यूं ही नहीं कहलाते धरती के भगवान : नौ महीने से बिना थके कोरोना मरीजों की बचा रहे जान
Corona Warriors. कोरोना का खौफ इतना अधिक था कि वार्ड में घुसने से डॉक्टर नर्स व स्वास्थ्य कर्मी डरते थे। तब डॉ. बलराम झा ने मोर्चा संभाला। अपनी जिम्मेवारी का अहसास कराया। जूनियर-सीनियर चिकित्सकों में हौसला बढ़ाया। नतीजतन कोरोना से सबसे कम मरीजों की मौत हुई है।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। उम्र 53 से अधिक। नाम डॉ. बलराम झा। जमशेदपुर शहर में जब कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने लगी तो महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाया गया। शुरुआती दौर में कोरोना का खौफ इतना अधिक था कि इस वार्ड में घुसने से डॉक्टर, नर्स व स्वास्थ्य कर्मी डरते थे।
तब डॉ. बलराम झा ने मोर्चा संभाला। अपनी जिम्मेवारी का अहसास कराया। जूनियर-सीनियर चिकित्सकों में हौसला बढ़ाया। अब परिणाम यह है कि यहां कोरोना से सबसे कम मरीजों की मौत हुई है। सबसे अधिक स्वस्थ होकर खुशी-खुशी घर लौटे। यहां की सुविधा इतनी बेहतर थी कि मरीज जब स्वस्थ होकर घर लौटता तो चिकित्सकों को धन्यवाद देना नहीं भूलते थे। कई मरीज जब यहां से ठीक होकर बाहर निकले तो मिलने वाली सुविधाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर किया।
कम संसाधन में जारी रही सेवा
डॉ. बलराम झा ने कहा कि कोरोना काल के दौरान कम संसाधन के बावजूद हमारी टीम 24 घंटे सेवा में जुटी रही। अधीक्षक डॉ. संजय कुमार से लेकर उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी के साथ-साथ बाकी डॉक्टर, नर्स, स्वीपर, टेक्नीशियन सभी एक पैरों पर खड़ा होकर मरीजों की सेवा की। रात के दो सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार मरीजों का इलाज किया गया।
लगातार कर रहे काम, अबतक एकबार भी नहीं हुए संक्रमित
डॉ. बलराम झा कोविड वार्ड में लगातार नौ माह से ड्यूटी कर रहे हैं। इस दौरान कई डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन कोरोना संक्रमित हुए लेकिन डॉ. बलराम झा एक बार भी संक्रमित नहीं हुए हैं। जबकि उनका समय सबसे अधिक कोरोना मरीजों के बीच में गुजरा है। अब डॉ. झा कोरोना का टीका भी ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि टीका लिए जरूर हैं लेकिन सावधानी हमेशा जरूरी है।
कोरोना मरीजों में शुगर के मामले अधिक
डॉ. बलराम झा ने बताया कि कोरोना मरीजों में सबसे अधिक शुगर के मामले सामने आए। इस दौरान मरीजों का शुगर लेवल बढ़कर 500 से अधिक हो जा रहा था, जो चिंता का विषय था। लेकिन, उस दौरान इंसुलिन देकर अधिकांश मरीजों का शुगर लेवल कम किया गया और उनकी जान बच सकीं। अभी भी डॉ. बलराम झा कोविड वार्ड में ड्यूटी कर मरीजों की जान बचाने में जुटे हुए हैं।