HN Ram passes away: बिहार के पूर्वी चंपारण के रहनेवाले थे पूर्वी सिंहभूम के पूर्व अपर उपायुक्त एचएन राम, पंचतत्व में हुए विलीन

HN Ram passes away. एचएन राम पूर्वी चंपारण (बिहार) स्थित ढाका थाना क्षेत्र के करमोहना गांव के मूल निवासी थे। उन्होंने मोतिहारी के मुंशी सिंह कालेज से इतिहास स्नातक (ऑनर्स) किया था। वर्ष 1980 में बिहार प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 03:56 PM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 03:56 PM (IST)
HN Ram passes away: बिहार के पूर्वी चंपारण के रहनेवाले थे पूर्वी सिंहभूम के पूर्व अपर उपायुक्त एचएन राम, पंचतत्व में हुए विलीन
पूर्वी सिंहभूम के पूर्व अपर उपायुक्त एचएन (हरिनारायण) राम।

जमशेदपुर, जासं। पूर्वी सिंहभूम के पूर्व अपर उपायुक्त एचएन (हरिनारायण) राम का शनिवार शाम करीब सवा सात बजे टीएमएच में निधन हो गया था। रविवार को उनका अंतिम संस्कार बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट पर किया गया, जहां उनके पुत्र अर्चिस्मान ने मुखाग्नि दी। वे पिछले दो माह से कैंसर से ग्रस्त थे। कीमोथेरेपी के बाद उनकी स्थिति में सुधार भी हुआ था, लेकिन निमोनिया होने के बाद दो फरवरी को टीएमएच में भर्ती कराया गया था।

एचएन राम पूर्वी चंपारण (बिहार) स्थित ढाका थाना क्षेत्र के करमोहना गांव के मूल निवासी थे। उन्होंने मोतिहारी के मुंशी सिंह कालेज से इतिहास स्नातक (ऑनर्स) किया था। वर्ष 1980 में बिहार प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए थे। स्व. राम जमशेदपुर में एसडीओ, धालभूम भी रहे, जबकि इसके बाद आयडा में सचिव रहने के बाद झारखंड सरकार में विशेष सचिव-वित्त के पद से वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त हो गए थे। वे वरदान नामक संस्था भी चलाते थे। पठन-पाठन में विशेष रुचि रखने वाले राम ने करीब छह पुस्तकें भी लिखी थीं, जिसमें उनकी पहली पुस्तक ‘दुर्योधन अभी मरा नहीं’ वर्ष 2012 में प्रकाशित हुई थी। फिलहाल वे आदित्यपुर स्थित हरिओम नगर के रोड नंबर पांच में रहते थे। स्व. राम अपने पीछे पत्नी दया राम व पुत्र डा. अर्चिस्मान को छोड़ गए हैं। अर्चिस्मान भुवनेश्वर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं।

सरयू राय की नई पुस्तक स्व. राम को समर्पित

एचएन राम जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय के मित्र थे। सरयू ने झारखंड के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एचएन राम के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया है। शोक व्यक्त करते हुए सरयू ने कहा कि वे एक उम्दा व्यक्तित्व के मालिक थे। एक कुशल प्रशासक होने के साथ ही वे उच्च कोटि के लेखक और समाजकर्मी थे। सबसे बढ़कर वे मेरे घनिष्ठ मित्र थे। राजनीति, प्रशासन, समाज परिवर्तन, शैक्षणिक मुद्दों पर लंबी वार्ता हुआ करती थी। उन्होंने मेरी पुस्तक लम्हों की ख़ता को छपने के पूर्व पढ़ा था। व्याकरण एवं वाक्य विन्यास संबंधी त्रुटियों को शुद्ध किया था। मेरी प्रकाशनाधीन नई पुस्तक उन्हें समर्पित होगी। मेरे जैसे उनके अनेक प्रशंसक शोकाकुल हैं। ईश्वर पुण्यात्मा को सद्गति दें।

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