Inspiring Story : विप्रो के मालिक दो रुपये प्रति सप्ताह की कमाई से कैसे बने अरबपति, जानिए अजीम प्रेमजी की कहानी

टाटा संस के चेयरमैन एमिरेट्स रतन टाटा कभी जमशेदपुर स्थित टाटा मोटर्स व टाटा स्टील के शॉप फ्लॉर में एक आम कर्मचारी की तरह काम करते थे। विप्रो के मालिक अजीम प्रेमजी ने काफी संघर्ष किया तब जाकर आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। आप भी पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी...

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 07:15 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 09:56 AM (IST)
Inspiring Story : विप्रो के मालिक दो रुपये प्रति सप्ताह की कमाई से कैसे बने अरबपति, जानिए अजीम प्रेमजी की कहानी
विप्रो के मालिक दो रुपये प्रति सप्ताह की कमाई से कैसे बने अरबपति

जमशेदपुर, जासं। विप्रो कंपनी का नाम तो आपने सुना ही होगा। यह भी जानते होंगे कि इसके संस्थापक अजीम प्रेमजी हैं। आज विप्रो करोड़ों नहीं, अरबों का कारोबार कर रही है। आखिर यहां तक कैसे पहुंचे अजीम प्रेमजी, आप भी जानिए। अजीम प्रेमजी ने कॉफी टेबल बुक, द स्टोरी ऑफ विप्रो में कहा है कि उनके दादाजी ने सबसे बड़े चावल व्यापार का निर्माण किया, जो 75 साल बाद एक विविध अरबों डॉलर के उद्यम में विकसित हुआ। इसकी शुरुआत दो रुपये प्रति सप्ताह से हुई थी।

यहां प्रेमजी कहना नहीं भूलते कि उनके दादा बेहद ईमानदार थे। अजीम ने ऐसा इसलिए लिखा क्योंकि आम धारणा यही है कि बिना कोई अवैध काम किए करोड़पति-अरबपति नहीं बन सकता। बहरहाल] भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक विप्रो ने हाल ही में 75वीं वर्षगांठ मनाई। प्रेमजी ने इसी अवसर पर कॉफी टेबल बुक लांच की, जिसका नाम द स्टोरी ऑफ विप्रो है। वेस्टलैंड पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित विप्रो की कहानी, विप्रो की जबरदस्त यात्रा को समेटे हुए है, जो वर्षों से कई व्यवसायों के लिए तैयार है। वनस्पति तेल निर्माण कंपनी से विविध व्यवसाय तक आईटी प्रमुख की यात्रा। अजीम प्रेमजी ने ट्विटर पर कहा है कि यह स्टोरी उनकी भी है। वह 75 में 53 वर्ष तक शीर्ष पर रहे थे।

मैंने मां से सबसे ज्यादा सीखा

अजीम प्रेमजी कहते हैं कि मैंने अपनी मां से शायद सबसे ज्यादा सीखा। क्योंकि वह एक योग्य चिकित्सक थीं, उन्होंने अपना समय अपंग बच्चों के लिए बच्चों के आर्थोपेडिक अस्पताल के निर्माण के लिए समर्पित किया। वह इसके लिए कोष जुटाने के लिए दिल्ली तक जाती थीं। उस समय हम अमीर नहीं थे। प्रेमजी ने कहा कि उनके परिवार ने मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया। अपने पिता मोहम्मद हुसैन हाशम प्रेमजी के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्होंने महज 21 साल की उम्र में ट्रेडिंग कंपनी संभाली थी। प्रेमजी की मां गुलबानू प्रेमजी भी चुनौतियों से जूझ रही थीं। उन्होंने बच्चों के लिए अस्पताल बनाने के लिए लड़ाई लड़ी।

पिता की मृत्यु के बाद अजीम ने छोड़ दी पढ़ाई

अजीम प्रेमजी लिखते हैं कि उनके पिता मोहम्मद हुसैन हाशेम प्रेमजी ने 29 दिसंबर 1945 को महाराष्ट्र के अमलनेर में सब्जी और रिफाइंड तेलों के निर्माण के लिए वेस्टर्न इंडिया प्रोडक्ट्स लिमिटेड की शुरुआत की थी। 1966 में अपने पिता की मृत्यु के बाद प्रेमजी ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी को छोड़ दिया और कंपनी की बागडोर संभाली। अपने पिता के समान अजीम प्रेमजी 21 वर्ष की आयु में कंपनी के शीर्ष पर थे। प्रेमजी ने कहा कि किसी चीज के लिए खड़े होने और लगातार बने रहने और किसी चीज पर समझौता न करने की अवधारणा मेरे मन में बहुत पहले ही पैदा हो गई थी।

2000 में ही एक बिलियन डॉलर हो गया कारोबार

आईटी दिग्गज की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2000 में ही विप्रो एक बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हो गया था। वित्त वर्ष 2011 में कंपनी का राजस्व 8.1 बिलियन था। लगभग 53 वर्षों तक फर्म का नेतृत्व करने के बाद प्रेमजी 31 जुलाई, 2019 को विप्रो के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका से हट गए।

उनके बड़े बेटे ऋषद प्रेमजी ने कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कारोबार संभाला, जो विप्रो में तत्कालीन मुख्य रणनीति अधिकारी थे। उनके इस्तीफे के बाद कंपनी ने थियरी डेलापोर्टे को नियुक्त किया, जिन्होंने 2020 की शुरुआत में अबिदाली नीमचवाला के बाहर निकलने के बाद जुलाई 2020 में सीईओ के रूप में पदभार संभाला। सीधी और सरल जीवनशैली, मितव्ययिता के अलावा प्रेमजी सुनहरे दिल वाले व्यक्ति हैं, वे अपनी करुणा और परोपकार के लिए जाने जाते हैं।

बड़े दानदाता के रूप में ख्याति

अजीम प्रेमजी ने 2020 तक 7,904 करोड़ रुपये दान दिया है। इनके बाद एचसीएल के सह-संस्थापक शिव नादर ने 795 करोड़ रुपये दान दिया है। फिलहाल प्रेमजी का नेटवर्क करीब 39.2 अरब डॉलर का है और उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान कर दिया है। अजीम प्रेमजी एंडोमेंट फंड के पास विप्रो में प्रमोटर होल्डिंग का 13.6 प्रतिशत हिस्सा है और प्रमोटर शेयरों से अर्जित धन प्राप्त करने का अधिकार है। अजीम प्रेमजी एंडोमेंट फंड प्रेमजी द्वारा अपनी परोपकारी गतिविधियों को करने के लिए स्थापित एक इकाई है।

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