पहले General Motors अब Ford, आखिर दुनिया के ऑटो दिग्गजों के लिए भारत कब्रगाह क्यों बन रहा है

Ford Exit क्या कभी आपने सोचा है कि एक के बाद एक दिग्गज ऑटो कंपनियां भारत क्यों छोड़ रही है। चार साल पहले जनरल मोटर्स ने बाय-बाय कहा अब फोर्ड ने भारती से दूरी बना ली। ऐसे में टाटा मोटर्स जैसी स्वदेशी कंपनियों के लिए बाजार खुला हुआ है...

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 06:11 PM (IST)
पहले General Motors अब Ford, आखिर दुनिया के ऑटो दिग्गजों के लिए भारत कब्रगाह क्यों बन रहा है
आखिर दुनिया के ऑटो दिग्गजों के लिए भारत कब्रगाह क्यों बन रहा है

जमशेदपुर, जासं। पहले जनरल मोटर्स या जीएम और अब फोर्ड जैसी दुनिया की ऑटो दिग्गज कंपनियां भारत में गच्चा क्यों खा रही हैं। दरअसल, भारत छोटी कारों का बड़ा बाजार है, जबकि दुनिया की नामी कंपनियां बड़ी कारों के लिए प्रसिद्ध हैं। आज हुंडई, फोर्ड और जनरल मोटर्स (संख्या के आधार पर) से बड़ी कार निर्माता बन गई है। जनरल मोटर्स (जीएम) ने चार साल पहले भारत छोड़ दिया था।

फोर्ड के पास बाजार का दो प्रतिशत से भी कम हिस्सा है। विश्व की नंबर-1 (वोक्सवैगन) अपनी सहायक कंपनी स्कोडा के साथ बमुश्किल एक प्रतिशत है। शीर्ष चार कंपनियों में टोयोटा सबसे सफल रही है, लेकिन बाजार में इसकी हिस्सेदारी बमुश्किल तीन प्रतिशत है। टोयोटा ने भी टैक्स की दर ज्यादा होने को वजह बताते हुए पिछले साल भारत में और निवेश रोकने की घोषणा की थी। इसने दो तीन-बॉक्स मॉडल, इटियोस व कोरोला आल्टिस का उत्पादन बंद कर दिया है। होंडा ने भी सिविक और एकॉर्ड का उत्पादन बंद कर दिया है।

भारत कम कीमत वाली कारों का बाजार

एक बार फिर बता दें कि भारत ना केवल छोटी कारों का बड़ा बाजार है, बल्कि कम कीमत वाली कारों का भी बड़ा बाजार है। ऐसी कार, जिसकी रनिंग कॉस्ट कम है, यहां टिकेगी। बड़ी वैश्विक कंपनियों के पास ऐसे मॉडल नहीं हैं जो उस ढांचे में फिट हों, क्योंकि अधिकांश दुनिया बड़ी कारों के लिए जाती है। केवल मारुति और हुंडई (जिनके पास बाजार का दो तिहाई हिस्सा है) के पास सफल मॉडल हैं।

जीएम ने स्टेड ओपल बैज से शेवरले में स्विच करने के बाद छोटे-कार मॉडल पेश किए थे, जो उसके भागीदारों के पास दक्षिण कोरिया और चीन में थे। वे शेवरले छवि के साथ फिट नहीं हो रहे थे। मारुति की सबसे ज्यादा बिकने वाली ऑल्टो से मुकाबला करने के लिए न तो फोर्ड और न ही टोयोटा या बीएमडब्ल्यू या होंडा के पास कार है, जिसने तीन लाख रुपये की कीमत के साथ एंट्री-लेवल बाजार पर राज किया है। भारत के उपभोक्ता बाजारों में अधिकांश वैश्विक बड़ी कंपनियों को पता नहीं है कि कम कीमत में कार कैसे बनाई जाती है।

अब स्टाइलिश कार की डिमांड

भारत में भी बाजार बदल रहा है। अब यहां के उपभोक्ता सस्ते कार की जगह स्टाइलिश कार की मांग करने लगे हैं। प्रमुख हैचबैक अब बड़े अधिक फीचर से भरे मॉडल हैं जैसे कि हुंडई से आइ-20, सुजुकी से स्विफ्ट और बलेनो और टाटा मोटर्स की टियागो और अल्ट्रोज़ ने स्टाइलिश व फीचरयुक्त कार के रूप में स्थापित हो रहे हैं। ये हैचबैक छह से 10 लाख रुपये की कीमत में हैं। यहां वैश्विक प्रमुख प्रतिस्पर्धा कर सकते थे, लेकिन उन्होंने पहले ही मैदान छोड़ दिया है। इस बीच हुंडई-समूह इकाई, किआ मोटर्स ने मिनी-एसयूवी मॉडल के साथ भारत में प्रवेश किया है और अब बाजार में तीसरे स्थान (मारुति और हुंडई के बाद) के लिए टाटा और महिंद्रा के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही है।

मारुति अब भी हवा में भर रही उड़ान

भारत के बाजार में मारुति अब भी अपने नाम के अनुरूप हवा में उड़ान भर रही है। इसके स्वामित्व को कोई भी चुनौती नहीं दे पाया है। फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और दक्षिण कोरिया में भी ऐसा ही है। वहां भी शुरुआती स्थानीय कार निर्माता हावी हैं। होंडा सिटी के खिलाफ अपनी सियाज सेडान के साथ आगे बढ़ने में मारुति की विफलता। यह एक कठिन दुनिया है और प्रत्येक बाजार और प्रत्येक खंड में सफलता अर्जित करनी होती है।

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