Jharkhand: इस पहल को दें शाबासी, कोरोना के दौर में एनएसएस ने उठाया ग्रामीण छात्रों को पढ़ाने का जिम्मा
Give thanks to this initiative झारखंड के घाटशिला कॉलेज के छात्रों ने सराहनीय कदम उठाया है। आॉनलाइन क्लास से वंचित बच्चों को इसका लाभ मिल रहा है। घाटशिला अनुमंडल के गांवों में कोविड नियमों का पालन करते हुए कक्षाएं ली जा रही हैं। छात्रों को क्रेडिट अंक मिलेगा ।
जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव/राजेश चौबे। कोरोना संक्रमण के बढ़ते संक्रमण के कारण सरकार की ओर से स्कूल- कालेज बंद हो गए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूली बच्चों पर दिखाई पड़ रहा है। मोबाइल नहीं रहने के कारण वे ऑनलाइन कक्षाओं से भी वंचित हो रहे हैं। ऐसे में घाटशिला कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई ने अपने स्तर से कदम उठाते हुए ग्रामीण छात्रों को पढ़ाने की एक कार्ययोजना तैयार की है।
इस कार्ययोजना पर अमल भी प्रारंभ हो गया है। पिछले तीन दिनों से एनएसएस के स्वयंसेवक ग्रामीण बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। यह कार्य डुमरिया प्रखंड के बारेडीह, चाकुलिया के सबसे पिछले क्षेत्र कालाझोर, घाटशिला के बुरुडीह, बड़ाजुड़ी मुसाबनी के कासतोमगोड़ा और जादूगोड़ा में प्रारंभ हो चुका है। कॉलेज के विद्यार्थियों का यह प्रयास निश्चित ही सराहनीय है। उम्मीद है कि ऐसे प्रयास जल्द ही दूसरे गांव में भी शुरू होंगे। घाटशिला महाविद्यालय एनएसएस इकाई का यह प्रयास है कि कोरोना संक्रमण के दौर में ग्रामीण बच्चे अपनी पढ़ाई से जुड़े रहे। कॉलेज के विद्यार्थी भी अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। कोरोना की इस दूसरी लहर ने फिर से विकट स्थिति पैदा कर दी है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूली बच्चों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ रही है। इस कारण बच्चों को पढ़ाने का कार्य प्रारंभ किया गया है। इस कार्य के लिए कॉलेज के छात्रों के पास अपना क्रेडिट अंक भी सुधारने का मौका है। छात्र व स्वयंसेवक जितनी देर बच्चों को पढ़ाने में मदद करेंगे उतनी देर का समय एनएसएस की डायरी में इंट्री की जाएगी और घर में रहकर भी एनएसएस की गतिविधियों का हिस्सा बने रहेंगे। बाकी दूसरे विद्यार्थी भी बच्चों को पढ़ाने का साक्ष्य अपने पास रखे आपका विभाग आपको भी अलग से क्रेडिट अंक देगा।
सुबह सात से शाम चार बजे तक बच्चों के समय के अनुसार होती है पढ़ाई
डुमरिया की स्वयंसेवक सोनाली मुर्मू, चाकुलिया की फुलमणि मुर्मू , जादूगोड़ा इति गोप, मुसाबनी कासतोमगोड़ा के सुपाई सोरेन, घाटशिला के राहुल दत्ता, भागीरथ गोप ने बताया कि वे लोग ग्रामीण बच्चों के समय के अनुसार पठन-पाठन का कार्य अपने ही गांव में करते हैं। बच्चे सुबह सात बजे से शाम चार बजे के बीच कभी भी आते हैं। उन बच्चों को शारीरिक दूरी का पालन करते हुए उन्हें शिक्षा दी जाती है। इन क्षेत्रों के 80 प्रतिशत बच्चों के पास मोबाइल फोन नहीं है। इन स्वयंसेवकों ने बताया कि यह कार्य करने की प्रेरणा उन्हें एनएसएस पदाधिकारी प्रोफेसर इंदल पासवान से मिली।
बच्चों की पढ़ाई जारी रहे, इस कारण स्वयंसेवक कर रहे यह कार्य
एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो. इंदल पासवान।
इस संबंध में घाटशिला महाविद्यालय एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो. इंदल पासवान ने स्वयंसेवकों से कहा कि एक प्रयास करके तो देंखें आप एक बड़े बदलाव का वाहक बनेंगे। बस इसी वाक्य ने स्वयंसेवकों को काफी प्रभवित किया और वे ग्रामीण बच्चों को पढ़ाने लगे। उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की पढ़ाई लगभग समाप्त सी हो गई है। पठन-पाठन का कार्य पूरी तरह कोविड नियमों का पालन करते हुए गांव के किसी भी स्थान पर किया जा रहा है।