Jharkhand: घाटशिला इलाके के बासाडेरा पहाड़ पर हाथियों के झुंड ने डाला डेरा, ग्रामीणों में दहशत
Elephants camped on the Basadera mountain सुदूरवर्ती बीहड़ इलाकों में अवस्थित पर्यटक स्थल बुरुडीह में हाथियों के झुंड ने दस्तक दी है। झुंड में एक नर हाथी समेत 30 की संख्या में मादा हथनी भी शामिल है। हाथियों के पहुंचने से ग्रामीणों में दहशत है।
घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम, जासं। वन क्षेत्र अंतर्गत कालचिति पंचायत स्थित सुदूरवर्ती बीहड़ इलाकों में अवस्थित पर्यटक स्थल बुरुडीह में हाथियों के झुंड ने दस्तक दी है। झुंड में एक नर हाथी समेत 30 की संख्या में मादा हथनी भी शामिल है। यह क्षेत्र वन्य प्राणियों के आश्रय स्थल के रूप से जाना जाता है।
दलमा एलिफेंट कॉरिडोर से अक्सर हाथियों के झुंड को झांटीझरना के पहाड़ी रास्तों से बासाडेरा, बुरुडीह, केंदडांगा, कालापाथर गांव से सटे जंगलों में विचरण करते हुए देखा जा सकता है। बढ़ती गर्मी के मद्देनजर पहाड़ों में हाथियों को पर्याप्त भोजन की कमी के अलावा प्यास बुझाने के लिए जूझना पड़ रहा है। धारागिरी झरना, पाना झरना समेत कई झरने के पानी सूखने के कगार पर है। यही वजह है कि हाथियों का झुंड भोजन और पानी की तलाश में सूर्यास्त होते ही अंधेरे का फायदा उठाते हुए किसानों के खेतों की ओर रुख करने लगा है। किसानों के द्वारा अपने अपने खेतों में उपजाई गई सब्जियां एवं गरमा धान हाथियों को काफ़ी आकर्षित करती हैं। साथ ही साथ किसानों की परेशानियों को भी बढ़ा देती हैं। ऐसा ही कुछ परिदृश्य विगत देर रात बुरुडीह में देखने को मिला जहां हाथियों का झुंड भोजन की तलाश में पहाड़ों से उतरकर किसानों के खेतों तक पहुंच गया।
ये कहते ग्रामीण
इसके पश्चात ग्रामीण टॉर्च लाईट हाथों में पकड़े खेतों के आसपास आग जलाकर रातभर हाथियों के झुंड को खदेड़ने में जुटे रहे। फिलहाल झुंड में शामिल सभी हाथियाें ने बासाडेरा पहाड़ स्थित पाना झरना में डेरा जमाया हुआ है। अपनी परेशानियों को बयां करते हुए खगेन भुइयां, कार्तिक भुइयां, बाबूलाल सिंह समेत ग्रामीण किसानों ने बताया कि किसानों के लिए रोजगार के अलावा परिवारों के भरण पोषण का एकमात्र साधन खेतीबाड़ी ही है। काफी मुश्किलों का सामना करते हुए परिवार के सदस्यों के द्वारा खेतों में गरमाधान समेत सब्जियां उपजाई जाती हैं मगर वन विभाग की लापरवाही से हाथियों के द्वारा फसलों को नष्ट कर दिया जाता है।
वन विभाग ने ये कही बात
विषय पर संज्ञान लेते हुए रेंजर दिनेश सिंह ने बताया कि हाथियों के झुंड पर नजर रखने के उद्देश्य से विशेष हाथी रोधक दस्ते का गठन किया गया है। साथ ही साथ हाथियों के द्वारा जिन किसानों की फसलों को नष्ट किया गया है उसके संबंध में वन विभाग कार्यालय में लिखित आवेदन जमा करें ताकि क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान किया जा सके।