Jamshedpur, Jharkhand News: हे प्रभु ! रक्षा करें, वेंटिलेटर पर ‘भगवान’
हे प्रभु ! यह क्या हो रहा है। कुछ समझ में नहीं आ रहा है। कोई श्री राम चरित मानस पढ़ रहा है तो कोई हनुमान चालीसा। कई घरों में गीता का पाठ किया जा रहा है। मुस्लिम सिख ईसाई अपने-अपने स्तर से धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। हे प्रभु ! यह क्या हो रहा है। कुछ समझ में नहीं आ रहा है। कोई श्री राम चरित मानस पढ़ रहा है तो कोई हनुमान चालीसा। कई घरों में गीता का पाठ किया जा रहा है। मुस्लिम, सिख, ईसाई अपने-अपने स्तर से धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं। वर्तमान स्थिति को कोई प्रलय बता रहा है तो कोई घोर कलयुग।
सूबे में रोजाना सैकड़ों घर के चिराग बूझ रहे हैं। अंतिम समय में तुलसी व गंगाजल भी नसीब नहीं हो रहा है। शवों को चार कंधे तक नहीं मिल रहे हैं। परिस्थिति विकट है, इलाज के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। कइयों के स्वजन घर में तड़प रहे हैं। वायरस के आगे हर कोई लाचार है। धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर भी असहाय हैं। खुद उनकी जान आफत में पड़ी है। अस्पतालों में मरीज व डॉक्टर अगल-बगल के बेडों पर इलाज करा रहे हैं। चिकित्सालयों की व्यवस्था ध्वस्त होती जा रही है। हर तरफ करुण क्रंदन और हाहाकार सुनाई पड़ रहा है। एंबुलेंस का सायरन दिन-रात सुनाई पड़ रहा है।
संकट से मुक्ति के लिए प्रार्थना
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा। हनुमान चालीसा के इस चौपाई को इंटरनेट मीडिया पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने पोस्ट किया है। उन्होंने लोगों को कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए संकटमोचन वीर हनुमान से प्रार्थना की है। इसी तरह अन्य हजारों लोग ईश्वर से प्रार्थना करने में जुटे हुए हैं। कोरोना के कहर से बचने के लिए दुआएं मांगी जा रही हैं। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर स्थिति भयावह हो गई है।
चिकित्साकर्मियों से भरे पड़े अस्पतालों के बेड
वायरस की चपेट में चिकित्सक व चिकित्साकर्मी सबसे अधिक हैं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. एसी अखौरी ने बताया कि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में चिकित्सकों को भर्ती होते हम देख रहे हैं। लगभग 130 से अधिक चिकित्सक शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। इसमें कई चिकित्सकों का इलाज वेंटिलेटर पर चल रहा है, जिनकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है। 90 से ज्यादा नर्स व इतनी ही संख्या में चतुर्थ वर्गीय कर्मी भर्ती हैं। कुल मिलाकर 300 से अधिक स्वास्थ्य कर्मी कोरोना से जूझ रहे हैं। अब तक एक दर्जन से अधिक डॉक्टर, नर्स व स्वास्थ्य कर्मियों की जान ले चुका है।
शव इंतजार कर रहा पर नहीं आ रहा कोई
बर्मामाइंस निवासी एक महिला की मौत एमजीएम अस्पताल में हो गई। इसके बाद उसे शवगृह में रख दिया गया। तीन दिन तक इंतजार किया गया लेकिन घर से कोई नहीं आया। इसके बाद फोन किया गया तो पता चला कि परिवार के सारे सदस्य पॉजिटिव हैं। उसका घर सील है। इसके कारण कोई भी घर से बाहर नहीं निकल सकता है। इसे देखते हुए कर्मचारियों ने खुद ही शव अंतिम संस्कार किया। इस तरह के तमाम मामले सामने आ रहे हैं।
चार दिन में निकली एक ही परिवार से तीन शव यात्राएं
बाराद्वारी में एक परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई। वह भी चार दिनों के अंदर। वहीं, मानगो में दो भाई की मौत हो गई। सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने इंटरनेट मीडिया पर लिखा-नसै रोग हरे सब पीरा.. शहर के अस्पतालों में भर्ती हैं 300 से अधिक डॉक्टर, नर्स व चिकित्सा कर्मी तड़प रहे मरीज, शहर में दिन-रात सुनाई पड़ रहा एंबुलेंसों का सायरन फैक्ट फाइल
33 हजार 497 लोग संक्रमित हुए। 25 हजार 651 लोग स्वस्थ होकर घर लौटे। 602 लोगों की मौत हुई।