35 हाथियों का झुंड मचा रहा उत्पात

प्रखंड के जमुआ पंचायत के ग्रामीण जंगली हाथियों के उत्पात से अजीज आ गए हैं। बीते कई दिनों से 35 हाथियों का झुंड दो गुटों में बंट कर इसी पंचायत के विभिन्न गांवों में उत्पात मचा रहा है..

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 08:30 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 08:30 AM (IST)
35 हाथियों का झुंड मचा रहा उत्पात
35 हाथियों का झुंड मचा रहा उत्पात

संवाद सूत्र, चाकुलिया : प्रखंड के जमुआ पंचायत के ग्रामीण जंगली हाथियों के उत्पात से अजीज आ गए हैं। बीते कई दिनों से 35 हाथियों का झुंड दो गुटों में बंट कर इसी पंचायत के विभिन्न गांवों में उत्पात मचा रहा है। जमुआ के अलावा माचाडीहा, राजाबासा, शानघाटी, भादुआ एवं इंदबनी गांव में हाथी बारी बारी से उत्पात मचा रहे हैं। इस गांव से खदेड़ने पर उस गांव की तरफ चले जाते हैं। दिन में समीप के जंगल में रहते हैं। रात होते ही ये जंगल से निकलकर गांव की तरफ आ जाते हैं जिससे ग्रामीणों की शामत आ जाती है। लोग रात- रात भर जग कर हाथियों को खदेड़ने में जुटे रहते हैं। जान माल का भय हमेशा बना रहता है, सो अलग। घरों को क्षतिग्रस्त कर धान चट कर जाना, धान के खेतों को रौंद डालना तथा बांस के नए पौधों को खाना, जंगली हाथियों की दिनचर्या में शामिल है। चूंकि इस इलाके में ग्रामीण बांस की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं और बरसात के मौसम में बांस की नई कोपल निकलती है। इसलिए हाथी यहां से दूसरे इलाके में जाना नहीं चाहते। यही स्थानीय लोगों की सबसे बड़ी मुसीबत है। ग्रामीणों का कहना है कि पूरे चाकुलिया वन क्षेत्र में हाथियों का सर्वाधिक नुकसान जमुआ पंचायत के लोगों को ही झेलना पड़ता है। गत वर्ष भी हाथियों ने भारी मात्रा में बांस की फसल को नुकसान पहुंचाया था। इस बार भी ग्रामीणों के समक्ष वही संकट मंडरा रहा है। विभाग से नहीं मिलता पर्याप्त मुआवजा : जमुआ पंचायत के मुखिया प्रभास हांसदा ने बताया कि पूरे पंचायत के लोग हाथियों के उत्पात का दंश झेल रहे हैं। बांस की फसल पूरी तरह बर्बाद हो रही है। वन विभाग जो मुआवजा देता है वह पर्याप्त नहीं है। कई लोगों को मुआवजा मिल ही नहीं पाता। उनके पंचायत के बाजून सोरेन, कुनू मुंडा, गौरांग मुंडा, प्रमथो महतो, राजेंद्र महतो जैसे कई लोग हैं जिन्होंने मुआवजा के लिए वन विभाग को आवेदन दिया पर मुआवजा नहीं मिला। उन्होंने हाथियों की समस्या का स्थाई समाधान करने की मांग की।

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