फुटबॉल कोच जुबैर आलम का निधन, खेल जगत में शोक की लहर

झारखंड फुटबॉल संघ के संयुक्त सचिव व टाटा स्टील फुटबॉल टीम के कोच जुबैर आलम (65) नहीं रहे। उन्होंने सोमवार को टीएमएच में अंतिम सांस ली। वह अपने पीछे एक पुत्र एक पुत्री व पत्नी सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 07:21 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 07:21 PM (IST)
फुटबॉल कोच जुबैर आलम का निधन, खेल जगत में शोक की लहर
फुटबॉल कोच जुबैर आलम का निधन, खेल जगत में शोक की लहर

जमशेदपुर : झारखंड फुटबॉल संघ के संयुक्त सचिव व टाटा स्टील फुटबॉल टीम के कोच जुबैर आलम (65) नहीं रहे। उन्होंने सोमवार को टीएमएच में अंतिम सांस ली। वह अपने पीछे एक पुत्र, एक पुत्री व पत्नी सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

उनकी असामयिक मौत की खबर सुन झारखंड के खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई। विनयी स्वभाव के जुबैर आलम टाटा स्टील के पूर्व कर्मचारी थे। खेल से उनका लगाव जगजाहिर था। उन्होंने झारखंड में फुटबॉल के विकास के लिए अपनी जिंदगी होम कर दी। टाटा स्टील से सेवानिवृत्त होने के बाद भी फुटबॉल से उनका प्यार बना रहा।

वह पूर्वी भारत की प्रतिष्ठित फुटबॉल लीग में से एक जमशेदपुर स्पोर्टिंग एसोसिएशन से लंबे समय तक जुड़े रहे। एक खिलाड़ी के अलावा कोच के तौर पर भी वह सफल रहे। जेएसए फुटबॉल लीग में उनके नेतृत्व में टाटा स्टील ने कई बार चैंपियन का सेहरा अपने सिर बांधा। वह दस लगभग दस सालों तक टाटा स्टील फुटबॉल टीम के कोच रहे। 1978 में जेएसए फुटबॉल लीग से अपनी करियर की शुरुआत करने वाले जुबैर आलम संतोष ट्रॉफी में बिहार व झारखंड की टीमों को कोचिंग भी दी। वह लंबे समय से झारखंड फुटबॉल संघ से भी जुड़े थे। उन्होंने रेफरी सब कमेटी का भी नेतृत्व किया। जमशेदपुर सहित झारखंड में फुटबॉल के विकास में उनके योगदान को कतई भुलाया नहीं जा सका।

जमशेदपुर एफसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुकुल विनायक चौधरी ने शोक संवेदना प्रगट करते हुए कहा, हमने कभी नहीं सोचा था कि वे इस तरह दुनिया को अलविदा कर देंगे। आज भी उनका मुस्कुराता चेहरा नजरों से हट नहीं रहा है। जमशेदपुर एफसी हो या फिर जेएसए फुटबॉल लीग के आयोजन की बात, वह हर समय आगे बढ़कर जिम्मेवारियों का निर्वाह करते थे। उनके जाने से झारखंड फुटबॉल में जो रिक्त स्थान पैदा हुआ है, उसे भरा नहीं जा सकता।

पूर्व फीफा रेफरी विनोद कुमार ने कहा, उनकी मौत की खबर सुन हतप्रभ हूं। मैं कभी नहीं सोचा था कि वह यूं चले जाएंगे। हमदोनों जब भी मिलते थे, फुटबॉल के विकास पर ही चर्चा होती थी।पिछले तीन दशक तक हमने सुख दुख में एक दूसरे के साथ खड़े रहे।आज वे चले गए तो खुद को अकेला महसूस कर रहा हूं।

झारखंड हैंडबॉल संघ के सचिव खुर्शीद खान ने कहा कि कुछ दिन पहले ही उनसे मिला था। वह स्वस्थ नजर आ रहे थे। वह झारखंड फुटबॉल के पर्याय थे। उनकी कमी हमेशा खलेगी। झारखंड हैंडबॉल संघ के फिरोज खान ने कहा, जुबैर भाई मिलनसार थे। वह दुश्मनों से भी गले मिलने में विश्वास रखते थे। उनका इस तरह जाना अखर गया। हैंडबॉल कोच हसन इमाम मलिक ने कहा, जुबैर भाई मेरे लिया पितातुल्य थे। उनका इस तरह जाना हम सभी को झकझोर दिया।

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