Jharkhand Budget 2021: बजट में हो यह सुधार तो बदल जाएगी गांव की तस्वीर, इलाज को नहीं आना होगा शहर

Jharkhand Budget 2021.गरीबों को बेहतर चिकित्सा कैसे मिले इसपर विशेष फोकस करने की जरूरत है। रात में जब किसी व्यक्ति की तबीयत खराब होती है तो उसे 80 से 100 किलोमीटर दूर जमशेदपुर शहर आना पड़ता है। कई बार मरीजों की मौत भी हो जाती है जो दुखद है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 05:29 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 07:52 PM (IST)
Jharkhand Budget 2021: बजट में हो यह सुधार तो बदल जाएगी गांव की तस्वीर, इलाज को नहीं आना होगा शहर
कोरोना काल में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति की पोल खुल गई है।

जमशेदपुर, जासं। राज्य में तीन मार्च को बजट पेश होने जा रहा है। ऐसे में विभिन्न वर्ग के लोगों को अपेक्षाएं बढ़ गई है। चिकित्सकों में भी उत्सुकता देखी जा रही है। चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना काल में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति की पोल खुल गई है। ऐसे में उसे चिन्हित कर दूर करने की जरूरत है। गरीबों को बेहतर चिकित्सा कैसे मिले इसपर विशेष फोकस करने की जरूरत है। रात में जब किसी व्यक्ति की तबीयत खराब होती है तो उसे 80 से 100 किलोमीटर दूर जमशेदपुर शहर आना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में कई बार मरीजों की मौत भी हो जाती है, जो दुखद है। सिर्फ भवन बना देने से नहीं होगा बल्कि वह कैसे संचालित होगा उसपर भी उतना ही ध्यान देने की जरूरत है।

क्या कहते हैं चिकित्सक

बहुत दुख होता है जब किसी रोगी की मौत इलाज के अभाव में हो जाती है। जबकि उसी गांव में सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र)-पीएचसी (प्राथिमक स्वास्थ्य केंद्र) बना रहता है लेकिन वहां कोई चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं होती। कारण बनता है चिकित्सकों की घोर कमी। हर प्रखंड में सिर्फ भवन बनाकर छोड़ दिया गया है लेकिन वह संचालित कैसे होगा उसपर कोई ध्यान नहीं देता। ऐसे में जरूरी है सीएचसी-पीएचसी को मानक के अनुरूप तैयार करना। ताकि मरीजों को शहर आने की जरूरत नहीं पड़े।

- डॉ. आरएल अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष, आइएमए।

जिस उद्देश्य के साथ गांवों में सीएचसी-पीएचसी का निर्माण हुआ उसे आजतक धरातल पर नहीं उतारा जा सका हैं। अगर, होता तो ग्रामीणों को इलाज के लिए जमशेदपुर आने की जरूरत नहीं पड़ती। स्वास्थ्य को लेकर पुख्ता बजट तैयार करने की जरूरत है। योजनाएं बनाने से अधिक उसे धरातल पर उतारने के लिए मेहनत होनी चाहिए। अभी देखा जाता है कि योजनाएं सिर्फ फाइलों में ही दब कर रह जाता है और नतीजा होता कि इसका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पाता है।

- डॉ. एसी अखौरी, पूर्व प्रिंसिपल, एमजीएम मेडिकल कॉलेज।

कोरोना से निपटने को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बजट में कोरोना वैक्सीन को सबसे लिए मुफ्त कर देना चाहिए। ताकि गरीब, अमीर सभी आसानी से वैक्सीन ले सकें। कई राज्यों ने मुफ्त कर दिया है। झारखंड में भी ऐसा करना चाहिए। इसके साथ ही ग्रामीण हेल्थ सेक्टर पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज की सुविधा नहीं होने की वजह से वहां के लोग जमशेदपुर आते है। ऐसे सीएचसी-पीएचसी को मजबूत करने की जरूरत है।

- डॉ. राजेश मोहंती, पैथोलॉजिस्ट

झारखंड में चिकित्सकों की भारी कमी है। अभी हाल ही में तीन मेडिकल कॉलेज खोला गया लेकिन वहां चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं होने की वजह से मान्यता खत्म हो गई। इस तरह से दूसरे मेडिकल कॉलेज में भी चिकित्सकों की भारी कमी है। उसके मान्यता पर भी तलवारें लटकी हुई है। ऐसे में चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने पर विशेष जोर देने की जरूरत है। साथ ही गरीबों को सस्ते दरों पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना प्राथमिका में शामिल होनी चाहिए।

- डॉ. निर्मल कुमार, फिजिशियन।

स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है। इसका अहसास सरकार को भी होने लगा है। अभी हाल ही में केंद्रीय बजट में देखा गया कि स्वास्थ्य के बजट को बढ़ोतरी की गई। इसे राज्य के बजट में भी बढ़ाने की जरूरत है। ताकि लोगों को बेहतर से बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराया जा सकें। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित सीएचसी-पीएचसी को दुरुस्त करने की जरूरत है। सरकार की तरफ से योजनाएं को बनाई जाती है लेकिन वह धरातल पर उतर नहीं पाती।

- डॉ. एके वीरमानी, मधुमेह रोग विशेषज्ञ

स्वास्थ्य का बजट बढ़ाना अति-आवश्यक है। कई राज्यों ने बढ़ाया भी है। चिकित्सा हर किसी से जुड़ा हुआ है। अधिकांश लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाती है। ऐसे में सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है। मेडिकल कॉलेज व सीएचसी-पीएचसी में बेहतर सुविधाएं बहाल करने के लिए निगरानी टीम होनी चाहिए। ताकि बेहतर ढंग से उसका संचालन हो सकें। सीएचसी-पीएचसी की स्थिति सुधरेगी तो गरीब मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध हो पाएगी।

- डॉ. केपी दूबे, ईएनटी रोग विशेषज्ञ।

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