निर्गुनिया कबीर के आयोजन में जुटे भारत-नेपाल-मॉरीशस के साहित्यकार व लोकगायक
कबीर जयंती सह भोजपुरी दिवस के अवसर पर निर्गुनिया कबीर कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन किया गया। इसमें कबीर को नमन करते उनके ब्यक्तित्व व कृतित्व पर उदगार प्रकट किया गया। कबीर के पद साखीसबद व रमैनी पर भी चर्चा की गई।
जमशेदपुर, जासं। 'कबीर जयंती सह भोजपुरी दिवस' के अवसर पर निर्गुनिया कबीर कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन किया गया। इसमें कबीर को नमन करते उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर उदगार प्रकट किया गया। कबीर के पद साखी, सबद व रमैनी पर भी चर्चा की गई।
इसके साथ ही भोजपुरी भाषा के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा निर्गुण साहित्य पर भी चर्चा की गई। इसके साथ ही निर्गुण गीत की प्रस्तुति की गई। कबीर के निर्गुण साहित्य में बड़ी हिस्सेदारी थी। कबीर ने अपने सहज, सरल शब्दों के जरिए भोजपुरी भाषा को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया। इसी वजह से उन्हें भोजपुरी का आदिकवि कहा जाता है। कबीर की जयंती को भोजपुरी दिवस का रूप में मनाया गया।
इनकी रही भागीदारी
इस कार्यक्रम का आयोजन भोजपुरी जन जागरण अभियान द्वारा चलाये जा रहे रहे 'बात-बतकही' समूह में ऑनलाइन किया गया। इसकी अध्यक्षता रांची के वरिष्ठ साहित्यकार कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव 'निरंकुश', संचालन भोजपुरी जन जागरण अभियान के राष्ट्रीय संयोजक राजेश भोजपुरिया ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में बारा, कलैया नेपाल के गजलकार राम प्रसाद साह व विशिष्ट अतिथि के रूप में मॉरीशस से कमला कुंजुल उपस्थित थी। कार्यक्रम के दौरान निर्गुण गीत की प्रस्तुति देते लोकगायक राणा रंजीत वासु द्वारा - 'अखियां में भर के असरवा... निर्गुण गीत की प्रस्तुति की गई। कवयित्री डॉ रजनी रंजन द्वारा गीत 'रहना नहीं देश वीरान है व 'चकरी चलाई के गोरिया ' विदेसिया लय पर जतसारी के प्रस्तुति की गई। साहित्यकार रामप्रसाद साह द्वारा कबीर साहेब की याद में 'पावन नाव भोजपुरी जपे अइसन कवि कबीर.... की प्रस्तुति हुई'। युवा कवि जियाउल हक द्वारा भोजपुरी संगीत में अभद्रता परोसने वाले युवा गायक,गीतकारों पर व्यंग्य के रूप में कटाक्ष रचना प्रस्तुत की गई, माई शारदा से गुहार लगवले कि - 'हे मां शारदा ज्ञान के प्रकाश भर.... कला साहित्य संगीत के ऊपर करिया बदरी छाईल बा'।
ये भी रहे मौजूद
कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव द्वारा कबीर पर 'कबीरा वाणी,कबीरा वाणी, आज नमन बा कबीरा वाणी..' की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम में नेपाल के रामप्रसाद साह (वरिष्ठ गजलकार,नेपाल), लोकगायक राकेश श्रीवास्तव (गोरखपुर, उत्तरप्रदेश), कवयित्री डॉ रजनी रंजन (घाटशिला, झारखंड), लोक गायक राणा रंजीत वासु (गाजीपुर), साहित्यकार कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव 'निरंकुश'(राँची), युवा कवि जियाउल हक (मुम्बई), कमला कुंजुल (मॉरीशस) मुख्यरूप से उपस्थित रहे।