Girl Player abuse Case: बुद्धू पंडित के लाइसेंसी हथियारों पर उठ रहे सवाल, कहीं गलत हाथों में तो नहीं पड़ गए

Girl Player abuse Case ओमकारा फिल्म में बिपासा बसु पर फिल्माया गया गीत बीड़ी जलइले जिगर से पिया जिगर मा बड़ी आग है.. आफिसर्स क्लब लान में मेहंदी की रस्म समारोह में उपस्थित लोगों पर भारी पड़ा था। गाने के दौरान फायरिंग हुई।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 09:49 AM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 09:49 AM (IST)
Girl Player abuse Case: बुद्धू पंडित के लाइसेंसी हथियारों पर उठ रहे सवाल, कहीं गलत हाथों में तो नहीं पड़ गए
अभियुक्त संजय मिश्रा उफ बुद्धू पंडित की फाइल फोटो।

दिनेश शर्मा, चक्रधरपुर : खिलाड़ी युवती के यौन शोषण एवं ब्लैकमेल किए जाने के मामले में दैनिक जागरण ने अपनी पड़ताल के दौरान एक के बाद एक कइ खुलासे किए। इस क्रम में अभियुक्त संजय मिश्रा उफ बुद्धू पंडित की लाइसेंसी दोनाली बंदूक से चली गोली में एक रेलकर्मी की जान चली गई थी। खिलाड़ी युवती के यौन शोषण व ब्लैक मेल के आरोप में गिरफ्तार संजय मिश्रा पर गैर इरादतन हत्या का भी आरोप लग चुका है।

चार दिसंबर, 2006 की रात रेलवे आफिसर्स क्लब में मेहंदी की पार्टी में हुए गोलीचालन व इससे एक व्यक्ति की मौत व एक चिकित्सक के घायल होने के बाद चक्रधरपुर थाने में इस संबंध में मामला दर्ज किया गया था। चक्रधरपुर थाने में कांड संख्या-152/06 भारतीय दंड विधान की धारा 304, 34 व शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत संजय मिश्रा उर्फ बुद्ध पण्डित व एक अन्य के विरुद्ध दर्ज किया गया था। इस संबंध में पार्टी के आयोजक कमल टेन्ट हाउस के मालिक राजेश आजमानी के बयान पर मामला दर्ज किया गया। ओमकारा फिल्म में बिपासा बसु पर फिल्माया गया गीत बीड़ी जलइले जिगर से पिया जिगर मा बड़ी आग है.. आफिसर्स क्लब लान में मेहंदी की रस्म समारोह में उपस्थित लोगों पर भारी पड़ा था। गाने के दौरान फायरिंग हुई और रेलकर्मी एके सरकार व रेलवे के चिकित्सक श्याम सोरेन घायल हो गए थे। घायल रेलकर्मी एके सरकार की चिकित्सा के दौरान टेल्को अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी।

पटाखे से घायल होने की शुरू में कही बात

इस मामले में आरंभ में तो पार्टी के आयोजकों ने पटाखे से घायल होने की बात कहकर इलाज शुरू करवाया, लेकिन मामले की छानबीन तत्कालीन डीएसपी एपी डुंगडुंग द्वारा किए जाने के बाद एक-एक कर सारी परतें खुलनी शुरू हो गयी। रेलकर्मी एके सरकार के शरीर पर छर्रे के पैंतीस घाव थे। संजय मिश्रा के नाम एक रिवाल्वर व एक बंदूक का लाइसेंस है। इस घटना के बावजूद पुलिस ने उनका लाइसेंस निरस्त करने के लिए कोई काम नहीं किया। नतीजन संजय मिश्रा लाइसेंसी हथियारों का गलत प्रयोग के आदि हो गए।

पुलिस ने अबतक नहीं किया हथियार बरामदगी का प्रयास

हथियार दिखाकर लोगों को भयभीत करने व डराने धमकाने के कई मामले हुए, जिनमें बीच बचाव कर समझौता करवा दिया गया। अब जबकि पिछले पचीस अक्टूबर से ताजा मामले में चाइबासा जेल में बंद होने के बावजूद पुलिस ने इस बात की सुध नहीं ली है कि दोनों हथियार कहां है। पुलिस की अक्षम्य लापरवाही के कारण संभव है ये हथियार गलत हाथों में पड़ चुके हों। बहरहाल, अब बिना देर किए पुलिस को तत्काल हथियारों की बरामदगी का प्रयास करना चाहिए।

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