Positive India लौटे चाचा चौधरी, पिंकी, नागराज, याद आए प्रेमचंद और निराला Jamshedpur News
लॉकडाउन का एक पॉजिटिव प्रभाव भी दिख रहा है। टीवी और मोबाइल की दुनिया में व्यस्त रहनेवाले लोग साहित्य और कामिक्स की दुनिया में लौट रहे हैं।
जमशेदपुर (अवनीश कुमार)। कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन है। वायरस से बचने के लिए लोग अपने घरों में कैद हैं। सरकार द्वारा घोषित 21 दिनों के लॉकडाउन के पहले हफ्ते में ही लोग घरों में परेशान महसूस करने लगे हैं।
हालांकि, लॉकडाउन का एक पॉजिटिव प्रभाव भी दिख रहा है। टीवी और मोबाइल की दुनिया में व्यस्त रहनेवाले लोग साहित्य और कामिक्स की दुनिया में लौट रहे हैं। लोग इन किताबों को मोबाइल पर पढऩे के अलावा अपने वाट्सएप ग्रुप और स्वजन के बीच शेयर भी कर रहे हैं। दहशत के बीच लोग इन किताबों को पढ़कर सुकून महसूस कर रहे हैं। यूं कहें तो लॉकडाउन के बीच घरों में प्रेमचंद, निराला, बच्चन समेत चाचा चौधरी, पिंकी, नागराज एक बार फिर से घरों में लौट आये हैं।
काशीडीह के बैंक कर्मचारी जैकी अपने वाट्सएप ग्रुप में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की 'राम की शक्ति पूजा', प्रेमचंद की कहानी 'गबन', 'गोदान', 'कर्मभूमि', हरिवंशराय बच्चन की कविता 'मधुशाला', धर्मवीर भारती के उपन्यास सूरज का सातवां घोड़ा समेत अन्य किताबों की पीडीएफ फाइल शेयर कर रहे हैं। उनकी मानें तो समय बिताने के लिए इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता है।
उन्होंने बताया कि जब वे इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर किए तो उनके एक रेलकर्मी मित्र ने भी ढेर सारी कामिक्स के पीडीएफ फाइल उन्हें शेयर किया। बांकेलाल, पिंकी, बिल्लू, चाचा चौधरी, साबू, नागराज के किस्से पढऩे के बाद पुराने दिनों की याद ताजा हो गयी। हालांकि, उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि संक्रमण से बचाव के कारण सरकार बंदी को बढ़ा भी सकती है। ऐसे में किताबें समय बिताने का सबसे बेहतरीन जरिया हैं।
इमोजी बना पूछे जा रहे मुहावरे
टीचर्स कॉलोनी की निधि व नीतू ने बताया कि वे वाट्सएप गु्रप में इमोजी को जोड़कर मुहावरे पूछ रही हैं। मसलन घर, मुर्गी, दाल के इमोजी के आगे प्रश्नवाचक चिह्न लगाकर मुहावरा पूछा जाता है। मजेदार बात यह कि सही जवाब देने वाले को लॉकडाउन के बाद इनाम देने की बात भी कही जा रही है। वहीं, टीचर्स कॉलोनी के ही राहुल ने बताया कि वे वाट्सएप गु्रप में आये नन वर्बल रिजनिंग का हल ढूंढ रहे हैं। उन्होंने बताया कि नन वर्बल रिजनिंग में बोड मास मेथड पर समस्या समाधान किया जा रहा है। इसमें छोटे-छोटे चित्रों पर अंक तय किए गये रह रहे हैं।
वायरस, पैराशाइट, कंटेजियन, आउटब्रेक एक मेडिकल डिजास्टर वायरल
लौहनगरी के युवा लॉकडाउन के दौरान समय बिताने के लिए वायरस संक्रमण पर बनीं वायरस, पैराशाइट, कंटेजियन, आउटब्रेक एक मेडिकल डिजास्टर मूवी पसंद कर रहें हैं। साथ ही वे इन फिल्मों के लिंक अपने दोस्तों के बीच शेयर कर रहे हैं। इन फिल्मों को इस वक्त इंटरनेट पर खूब सर्च किया जा रहा है।
फिल्म निर्माण क्षेत्र से जुड़े डिमना निवासी अभिषेक की मानें तो 2011 में बनी फिल्म कंटेजियन देखने के बाद कोरोना वायरस से हो रहे संक्रमण के हालात का पता चल रहा है। फिल्म की कहानी एक वायरस के फैलने के बाद संक्रमित हो रहे लोगों और उनके बचाव के लिए प्रयास पर आधारित है।