशोर अग्रवाल ने भी इस बंद को अपना समर्थन दिया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 04:53 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 04:53 PM (IST)
Bharat Bandh: कैट के 26 फरवरी के भारत व्यापार बंद को झारखंड मजदूर यूनियन ने दिया समर्थन
झारखंड मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष कमल किशोर अग्रवाल ।

जमशेदपुर, जासं। कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने 26 फरवरी को देशव्यापी भारत व्यापार बंद की घोषणा की है। झारखंड मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष सह झारखंड प्रदेश कांग्रेस व्यापार व उद्योग सेल के चेयरमैन कमल किशोर अग्रवाल ने भी इस बंद को अपना समर्थन दिया है।

बकौल कमल किशोर अग्रवाल, केंद्र सरकार ने पहले चार श्रम संहिता बनाकर मजदूरों के आजीविका को असुरक्षित कर दिया। फिर किसानों के लिए नए कानून बनाकर उनको बर्बाद करने की योजना बनाई और अब जीएसटी में नए कठोर कराधान प्रणाली बना कर केंद्र सरकार पूरी तरह से व्यापारियों के अस्तित्व को खत्म करने पर तूल गई है। इनका कहना लगभग तीन महीने से भी अधिक समय से नये कृषि कानूनों को लेकर देश के किसान आंदोलनरत हैं और इसमें कई किसानों की मौत भी हो चुकी है। चार नये श्रम संहिता और पीएफ की जमा राशि पर उपार्जित 2.5 लाख से अधिक ब्याज की रकम को टैक्सेबल करने के मुद्दे को लेकर श्रमिक वर्ग भी आंदोलनरत हैं और अब जीएसटी में कठोर कराधान प्रणाली बनाने से व्यापारी वर्ग भी परेशान हो गया है। ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार को इन वर्गों की कोई चिंता नहीं है। वह केवल पूंजीपतियों के जरिए अपना खजाना भरना चाहती है।

अधिकारियों को मनमाना और भयादोहन का असीमित अधिकार प्राप्त हो जाएगा

कमल किशोर का कहना है कि आयकर धारा 281बी के तहत प्रावधान किया जा रहा है कि करवंचना का आरोप लगते ही उनके स्वामी, डायरेक्टर, पार्टनर, कंपनी सेक्रेट्री, कर्मचारी, मैनेजर, सीए, एडवोकेट और इससे जुड़े ऑडिटर सलाहकार की संपत्ति और बैंक खाते अटैचमेंट किये जा सकते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह काला कानून नहीं है। क्या यह नादिरशाही फरमान नहीं है। यह कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है। क्या यह कदम व्यापार को आसान करेगा। क्या इससे अधिकारियों को मनमाना और भयादोहन का असीमित अधिकार प्राप्त नहीं हो जाएगा। हमारे संविधान की विशेषता है कि 100 दोषियों को छोड़ा जा सकता है लेकिन एक निर्दोष को सजा नहीं दी जा सकती है। लेकिन नए प्रावधान के अनुसार केवल सूचना मात्र से किसी भी व्यवसायी की पुरानी फाइल को पुन: समीक्षा की जा सकती है। कर वंचना का आरोप साबित होते ही उसके सभी बैंक खाते जब्त हो जाएगा। व्यवसायी कानूनी दांव-पेंच में फंस कर रह जाएगा। उन्होंने सवाल किया कि आखिर यह कैसी विडंबना है  कि जीएसटी की धारा 75 (12) के तहत यदि किसी व्यवसायी ने गलती से अधिक टैक्स की गणना कर दी है तो उसमें सुधार की गुजाइंश नहीं रहेगी। उन्हें अपनी भूल का सुधार करने का मौका नहीं दिया जाएगा। यदि किसी प्रिंसिपल सप्लायर ने अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया तो उसका इनपुट क्रेडिट विक्रेता को नहीं मिलेगा और उसे भी दंडित किया जाएगा। कमल किशोर अग्रवाल का कहना है कि इस तरह के कानून लाकर सरकार का एकमात्र उद्देश्य व्यवसायियों को परेशान करना और उन्हें कानूनी दांव-पेंच में उलझाए रखना है जिसका फायदा ई-कॉमर्स कंपनियों को होगा और परंपरागत व्यवसाय देश में समाप्त हो जाएगा।

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