राष्ट्रीय एकता, अखंडता और पंथ निरपेक्षता के जीवंत उदाहरण हैं गुरु तेगबहादुर : द्रौपदी मुर्मू

जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में सोमवार को नौवें सिख गुरु तेगबहादुर जी के जीवन और शिक्षा पर केंद्रित राज्य स्तरीय निबंध सह सम्मान प्रतियोगिता का ऑनलाइन आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विजेता प्रतिभागियों सहित सभी को बधाई दी।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 05:30 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 05:30 PM (IST)
राष्ट्रीय एकता, अखंडता और पंथ निरपेक्षता के जीवंत उदाहरण हैं गुरु तेगबहादुर : द्रौपदी मुर्मू
निबंध सह सम्मान प्रतियोगिता समारोह में आनलाइन शामिल प्रतिभागी।

जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में सोमवार को नौवें सिख गुरु तेगबहादुर जी के जीवन और शिक्षा पर केंद्रित राज्य स्तरीय निबंध सह सम्मान प्रतियोगिता का ऑनलाइन आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि राज्यपाल सह झारखंड के राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेता प्रतिभागियों सहित सभी को बधाई दी।

उन्होंने कहा कि वीमेंस काॅलेज ने तख्त श्री हरमिंदर जी, पटना साहिब के साथ मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर का जीवन और उनकी शिक्षाएं हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। गुरु ग्रंथ साहिब मध्ययुगीन समाज और साहित्य का ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज हैं जिसमें 11वीं से लेकर 17 वीं सदी के लगभग 600 वर्षों की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक गतिविधियों का सार तत्व संरक्षित है। गुरु तेगबहादुर जी ने भारत की राष्ट्रीय एकता, अखंडता एवं पंथनिरपेक्षता का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया। यह सुखद संयोग है कि इस ग्रंथ में जितनी वाणियां सिख गुरुओं की हैं, उससे कहीं अधिक गैर सिख संतो-भक्तों की हैं।

राष्ट्रीय एकता का उदाहरण

यह एक पुस्तक के माध्यम से वर्ण, जाति, प्रांत और भाषा से मुक्त होते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों से युक्त राष्ट्रीय एकता का यह अनुपम उदाहरण है। गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षा को इसलिए भी सबके सामने लाया लाया जाना आवश्यक है क्योंकि उन्होंने सिर्फ अपनी वाणियों के माध्यम से ही नहीं, बल्कि अपने कर्म के माध्यम से भी अनुकरण योग्य उदाहरण प्रस्तुत किए थे। उन्होंने लोगों को अपना आचरण सुधारने, सामाजिक अंधविश्वासों को दूर करने, ऊंच-नीच की भावना से ऊपर उठने तथा सभी बंधुओं को एक ही ईश्वर की संतान मानकर सह अस्तित्व के भाव को मजबूत करने का संदेश दिया था। उन्होंने स्त्रियों को सम्मान और स्वतंत्रता देने की पहल की। सम्मान और स्वाभिमान पूर्वक श्रम की कमाई से जीविकायापन करने की सीख गुरु तेग बहादुर सहित सभी सिख गुरुओं और अन्य भक्तों ने दी है। वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी संसार को त्यागने की बात कभी नहीं करते। बल्कि उसे सुधारने और संवारने तथा जीवन जीने लायक बनाने में अपना योगदान देने की बात करते हैं।

इन्होंने भी रखे विचार

इसके पहले समारोह की मुख्य आयोजक वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर शुक्ला महांती ने राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री सहित देश-विदेश से जुड़े वक्ताओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री के निर्देशानुसार उच्च शिक्षा विभाग और एआईसीटीई के आदेशानुसार यह आयोजन किया गया। कार्यक्रम को तख़्त श्री हरमिंदर जी, पटना साहिब के उपाध्यक्ष सरदार इंदरजीत सिंह, सेंट्रल गुरूद्वारा प्रबंधक समिति,जमशेदपुर के पूर्व महासचिव सरदार गुरुदयाल सिंह, सरदार कुलबिंदर सिंह, श्री सहज पाठ सेवा अमृतसर के सरदार दिलबाग सिंह और न्यूजीलैंड में मैनेजमेंट कंसल्टेंट और विद्वान वक्ता डाॅ. तरसेम लाल टांगरी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत में सरदार गुरदीप सिंह व टोली ने सबद कीर्तन की मोहक प्रस्तुति दी। डाॅ. सनातन दीप ने देशभक्ति गीत गाया। संचालन डाॅ. श्वेता प्रसाद और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नूपुर अन्विता मिंज ने किया। इस अवसर पर डाॅ. राजेंद्र कुमार जायसवाल सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं ऑनलाइन जुड़े रहे। मुख्य अतिथि ने निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं के नामों की घोषणा की। प्रथम पुरस्कार के रूप में रुपया 5000/-, द्वितीय पुरस्कार के रूप में 3500/-, तृतीय पुरस्कार रूप में 2500/- के अलावा प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में रूप में 1000/-, प्रमाणपत्र व स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।

मानवतावाद का मैनिफेस्टो है गुरू तेगबहादुर का जीवन दर्शन : अर्जुन मुंडा

समारोह के उद्घाटनकर्त्ता केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच रही है कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास भारत की सांस्कृतिक पहचान है। इस कड़ी में नौवें सिख गुरु तेगबहादुर जी के चार सौवें प्रकाश पर्व को पूरे देश में भव्यता के साथ आयोजित करना एक महत्वपूर्ण प्रयास है। गुरु तेगबहादुर का पूरा जीवन वे ऑफ लिविंग को वे ऑफ गीविंग के रूप में चरितार्थ करता है। हमें इसका अनुसरण करना चाहिए। सच्चे धर्म की रक्षा के लिए दी गई कुर्बानी व्यापक अर्थ में देखें तो लोकतांत्रिक मूल्यों और मानव अधिकारों की रक्षा के लिए दी गई कुर्बानी भी है, लेकिन उनका यह त्याग हमें धार्मिक कट्टरता नहीं सिखाता बल्कि सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है। सर्वधर्म समभाव में ही धर्म निरपेक्षता का वास्तविक अर्थ समाहित है। हम सभी जानते हैं और खासकर के युवा पीढ़ी को यह जरूर जानना चाहिए सिख धर्म में पुस्तक को सर्वोच्च और शाश्वत गुरु के रूप में स्वीकार किया गया है। आदिग्रंथ को गुरु ग्रंथ साहिब कहा जाता है। यह अनूठा है। किसी व्यक्ति या मूर्ति की पूजा करने से अच्छा है उदात्त और श्रेष्ठ विचारों की पूजा करना। गुरु ग्रन्थ साहिब और गुरं तेगबहादुर की शिक्षाएं केवल सिख धर्म का नहीं बल्कि व्यापक मनुष्यता का मेनिफेस्टो है। गुरु को ईश्वर मानना और प्रायः ईश्वर से भी ऊंचा दर्जा देना भारतीय देशज संस्कृति की सर्वोत्तम उपलब्धि है।

विजेताओं की सूची:

हिंदी में

प्रथम- मनीषा लोहार, जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज

द्वितीय- मोनिका महतो- जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज

तृतीय- कुमारी अनुप्रभा, गवर्नमेंट वीमेंस टीचर ट्रेनिंग काॅलेज, रांची

प्रोत्साहन पुरस्कार- शीतल सिद्धू, गवर्नमेंट वीमेंस टीचर ट्रेनिंग काॅलेज, रांची

बाहालेन पूर्ति- इंस्टीट्युट फाॅर एजुकेशन, सराईकेला

 अंग्रेजी माध्यम

प्रथम- रवीना खोसला, जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज

द्वितीय- संदीप सिंह, रंभा काॅलेज ऑफ एजुकेशन, गीतिलता

तृतीय- पूजा सलुजा, स्काॅलर बीएड काॅलेज, गिरिडीह

प्रोत्साहन पुरस्कार- अंकिता महतो, गवर्नमेंट वीमेंस टीचर ट्रेनिंग काॅलेज, राँची

इफ्फत साज़िया- गोड्डा काॅलेज

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