ईचागढ़ : आधारभूत समस्याओं से जूझ रही जनता मांग रही हिसाब

इस बार विधानसभा चुनाव में ईचागढ़ के मतदाता स्थानीय जनमुद्दों पर चुनावी संघर्ष करेंगे। सुदूर गावों में अब भी बुनियादी सुविधाएं लोगों को मयस्सर नहीं हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Nov 2019 05:04 AM (IST) Updated:Sat, 23 Nov 2019 06:15 AM (IST)
ईचागढ़ : आधारभूत समस्याओं से जूझ रही जनता मांग रही हिसाब
ईचागढ़ : आधारभूत समस्याओं से जूझ रही जनता मांग रही हिसाब

दिलीप कुमार, जमशेदपुर : इस बार विधानसभा चुनाव में ईचागढ़ के मतदाता स्थानीय जनमुद्दों पर चुनावी संघर्ष करेंगे। सुदूर गावों में अब भी बुनियादी सुविधाएं लोगों को मयस्सर नहीं हैं। बदहाल सरकारी शिक्षा, बेरोजगारी के कारण पलायन, बिना चिकित्सक वाले स्वास्थ्य केंद्र और एक दशक पूर्व बने अस्पताल के उद्घाटन के इंतजार में लोगों की आंखे पथरा गई हैं। प्रदूषण से त्रस्त लोग, चुआ का गंदा पानी पीती जनता, बंजारों की तरह जिंदगी गुजारते विस्थापित, बदहाल सड़कें, दो-दो डैम के बावजूद सिंचाई के लिए पानी को तरसते खेत, व्यवस्था का मुंह चिढ़ा रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि यहां विकास कार्य नहीं हुए। यहां तो चांडिल डैम के डूब क्षेत्र में भी विकास के कार्य हुए, लेकिन कुछ ही महीनों में विकास कार्यो की गुणवत्ता लोगों के सामने आ गई। सड़कें एक ओर से बनती गई तो दूसरी ओर से उखड़ती गई। पिछले सात वर्षो से अधूरी राष्ट्रीय राजमार्ग 33 की बदहाल स्थिति के कारण सैकड़ों जान चली गई, लेकिन जनप्रतिनिधियों ने इसपर आवाज उठाना तक मुनासिब नहीं समझा। चांडिल डैम के विस्थापित और प्रदूषण की समस्या जस के तस बनी हुई है। इन समस्याओं के नाम पर लंबा आंदोलन किया गया, लेकिन परिणाम शून्य।

---

बदहाल शिक्षा :- ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में सिंहभूम कॉलेज चांडिल एक मात्र डिग्री कॉलेज है, जहां सभी विषयों की पढ़ाई नहीं होती है। विस क्षेत्र में एक भी महिला कॉलेज नहीं है। किसी भी सरकारी उच्च, मध्य और प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक नहीं हैं। आइटीआइ नहीं है, चांडिल पॉलिटेक्निक में विस्थापित या स्थानीय युवाओं के लिए किसी प्रकार का विशेष सुविधा नहीं है, जबकि चांडिल डैम निर्माण के दौरान विस्थापित बच्चों के लिए तकनीकि शिक्षा की व्यवस्था कराने की बात कही गई थी।

--

चरमराई चिकित्सा व्यवस्था :- चांडिल का अनुमंडल अस्पताल भवन एक दशक पूर्व बनकर तैयार हो गया, लेकिन अस्पताल का उद्घाटन अब तक नहीं हो सका है। वहीं विस क्षेत्र के किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वीकृत पद के मुताबिक चिकित्सक नहीं है। काला धुंआ उगलते कारखानों के प्रदूषण से क्षेत्र के लोग बीमार हो रहे हैं। प्रदूषण के खिलाफ आंदोलन कहानी बनकर रह गई। बीमारी बढ़ने के बीच चिकित्सा व्यवस्था की बदहाली क्षेत्र में बड़ा मुद्दा बन गया है। ऐसे नमूने से आप गावों में स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली और सरकारी संजीदगी का अंदाजा लगा सकते हैं।

--

सिंचाई से वंचित किसान :- ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के किसानों के लिए सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है। चांडिल और पालना डैम के रहते हुए बारिश नहीं होने की स्थिति में चांडिल में सुखाड़ की स्थिति रहती है। लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से खेतों में पानी पहुंचाने की मांग को जनप्रतिनिधियों और विभाग ने अनसुना कर दरकिनार कर दिया है। किसानों की फसल को बेचने के लिए उचित बाजार नहीं है। वहीं पैदावार को सुरक्षित रखने के लिए पूरे विधानसभा क्षेत्र में एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं है।

--

स्वच्छ पेयजल से वंचित लोग :- विधानसभा क्षेत्र में अब भी कई स्थान ऐसे स्थान हैं जहां के लोग चुंआ व नहर का पानी पीते हैं। गर्मी के मौसम में कई गांवों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न होती है। कई स्थानों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लिए जल मीनार बनाया गया है। बताया जाता है कि इनमें से आधे से अधिक जलमीनार से घरों में जलापूर्ति नहीं होती है।

--

विस्थापित :- चांडिल डैम के विस्थापितों का मुद्दा सुरसा की तरह मुंह फैलाए खड़ी है। विस्थापितों की समस्याएं पिछले चार दशक से लंबित पड़ी है। मुआवजा और पुनर्वास पूरा नहीं होने के कारण कई विस्थापित दर-दर भटकने को मजबूर हैं। कुछ तो यायावर की भांति जिंदगी गुजार रहे हैं। विकास के नाम पर अपने पुरखों की जमीन कुर्बान करने वाले विस्थापितों को पुनर्वास के नाम पर मिली जमीन भी उनके नाम पर नहीं है।

-----

ईचागढ विधानसभा क्षेत्र में रोजगार के अभाव में हर वर्ष लोग पलायन कर रहे हैं। क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ गई है। चुनाव के दौरान उम्मीदवारों को स्थानीय समस्याओं पर बात करनी चाहिए।

- गुरु साव, चावलीबासा

-----

क्षेत्र में सड़को की स्थिति बदतर हो गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 32 पर चलना दूभर हो गया है। इसके साथ गांव की सड़कों का हाल दयनीय बनी हुई है।

- बैद्यनाथ महतो, रघुनाथपुर

-----

सरकार चांडिल की जनता को बेवकूफ बनाकर रख रही है। 15 वर्ष से अधिक समय बीत गया चांडिल पूर्ण अनुमंडल नहीं बन सका। अब भी लोगों को अनुमंडल स्तर के कार्यो के लिए सरायकेला जाना पड़ता है।

- कपूर बागी, चाकुलिया, चांडिल

chat bot
आपका साथी