Venom Collection Center in Jamshedpur : जमशेदपुर में टाटा स्टील के साथ मिलकर वेनम कलेक्शन सेंटर खोलेगा वन विभाग
Venom Collection Center in Jamshedpur. वेनम कलेक्शन सेंटर के लिए सीएल व एलडब्ल्यू के परमिशन की आवश्यकता है। यह कलेक्शन सेंटर वह टाटा स्टील के सौजन्य से खोलेंगे जहां सांपो को 3 महीने के लिए रखा जाएगा। उनके जहर को संग्रहित किया जाएगा।
चाईबासा, जासं। आने वाले समय में वन विभाग जमशेदपुर में सांप का जहर एकत्रित करने के लिए वेनम कलेक्शन सेंटर खोलेगा। सेंटर खोलने को लेकर टाटा स्टील से बात चल रही है। यह जानकारी पोड़ाहाट डीएफओ नितिश कुमार ने गुरुवार को चाईबासा के वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय में सांपों को बचाने व पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए दिये गये प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कहीं।
बताया कि वेनम कलेक्शन सेंटर के लिए सीएल व एलडब्ल्यू के परमिशन की आवश्यकता है। यह कलेक्शन सेंटर वह टाटा स्टील के सौजन्य से खोलेंगे जहां सांपो को 3 महीने के लिए रखा जाएगा। उनके जहर को संग्रहित किया जाएगा फिर वापस उन्हें भयमुक्त वातावरण में छोड़ दिया जाएगा। वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय में चले प्रशिक्षण कार्यक्रम में 14 वन प्रमंडलों के 60 उप परिसर पदाधिकारी व अन्य लोगों ने शिरकत की। इस प्रशिक्षण में सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा, पोड़ाहाट वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री नीतीश कुमार, संलग्न पदाधिकारी श्री प्रजेश जेना, सेवानिवृत्त वन क्षेत्र पदाधिकारी श्री शिव नारायण विश्वकर्मा व अन्य लोग मौजूद थे।
सांप को मारे नहीं, उसे नुकसान पहुंचाना अपराध : चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा
सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए रेस्क्यू किए गए सांपों को लाया गया है। प्रशिक्षण के उपरांत उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वन और वन्य जीवो के प्रति संवेदनशील बने। सांपों को देखने के बाद डरे नहीं उन्हें जाने का रास्ता दे, सांपों को मारे नहीं, सांप को नुकसान पहुंचाना भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन अपराध की श्रेणी में आता है , इसमें सजा का भी प्रावधान है।
अगर सांप के काटने से चीरा हुआ निशान दिखाई दे तो व्यक्ति सुरक्षित : एनके सिंह
सर्प विशेषज्ञ एनके सिंह ने बताया कि सरकार को रेस्क्यू सेंटर बनानी होगी जहां रेस्क्यू किए गए सांपों को उनके स्वस्थ होने तक रखा जाए। स्वस्थ होने के उपरांत उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाए। सिंह ने सांपो को नुकसान नहीं पहुंचाने व पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए बहुत सारी तकनीक बतायी। उन्होंने बताया कि सांप डरपोक प्रजाति का जानवर है। सांपों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करें। सांपों की ज्यादा होने से पर्यावरण संतुलित रहता है। उन्होंने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम क्षेत्र में चित्ति सांप बहुतायत में हैं। वे हेमोटॉक्सिन होते हैं। उसके काटने के बाद दो छोटा बिंदु के समान काला निशान पड़ जाते हैं। इसके काटने पर व्यक्ति की मृत्यु जल्दी हो सकती है। वहीं कोबरा जो न्यूरोटोक्सीन होते हैं उसके काटने पर नीला निशान पड़ जाते हैं। अगर सांप के काटने पर चीरा हुआ निशान दिखाई देता है तो सांप ने उसे खाने वाले दांत से काटा है जिससे सांप का विष मनुष्य में प्रवेश नहीं किया है और व्यक्ति सुरक्षित हैं।