टेल्को कैंटीन कर्मियों में मामले में अब औद्योगिक न्यायाधिकरण करेगी सुनवाई

टेल्को कैंटीन इम्प्लाइज यूनियन बनाम स्टेट ऑफ झारखंड याचिका की सुनवाई मंगलवार को झारखंड उच्च न्यायालय में न्यायाधीश डा. एसएन पाठक की बेंच में हुई। इस सुनवाई में टाटा मोटर्स कैंटीन के मजदूरों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव व विकास सिंह ने अदालत में अपनी बातें रखी।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Tue, 12 Jan 2021 05:59 PM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 05:59 PM (IST)
टेल्को कैंटीन कर्मियों में मामले में अब औद्योगिक न्यायाधिकरण करेगी सुनवाई
झारखंड उच्च न्यायालय की तस्वीर जहां टेल्को कैंटीन इप्लाइज यूनियन मामले की सुनवाई हुई।

 जमशेदपुर (जागरण संवाददाता) । टेल्को कैंटीन इम्प्लाइज यूनियन बनाम स्टेट ऑफ झारखंड याचिका की सुनवाई मंगलवार को झारखंड उच्च न्यायालय में न्यायाधीश डा. एसएन पाठक की बेंच में हुई। इस सुनवाई में टाटा मोटर्स कैंटीन के मजदूरों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव व विकास सिंह ने अदालत को बताया कि टाटा मोटर्स के कैंटीन में 1970 से 400 मजदूर स्थाई रूप से काम करते थे। जिनके साथ कई बार त्रिपक्षीय वार्ता हुई जिसके तहत टाटा मोटर्स इन मजदूरों को वेतन भुगतान करती थी, लेकिन टाटा मोटर्स खुद को इन मजदूरों का नियोक्ता मानने से इंकार करती रही थी। मजदूरों की मांग को कुचलने के लिए टाटा मोटर्स ने इन कर्मचारियों को 1986 में गैरवाजिब तरीके से काम से हटा दिया। उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं दिया। दोनों पक्षों को सविस्तार सुनने के उपरांत अदालत ने इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल (औद्योगिक न्यायाधिकरण) को निर्देश जारी किया कि वह लंबित मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी कर उचित आदेश पारित करे। इस आदेश के साथ ही अदालत ने उक्त याचिका का निबटारा कर दिया।

-----------------------

लेबर कमिश्नर ने मामले को किया था खारिज

अधिवक्ताओं ने अदालत को आगे बताया कि इन कर्मचारियों ने पहले डीएलसी के यहां इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट खड़ा किया। डीएलसी ने मामला लेबर कमिश्नर को भेजा। लेबर कमिश्नर ने उक्त मामले को यह कहकर खारिज कर दिया था कि वह इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट का मामला नहीं है। इसके बाद मजदूर पटना उच्च न्यायालय में गए। वहां पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को इस मामले को इंडस्ट्रियल ट्राईब्यूनल में भेजने का आदेश दिया। उक्त आदेश के बाद बिहार सरकार ने उसे इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल को 1993 में रेफर किया। इंडस्ट्रियल ट्राईब्यूनल ने लंबे समय तक कोई भी आदेश पारित नहीं किया। इसके बाद झारखंड की सरकार ने 2005 में राज्यपाल के हस्ताक्षर से एक नोटिफिकेशन द्वारा इस मामले को छह महीने में सुनवाई समाप्त करने को कहा। इस पर भी औद्योगिक न्यायाधिकरण ने कोई ध्यान नहीं दिया।

chat bot
आपका साथी