जी हां ! ये है इस शहर की हकीकत, यहां गली-गली में तराशे जा रहे मेसी व रोनाल्डो

sports. जमशेदपुर एफसी के सॉकर स्कूल में मेसी और रोनाल्डो बनने के सपने साकार होते हैं। जमशेदपुर फुटबॉल क्लब के सौजन्य से जमशेदपुर शहर में फिलहाल सात सॉकर स्कूल चल रहे हैं।

By Edited By: Publish:Thu, 14 Nov 2019 09:00 AM (IST) Updated:Thu, 14 Nov 2019 03:33 PM (IST)
जी हां ! ये है इस शहर की हकीकत, यहां गली-गली में तराशे जा रहे मेसी व रोनाल्डो
जी हां ! ये है इस शहर की हकीकत, यहां गली-गली में तराशे जा रहे मेसी व रोनाल्डो

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। sports यह है जमशेदपुर एफसी का सॉकर स्कूल। यहांं मेसी और रोनाल्डो बनने के सपने साकार होते हैं। जमशेदपुर फुटबॉल क्लब के सौजन्य से शहर में फिलहाल सात सॉकर स्कूल चल रहे हैं। यूरोपीय देशों में तो जिस उम्र में बच्चे चलना शुरू करते हैं, उसी उम्र में बच्चों का एडमिशन स्पो‌र्ट्स स्कूल करा दिया जाता है। लेकिन भारत में यह शुरुआत जमशेदपुर एफसी ने की है। इनमें तीन से 12 साल तक के बच्चे फुटबॉल का प्रशिक्षण हासिल करते हैं।

बच्चों को फुटबॉल का प्रशिक्षण दिए जाने का यह प्रयोग अनोखा भी है और असरदार भी। जेएफसी ग्रास रूट के हेड कोच कुंदन चंद्रा की माने तो फुटबॉल सीखने का सही उम्र तीन साल ही है। इन बच्चों को आप जो कुछ सिखाएंगे, जिंदगी भर उनका अनुपालन करेंगे। यहां बहुत कुछ प्ले स्कूल की तरह ट्रेनिंग दी जाती है। कुंदन चंद्रा ने एक स्टडी का हवाला देते हुए कहा कि पाच साल की उम्र में बच्चों का 90 प्रतिशत मस्तिष्क का विकास हो जाता है। इसलिए बच्चों की फुटबॉल की ट्रेनिंग इस उम्र से शुरू कर दी जाती है। सबसे पहले बच्चे रंग को पहचानते और उनको उनसे प्यार होता है।

कुंदन चंद्रा बताते हैं कि तीन साल से पाच साल तक के बच्चों रंगों से बहुत प्रेम होता है, यही कारण है कि उन्हें इस तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है। पांच साल की उम्र से एडवांस ट्रेनिंग शुरू नन्हे फुटबॉलरों को पांच साल की उम्र से ही एडवांस ट्रेनिंग शुरू कर दिया जाता है। इस उम्र में बच्चों में ह्रंदय की धड़कन ज्यादा तेज होती है। आठ साल होते-होते इन बच्चों को पोजीशन के हिसाब से फुटबॉल खिलाना शुरू किया जाता है। इसी उम्र में बताया जाता है कि गोलकीपिंग क्या है, डिफेंडर क्या होता है, फॉरवर्ड कैसे खेलता है और मिडफील्डर कैसे बॉल को आगे की ओर ले जाता है।

12 साल तक तक चार हिस्सों में दी जाती ट्रेनिंग

12 साल की उम्र का पड़ाव पहुंचते-पहुंचते ट्रेनिंग को चार वर्गो में बांट दिया जाता है। पहले व दूसरे हिस्से में तकनीक, तीसरा फिजिकल व चौथा ग्राउंड ट्रेनिंग होता है। मैदान पर ऑफिसियल्स के साथ कैसे व्यवहार किया जाता है, इसकी जानकारी दी जाती है।

अभिभावकों की भी होती क्लास

सॉकर स्कूल में नन्हे फुटबॉलरों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी यह बताया जाता है कि घर में बच्चे को कैसे रखना है। उन्हें किस तरह की डायट देनी है। जैसे, 10 किलो के बच्चे के लिए रोज 500 एमएल पानी होना जरूरी होता है। यहां तक कि बच्चों के जूते का लेश बांधने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

प्रशिक्षकों को दी जाती विशेष ट्रेनिंग

एक अच्छे फुटबॉलर के लिए अच्छा कोच होना जरूरी है। इसके लिए भी जमशेदपुर एफसी खास ध्यान देती है। सॉकर स्कूल खोलने से पहले उन्होंने प्रशिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दिया। फिलहाल 17 कोचों द्वारा 592 बच्चे को ट्रेनिंग दी जा रही है। टीएसआरडीएस के माध्यम से ग्रास रुट इवेंट की शुरुआत की गयी है। इसमें 37 कोच अपनी सेवा दे रहे हैं।

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