झारखंड में लौह अयस्क खदानों की ई-नीलामी शुरू, ये रही पूरी जानकारी

लौह अयस्क खदानों की नीलामी की प्रक्रिया देर से ही सही मगर अब शुरू हो जाने के बाद पश्चिमी सिंहभूम जिला में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। जिले की आर्थिक स्थिति में सुधार आने के साथ-साथ सरकार के राजस्व में भी बढ़ोत्तरी होगी।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 09:39 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 05:00 PM (IST)
झारखंड में लौह अयस्क खदानों की ई-नीलामी शुरू, ये रही पूरी जानकारी
लौह अयस्क खदान के लिए विपत्र जमा करने की अंतिम तिथि 13 जुलाई है।

चाईबासा, सुधीर पांडेय।  झारखंड में लौह अयस्क खदानों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। झारखंड सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग की ओर से 14 जून को नीलामी के लिए टेंडर निकाला गया है। पहले चरण में पश्चिमी सिंहभूम जिला के बड़ाजामदा क्षेत्र में अवस्थित अजीताबुरू आयरन एंड मैगनीज ब्लॉक के लिए टेंडर निकाला गया है।

इस खदान की लीज पहले मेसर्स देवकाबाई वेलजी के नाम पर आवंटित थी। 31 मार्च 2020 को इसकी लीज अवधि रद हो चुकी है। 46.62 हेक्टेयर में फैले इस खनन ब्लॉक में 17.538 मिलियन टन लौह अयस्क और 2.319 मिलियन टन मैगनीज अयस्क मौजूद होने की बात विभाग ने कही है। नीलामी में भाग लेने के लिए इच्छुक लोग 25 जून 2021 तक टेंडर के लिए विपत्र खरीद सकेंगे। विपत्र जमा करने की अंतिम तिथि 13 जुलाई 2021 तय की गयी है। वहीं 14 जुलाई 2021 को टेंडर खोला जायेगा।

वर्तमान में टाटा एवं सेल की खदानें ही चालू हालत में

खान एवं भूतत्व विभाग के निदेशक (भूतत्व) के अनुसार नीलामी के लिए आवेदन को इच्छुक लोग 4 लाख 95 हजार 600 रुपये शुल्क जमा कर आनलाइन विपत्र खरीद सकते हैं। यहां बता दें कि झारखंड में लौह अयस्क खनिज पश्चिमी सिंहभूम जिला में ही मिलता है। यहां पर करीब 41 लौह अयस्क खदानें पूर्व में लीज पर दी गयीं थी। 31 मार्च 2020 को अधिकतर निजी खदानों की लीज समाप्त हो चुकी है। वर्तमान में केवल टाटा स्टील और सेल की खदानें ही चालू हालत में हैं। निजी खदानों की बात करें तो मेसर्स अनिल खिरवाल की ही लीज बची है। जिन खदानों की लीज समाप्त हो चुकी है उन्हें अब नीलामी के जरिये ही बेचा जाना है। पड़ोसी राज्य ओडिशा में मार्च 2020 से पहले ही अधिकतर खदानों की नीलामी हो चुकी है। झारखंड में खदानों के बंद हुए साल भर से ऊपर हो गया है। नीलामी की प्रक्रिया देर से ही सही मगर अब शुरू हो जाने के बाद पश्चिमी सिंहभूम जिला में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। जिले की आर्थिक स्थिति में सुधार आने के साथ-साथ सरकार के राजस्व में भी बढ़ोत्तरी होगी।

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