Jharkhand Politics: झारखंड समन्वय समिति पुनर्गठित, पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो बनाए गए प्रमुख अध्यक्ष

आजसू के संस्थापक व पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने झारखंड समन्वय समिति का पुनर्गठन किया है जिसमें पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो प्रमुख अध्यक्ष बनाए गए हैं। इनके अलावा पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडली में अध्यक्ष मनोनीत किया गया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 05:14 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 05:14 PM (IST)
Jharkhand Politics: झारखंड समन्वय समिति पुनर्गठित, पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो बनाए गए प्रमुख अध्यक्ष
पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो प्रमुख अध्यक्ष बनाए गए हैं।

जमशेदपुर, जासं। आजसू के संस्थापक व पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने झारखंड समन्वय समिति का पुनर्गठन किया है, जिसमें पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो प्रमुख अध्यक्ष बनाए गए हैं। इनके अलावा पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडली में देवेंद्र नाथ चाम्पिया, देव कुमार धान, डॉ वासवी किड़ो व मोहम्मद नौशाद को अध्यक्ष मनोनीत किया गया है।

ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के संस्थापक व पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने 11 जून को कहा है कि आज झारखंड समन्वय समिति यानी कोऑर्डिनेशन कमिटी (जेसीसी) का पुनर्गठन करते हुए पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडली का नाम सर्वसम्मति से मनोनीत कर घोषित किया गया। यह सर्वविदित है कि 8 अगस्त 1987 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष निर्मल महतो की हत्या के उपरांत झारखंड में जनाक्रोश के बादल मंडरा रहे थे। उस परिस्थिति में बिखरे हुए राजनीतिक एवं जन संगठनों को एकजुट होने की बाध्यता हो गई। वक्त की नजाकत को देखते हुए डॉ रामदयाल मुंडा और डॉक्टर बीपी केसरी के नेतृत्व में रामगढ़ में 11 सितंबर 1987 को एक सर्वदलीय सम्मेलन आयोजित की गई, जहां सर्वसम्मति से बिखरे हुए झारखंडी शक्तियों को गोलबंद करने के उद्देश्य से झारखंड समन्वय समिति (झारखंड कोआर्डिनेशन कमेटी या जेपीसी) का गठन किया गया था। उसके पश्चात झारखंड आंदोलन में तेजी आई और देखते ही देखते झारखंड समन्वय समिति में करीब 53 संगठनों की एक महाशक्तिशाली एकजुटता बन गई।

झारखंड क्यों बना, किसके लिए बना

झारखंडी एकता आंदोलन से 15 नवंबर 2000 को भारत में 28वें झारखंड राज्य की स्थापना हुई। यह दुखद आश्चर्य कहा जाए या विडंबना 20 वर्षों यानी दो दशक के बाद भी झारखंड की तस्वीर और झारखंडी ओं की तकदीर नहीं बदली। झारखंड राज क्यों बना और किसके लिए बना, यह आज तक अनुउत्तरित है। झारखंडी कौन है। इसकी परिभाषित आज तक नहीं हो सकी। झारखंड के मूलवासी कौन हैं। भारत के संविधान के अनुच्छेद -16 (3) के तहत स्थानीय नीति नहीं बन पाई। संविधान के अनुच्छेद -343, 346, एवं 347 के तहत झारखंडी भाषाओं को राजभाषा का दर्जा नहीं दिया गया। अनुच्छेद- 350 (क) के तहत झारखंडियों को मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा से वंचित किया गया, जबकि भारत देश के प्राय: सभी राज्यों में यह नियम -नीति लागू है। पेसा कानून-1996, वनाधिकार कानून-2006 झारखंड में लागू नहीं है। और तो और, झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान और पेंशन के लिए तत्कालीन राज्य सरकार ने 2012 में झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितकरण आयोग का गठन किया था, उसका अस्तित्व भी वर्तमान सरकार ने समाप्त कर दिया। अभी भी करीब 50,000 आंदोलनकारियों के आवेदन लंबित हैं। मुख्य विषय परिकल्पित झारखंड राज का सपना तो अधूरा रह गया। इन ज्वलंत विषयों को लेकर फिर से उलगुलान के लिए झारखंड समन्वय समिति का पुनर्गठन किया गया है, जो निम्नलिखित है:-

झारखंड राज निर्माताओं में से एक तथा झारखंड की समर गाथा के लेखक इतिहासकार पूर्व सांसद श्री शैलेंद्र महतो को प्रमुख अध्यक्ष जबकि क्रमश :अविभाजित बिहार विधानसभा के भूतपूर्व स्पीकर श्री देवेंद्र नाथ चंपिया, पूर्व मंत्री श्री देव कुमार धान ,डॉक्टर वासवी किड़ो (पूर्व सदस्य झारखंड राज्य महिला आयोग) एवं लोक सभा समिति के अध्यक्ष मोहम्मद नौशाद को अध्यक्ष मंडली के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया है।

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