खतरे में गदरा के ढापू तालाब का अस्तित्व
गदरा का ढापू तालाब तीस साल से ज्यादा दिनों का है आज उसे बचाने के लिए जन प्रतिनिधि आगे आए हुए हैं। तालाब को यहां के वशिदे धरोहर के रूप में देखते हैं। यहां छठ पूजा से लेकर अन्य आयोजन होते हैं।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : गदरा का ढापू तालाब तीस साल से ज्यादा दिनों का है, आज उसे बचाने के लिए जन प्रतिनिधि आगे आए हुए हैं। तालाब को यहां के वशिदे धरोहर के रूप में देखते हैं। यहां छठ पूजा से लेकर अन्य आयोजन होते हैं।
कुछ असमाजिक तत्व भी हैं जो तालाब को भरने की फिराक में लगे हुए हैं। गंदे पदार्थ से लेकर कूड़ा-कचरा इसमें फेंकते हैं तथा मविशियों में इसमें नहलाकर इसे गंदा करने में लगे हुए हैं। इधर, कुछ वर्षों से जन प्रतिनिधियों के अलावा स्थानीय लोग इस तालाब को बचाने व इसे स्वच्छ बनाए रखने के लिए मुहिम चलाए हुए हैं।
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टाटा मोटर्स के पहले एक्सेवेटर से से हुई है तालाब की खुदाई
टाटा मोटर्स में एक्सेवेटर डिवीजन था। उसमें पहला एक्सवेटेर बना। निर्माण उपकरण वाली इस मशीन से जांच के तौर पर गदरा में खुदाई की गई। कंपनी की पहली एक्सेवेटर से यह तालाब खुदाई हुई। तालाब का जमीन ढापू हेम्ब्रम नामक व्यक्ति था, इसी वजह से इसका नाम ढापू तालाब हो गया। सरकारी निधि से इस तालाब के किनारे चारों ओर इंटीकरण किया गया है। तालाब की जमीन करीब तीन एकड़ होगी।
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स्थानीय जिला परिषद उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह अपने निजी खर्ज से तालाब की साफ-सफाई कराते हैं। कुछ लोग तालाब में गंदगी फैलाते हैं, जिन पर लगाम कसना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने से तालाब का अस्तित्व मिट जाएगा।
-महेंद्र यादव, गदरा, स्थानीय वासी
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तालाब में मूर्ति विसर्जन से लेकर उसमें सड़े-गले पदार्थ डाले जाते हैं। स्थानीय लोगों को इस पर नजर रखना चाहिए ताकि कोई इसमें मवेशी को नहीं नहलाए तथा तालाब को स्वच्छ बनाए रखने में मदद पहुंचाए।
नरेंद्र सिंह बस्तीवासी
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यह तालाब बस्तीवासियों की धरोहर है। बस्ती बसने के समय से पूर्व तालाब की खुदाई हुई है। इसे बचाने का संकल्प लेना चाहिए। तालाब के चारों ओर साफ-सफाई कराने की पहल होगी।
-हेमंत खालको, पूर्व मुखिया, मध्य गदरा पंचायत