JRD Tata, Dhirubhai Ambani, Ratan Tata की पहली और अनदेखी कारें देखी है आपने, नहीं तो आज जान लीजिए
टाटा समूह के रतन टाटा जेआरडी टाटा व रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी की कारें आज भी लोगों को अचंभित कर देती है। ये ऐसी कारे हैं जिसें विशेष तौर पर इन उद्योगपतियों के लिए विदेशों से मंगाई गई थी। आप भी जान लीजिए कौन सी हैं वो कारें...
जमशेदपुर। दुनिया के अरबपति भव्य जीवन शैली जीने के लिए जाने जाते हैं। उनके पास बड़े घर और कई महंगी कारें होंगी। अब, आपको यह सारी जानकारी इंटरनेट पर आसानी से मिल जाएगी। हालाँकि, इंटरनेट हमेशा नहीं था। एक समय था जब अमीर लोग विदेशी वाहनों में यात्रा करते थे और आम लोगों को इसके बारे में पता भी नहीं होता था। कार और वाहन के मालिक के बारे में केवल सच्चे उत्साही लोग ही जानते होंगे। पेश हैं कुछ ऐसे ही शाही कार, जिनके मालिक थे JRD Tata, Dhirubhai Ambani और Ratan Tata.
जेआरडी टाटा की मर्सिडीज-बेंज 190डी जर्मनी से मंगाई गई थी
जेआरडी टाटा हमारे देश के पहले अमीर और सफल व्यवसायियों में से एक थे। वह Mercedes-Benz 190D में सफर करते थे। यह वही वाहन था जिसे बाद में नाम बदलकर ई-क्लास कर दिया गया। इस कार को JRD Tata ने जर्मनी से इम्पोर्ट किया था। कार को सफेद रंग में तैयार किया गया है। 190D अभी भी काफी खूबसूरत दिखती है और भीड़ से अलग पहचान रखती है। जेआरडी टाटा ने यह कार 1961 में खरीदा था और इसे भारत आने में एक साल लग गया। यह कार 1962 जेआरडी टाटा के पास पहुंची थी। यह कार अभी भी 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम है।
धीरूभाई अंबानी की बीएमडब्ल्यू 750i XL L7 लिमोसिन
दुनिया के सबसे अमीर अरबपतियों में शुमार अंबानी परिवार को बहुत सारे विदेशी कार रखने के लिए भी जाना जाता है। मुकेश अंबानी व अनिल अंबानी के पिता धीरूभाई ने ही रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की थी। धीरूभाई अंबानी विशेष रूप से लिमोसिन कार के शौकीन थे। उन्होंने तो कई लिमोसिन कार अमेरिका और जर्मनी से आयात किया था। उनके पास एक BMW E38 750i XL L7 हुआ करती थी जिसे कुछ साल पहले स्पॉट किया गया था।
यह गाड़ी इसलिए खास है क्योंकि पूरी दुनिया के लिए सिर्फ 899 ही बनाए गए थे। यह भारत में और भी दुर्लभ है क्योंकि यह एकमात्र लिमोजिन कार है जिसे भारत लाया गया था। दक्षिण-पूर्व एशियाई, यूरोपीय और मध्य पूर्वी बाजारों में 750i XL L7 में देखा जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, XL 750i के विस्तारित व्हीलबेस संस्करण है। कार की लंबाई 5.37 मीटर थी। तुलना करने पर, वर्तमान 7-सीरीज की लंबाई 5.3 मीटर है।
रतन टाटा की ब्यूक स्काईलार्क, तब से में एकमात्र ऐसी कार थी
रतन टाटा एक कारक हैं जिसकी वजह से टाटा मोटर्स एक सफल वाहन निर्माता कंपनी रही है। उनके पास विदेशी कारों का एक संग्रह है जिसमें कैडिलैक, फेरारी कैलिफोर्निया, कार्वेट, लैंड रोवर फ्रीलैंडर, मासेराती क्वाट्रोपोर्टे और मर्सिडीज-बेंज 500 एसएल शामिल हैं। उनके संग्रह से, हम देख सकते हैं कि वह एक बड़े मोटर वाहन उत्साही हैं।
उनके पास एक ब्यूक स्काईलार्क भी है जो एक दुर्लभ कार है। रतन टाटा का स्काईलार्क 1978 का मॉडल है। जब इसे पहली बार भारत में आयात किया गया था, यह भारतीय सड़कों पर एकमात्र ऐसी कार थी। Buick ने Skylark में बड़े पैमाने पर 5.0-लीटर V8 पेट्रोल इंजन का इस्तेमाल किया था। हालांकि, तकनीकी सुधारों की कमी के कारण इंजन ने केवल 145 बीएचपी की अधिकतम शक्ति का उत्पादन किया। अब, आप स्कोडा ऑक्टेविया में 2.0-लीटर टर्बो पेट्रोल से अधिक शक्ति प्राप्त कर सकते हैं। जब वाहन को आखिरी बार देखा गया था तब भी यह अच्छी स्थिति में थी। यह भारत में कई प्रदर्शनियों और विभिन्न कार शो में रहा है।