Business Buzz: मामला कैसे होगा मैनेज, पढें काॅरपोरेट जगत की अंदरूनी खबरें
Business Buzzसारा ठीकरा सिविल डिफेंस जवान पर मढ़ दिया कि उसने ही आरपीएफ इंस्पेक्टर को डंडा दिखाकर लाइन में लगने को कहा जिससे बात बिगड़ गई। इसलिए सभी मैनेज तंत्र में सक्रिय है लेकिन फंसे हैं इसलिए कि सीसीटीवी सबकुछ देखता है।
जमशेदपुर, निर्मल। टाटानगर रेलवे स्टेशन पर पिछले दिनों सिविल डिफेंस की टीम ने जब स्टील एक्सप्रेस से उतरे डांगुवापोसी आरपीएफ के इंस्पेक्टर को जांच के लिए रोका तो बात काफी आगे तक बढ़ गई। आरपीएफ इंस्पेक्टर ए मिर्जा ने जवान का कॉलर तक पकड़ लिया। मामला अखबारों की सुर्खियां बनी तो दक्षिण पूर्व रेल मुख्यालय से लेकर चक्रधरपुर मंडल के अधिकारियों के कान खड़े हो गए।
मामला जांच नहीं कराने और दूसरे यात्री भी विवाद पर चुपचाप खिसकने से जो जुड़ा था इसलिए इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। लेकिन अब विभागीय अधिकारी दबी जुबान यही बोल हैं कि आरपीएफ इंस्पेक्टर वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके हैं और सारा ठीकरा सिविल डिफेंस जवान पर मढ़ दिया कि उसने ही आरपीएफ इंस्पेक्टर को डंडा दिखाकर लाइन में लगने को कहा, जिससे बात बिगड़ गई। इसलिए सभी मैनेज तंत्र में सक्रिय है लेकिन फंसे हैं इसलिए कि सीसीटीवी सबकुछ देखता है।
देर आए दुरुस्त आए
कोरोना का प्रकोप जमशेदपुर में किस हद तक फैल चुका है यह किसी से छिपा नहीं है। टाटा स्टील की मान्यता प्राप्त टाटा वर्कर्स यूनियन अप्रैल माह के पहले सप्ताह से ही अपना कार्यालय बंद कर चुकी है लेकिन जुस्को श्रमिक यूनियन कार्यालय इसके बावजूद खुला रहा। हालांकि बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पहले सुबह में एक टाइम ही खोलने का आदेश हुआ। लेकिन विपक्ष का भी सवाल उठाना तो लाजिमी है कि जब यूनियन नेतृत्व की ओर से कोई काम हो नहीं रहा है। प्रबंधन किसी भी बात पर वार्ता के लिए बुला नहीं रही है। यूनियन चुनाव पर रोक है तो आखिर यूनियन कार्यालय किसलिए खोलकर रखा गया है। ऐसे में लॉकडाउन की घोषणा के साथ 23 अप्रैल को यूनियन कार्यालय को बंद करने का आदेश जारी हो ही गया। ऐसे में पदाधिकारी से लेकर कमेटी मेंबर तक अब यही बोल रहे हैं कि देर आए दुरुस्त आए।
लंगर नहीं ऑक्सीजन सेवा की जरूरत
पिछले दिनों सेंट्रल गुरुद्वारा की राजनीति चरम पर थी। आरोप-प्रत्यारोप की खूब राजनीति हुई लेकिन अब अच्छी पहल की तैयारी की उम्मीद है। कोविड-19 के संक्रमित मरीज जिस तेजी से बढ़े उसके कारण अस्पतालों में बेड की कमी हो गई। ऐसे में सिख प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को मदद की गुहार लगाई है। पिछले लॉकडाउन में कई गुरुद्वारों ने लंगर सेवा करते हुए जरूरतमंदों को भोजन कराया था। लेकिन अब समय लंगर के बजाए ऑक्सीजन सेवा की है। हरविंदर ने सेंट्रल गुरुद्वारा से मांग की है कि पूरे शहर व आसपास में 34 गुरुद्वारा हैं। हर गुरुद्वारा में दो से पांच बेड की व्यवस्था ऑक्सीजन के साथ की जाए ताकि जरूरतमंदों की गुरुद्वारा में ही सेवा हो सके। उनकी जान बचाई जा सके। इस सुझाव का सेंट्रल गुरुद्वारा ने भी स्वागत करते हुए इस दिशा में सार्थक पहल करने का आश्वासन दिया है।
मुनाफा जरूरी है या जान
झारखंड सरकार ने लॉकडाउन में केवल जरूरी संसाधनों वाले दुकानों को ही खोलने की अनुमति दी है। लेकिन दुकानदार सुने तब न। इन्हें अपनी और जनता की जान से ज्यादा अपना धंधा और उससे होने वाली कमाई जो प्यारी है इसलिए आदेश की अवहेलना करते हुए उन सभी दुकानों को भी खोल रहे हैं जिसे खोलने की अनुमति नहीं है। दुकानदार शटर डाउन कर बाहर बैठे रहते हैं। जैसे लगा कि कोई ग्राहक है शटर उठाकर अंदर घुसा दिया। गनीमत तो तब हो गई जब साकची में पुलिस को देखकर एक दुकानदार ताला लगाकर चलता बना। डेढ़ घंटे तक जब दुकान नहीं खुला तो ग्राहक ने हंगामा करना शुरू किया। बात पुलिस तक पहुंची तो दुकानदार को खोलकर पहले दुकान खुलवाई बाद में थाने के चक्कर भी लगवाए। पुलिस और अधिकारी यही कह रहे हैं कि भई बिजनेस जरूरी है या जान। कुछ तो लिहाज कीजीए।