Jharkhand Lockdown Effect: कोरोना एवं लाॅकडाउन से झारखंड के व्यवसासियों का बुरा हाल, कैट ने झारखंड सरकार से की ये मांग
कोविड 19 के कारण झारखंड का घरेलू व्यापार अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। निकट भविष्य में भी तत्काल राहत के संकेत नहीं देख रहे। झारखंड के व्यापारियों की हालत खस्ता है। इसलिए झारखंड सरकार आर्थिक पैकेज की घोषणा करे।
जमशेदपुर, जासं। कोविड 19 एवं इससे निबटने के लिए लाॅकडाउन के कारण झारखंड का घरेलू व्यापार अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। निकट भविष्य में भी तत्काल राहत के संकेत नहीं देख रहे। जिसके कारण झारखंड के व्यापारियों को घुटने पर ला खड़ा किया है । इसलिए झारखंड सरकार व्यवसासियों को बचाने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करे।
यह कहना है कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया का। बकौल संथोलिया, झारखंड के व्यवसासियों ने विगत तीन-चार वर्षो में जीएसटी, नोटबंदी के बाद कोविड 19 का पहला और अब दूसरा वेव झेल रहे हैं। अब स्थिति ये है कि छोटे कारोबारियों की दुकानें बंद होने के कगार पर है। लगन और त्योहारी सीजन के कारण जो माल खरीदे वे अब गोदाम में पड़े सड़ रहे हैं। वे इसका बकाया भुगतान भी अब तक नहीं कर पाए हैं। इसके अलावा कर्मचारियों का वेतन, बच्चों के स्कूल की फीस और घर का खर्च भी इनके ऊपर में ही है। व्यापारियों की जमा पूंजी भी पूरी खत्म होने से खुद को असहाय महसूस करते हुए व्यापारी तनावग्रस्त हैं। इसलिए हमारी सरकार यानी राज्य सरकार छोटे व्यवसायियों के लिए कोई वित्तीय सहायता की घोषणा करे। व्यापारियों को इस बात का बेहद दुःख है कि अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों यहां तक की प्रवासी श्रमिकों को वित्तीय पैकेज के लिए लायक माना गया लेकिन राज्य सरकार व्यापारियों को, जिसे अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा कहते हैं उन्हें सहायता देना जरूरी नहीं समझा।
सरकार से ये रही उम्मीद
सोंथालिया ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा है कि सरकार की कई पहल के बाद राज्य में कोरोना का प्रभाव कम हो रहा है। सरकार लॉकडाउन बढ़ाती है तो कोई दिक़्क़त नहीं है मगर सभी व्यावसायिक गतिविधियों में छूट मिले। ऐसा नहीं होने पर बेरोजगारी बढ़ेगी और इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर ही झटका लगेगा। उन्होंने आगे कहा कि व्यापारियों पर राज्य सरकार के करों के भुगतान, औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों, ईएमआई, जल और बिजली के बिल, संपत्ति कर, ब्याज के भुगतान, मजदूरी के भुगतान से लिए गए ऋण की मासिक किस्तों के भुगतान को पूरा करने का बहुत बड़ा वित्तीय बोझ है। इसलिए राज्य सरकार इन विषयों पर तत्काल संज्ञान ले और व्यापारियों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करें ताकि सभी फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सके।