Jamshedpur: उमा हॉस्पिटल ने कोरोना मरीज को थमा दिया गया 94 हजार 970 का बिल, अब जांच में जुटा विभाग

Jamshedpur News. निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों से मनमानी राशि वसूली जा रही है। अब एक नया मामला उमा हॉस्पिटल में आया है। यहां एक मरीज से पांच दिन में 94 हजार 970 रुपए का बिल बनाकर थमा दिया गया है। अब मरीज दर-दर भटक रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 04:24 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 04:24 PM (IST)
Jamshedpur: उमा हॉस्पिटल ने कोरोना मरीज को थमा दिया गया 94 हजार 970 का बिल, अब जांच में जुटा विभाग
सिविल सर्जन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश दिए हैं।

जमशेदपुर, जासं। निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों से मनमाना राशि वसूली जा रही है। अब एक नया मामला उमा हॉस्पिटल में आया है। यहां एक मरीज से पांच दिन में 94 हजार 970 रुपए का बिल बनाकर थमा दिया गया है। अब मरीज उधारी चुकाने को लेकर दर-दर भटक रहा है।

इसकी शिकायत उन्होंने सिविल सर्जन डॉ. एके लाल से भी की है। सिविल सर्जन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश दिए हैं। दरअसल, काशीडीह निवासी कल्याण कुमार पात्रा को सांस लेने में परेशानी हुई तो उन्हें एक मई को नेशनल हाइवे स्थित उमा हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। लेकिन, यहां पांच दिन में 94 हजार 970 रुपए का बिल थमा दिया गया। मरीज जब भर्ती होने गया था तब 20 हजार रुपए उससे एडवांस में जमा लिया गया था। उसके बाद जब उसकी छुट्टी होने लगी तो 74 हजार 970 रुपए लिया गया। इससे पूर्व भी उमा हॉस्पिटल पर कई आरोप लग चुका है।

सिविल सर्जन डॉ. एके लाल ने बताया कि सरकार द्वारा तय राशि से अधिक कोई भी हॉस्पिटल संचालक नहीं ले सकते हैं। अगर कोई ले रहा है तो वह गलत है। एक मरीज द्वारा उमा हॉस्पिटल के खिलाफ लिखित शिकायत की गई है। उसकी जांच के लिए टीम बनाई गई है। टीम जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

कोई भी हॉस्पिटल संचालक कोरोना मरीजों से अधिक राशि नहीं वसूल सकते हैं। अगर ऐसा कोई कर रहा है तो वह गलत है। वैसे लोगों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। जांच के लिए टीम बनाई गई है।

      - डॉ. एके लाल, सिविल सर्जन, पूर्वी सिंहभूम

कोरोना मरीजों की जान बचाने को डॉक्टर अपनी जान की बाजी लगाकर मरीजों की सेवा कर रहे हैं लेकिन कुछ हॉस्पिटल संचालकों की वजह से बाकी डॉक्टर भी बदनाम होते हैं। उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए।

       - डॉ. मृत्युंजय सिंह, सचिव, आइएमए।

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