ये है हकीकत ! जमशेदपुर में ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुई नर्स, 72 घंटे तक इलाज के लिए भटकती रही एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल Jamshedpur News

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल गई तो वहां से बेड नहीं होने की बात कहते हुए टाटा मुख्य अस्पताल भेज दिया गया। वहां भी बेड नहीं होने की बात कहीं गई।

By Vikas SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 07:47 PM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 04:34 PM (IST)
ये है हकीकत ! जमशेदपुर में ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुई नर्स, 72 घंटे तक इलाज के लिए भटकती रही एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल Jamshedpur News
ये है हकीकत ! जमशेदपुर में ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुई नर्स, 72 घंटे तक इलाज के लिए भटकती रही एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल Jamshedpur News

जमशेदपुर (जासं) । कोरोना वायरस की वजह से शहर की स्थिति भयावह हो गई है। अधिकांश छोटे-बड़े अस्पताल बंद होने से मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ा रहा है। यहां तक की फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स को भी कोविड अस्पतालों में बेड नहीं मिल रही है। मानगो सुभाष कालोनी की एक नर्स पटमदा स्वास्थ्य केंद्र में तैनात है। ड्यूटी के दौरान वह संक्रमित हो गई। इसके बाद वह भर्ती होने के लिए महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल गई तो वहां से बेड नहीं होने की बात कहते हुए टाटा मुख्य अस्पताल भेज दिया गया। वहां भी बेड नहीं होने की बात कहीं गई। इसके बाद मरीज वापस घर चली आई।

तीसरे दिन जब उसकी स्थित बिगडऩे लगी तो वह फिर एमजीएम अस्पताल पहुंची लेकिन बेड के अभाव में उसे घंटों देर तक बाहर ही बैठना पड़ा। प्रबंधन भर्ती लेने से इंकार करते रहा। अंत में इसकी जानकारी झारखंड राज्य स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला मंत्री रवींद्र नाथ ठाकुर को हुई तो उन्होंने जैसे-तैसे एमजीएम में एक बेड उपलब्ध कराया। तब जाकर यह महिला मरीज भर्ती हो सकी। रवींद्र नाथ ठाकुर ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग लडऩे वाले अगर योध्दाओं को ही इलाज नहीं मिलेगी तो मरीजों की जान कौन बचाएगा। इसपर सरकार को गंभीरता से सोचने की जरूरत है। बाकी मरीजों को भी बेड नहीं मिल पा रही है। जिसके कारण मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं।

chat bot
आपका साथी