इंकैब पर एनसीएलटी में सुनवाई आज, जानिए क्या है मामला Jamshedpur News
INCAB. इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड के एक मामले में आठ सितंबर को नेशनल कंपनी ऑफ लॉ ऑथिरिटी ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) दिल्ली में सुनवाई होगी।
जमशेदपुर, जासं। सालों से बंद पड़ी इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड के एक मामले में आठ सितंबर को नेशनल कंपनी ऑफ लॉ ऑथिरिटी ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) दिल्ली में सुनवाई होगी। सुनवाई का समय सुबह 10.30 बजे तय किया गया है। पहले यह सुनवाई 28 सितंबर को होने वाली थी।
दूसरी ओर द इंडियन केबुल वर्कर्स यूनियन के महामंत्री रामबिनोद सिंह ने आरपी शशि अग्रवाल को पत्र लिखकर तीन सितंबर को हुई कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स की बैठक में किसी मजदूर प्रतिनिधियों को नहीं बुलाने पर विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि मजदूर प्रतिनिधि ही कर्मचारियों की समस्याओं को बेहतर ढंग से रख सकते हैं। आने वाले समय मे बैठकों में यूनियन को भी बुलाने के लिए कहा है।
इंकैब के परिसमापक की मंशा पर यूनियन ने उठाए सवाल
द इंडियन केबल वर्कर्स यूनियन महामंत्री राम विनोद सिंह ने शनिवार को प्रधानमंत्री, केंद्रीय वित्त मंत्री, झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री सहित इनसॉल्वेंसी एंड बैंक करप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया को पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड के परिसमापक शशि अग्रवाल की मंशा पर सवाल उठाए हैं। बकौल राम विनोद सिंह, ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के तहत कोई भी यूनियन मजदूरों का पक्ष रखती है लेकिन पिछले दिनों इंकैब की स्टेट कमेटी की बैठक में जमशेदपुर, पुणे या कोलकाता में से किसी भी यूनियन नेतृत्व को मजदूर का पक्ष रखने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया।
इसके बदले कंपनी के पूर्व महाप्रबंधक और मैनेजर को बैठक में आमंत्रित किया गया था। जबकि कंपनी की मान्यता प्राप्त यूनियन बाइफर में कंपनी केस की कानूनी पक्षधर थी। वहीं, परिसमापक शशि अग्रवाल ने कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) की जो कमेटी बनाई है उसमें कमला मिल्स, पेगासस और फॉक्सवा जैसी कंपनियों को शामिल किया है जो आरआर केबल की ही सिस्टर कंसर्न है। इनकी नजर कंपनी की परिसंपत्ति पर है न कि कंपनी को चलाने में इनकी कोई रुचि है।
तीसरे बिंदू में उठाए ये सवाल
वहीं, तीसरे बिंदू में राम विनोद का कहना है कि बाइफर ने इंकैब कंपनी को चलाने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया था। इसमें टाटा स्टील सहित कुल पांच कंपनियां आई। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा स्टील को बेस्ट बिडर माना। लेकिन इसी साल आइफर व बाइफर का अस्तित्व खत्म हो गया तो टाटा स्टील भी इंकैब को टेकओवर करने के लिए कानूनी रूप से पहल नहीं कर पाई। ऐसे में परिसमापक को भी कंपनी को दिवालिया करने में दिलचस्पी दिखाने के बजाए कंपनी को चलाने पर ज्यादा जोर देना था। उन्हें भी कंपनी चलाने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करना था, जो उन्होंने नहीं किया। इसलिए उन्होंने कंपनी को चलाने के लिए प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है।