प्राइवेट स्कूलों में फर्जी एडमिशन के मामले में झारखंड में पहली बार पूर्वी सिंहभूम में प्राथमिकी

FIR in Jharkhand private schools. निजी स्कूलों में फर्जी तरीके से नामांकन की जांच पिछले एक माह से चल रही थी। मंगलवार को इस मामले में नया मोड आया। मामले में पहली बार शिक्षा विभाग द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई। यह झारखंड का पहला मामला है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 05:23 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 05:23 PM (IST)
प्राइवेट स्कूलों में फर्जी एडमिशन के मामले में झारखंड में पहली बार पूर्वी सिंहभूम में प्राथमिकी
यह झारखंड का पहला मामला है, जिसमें प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर के निजी स्कूलों में फर्जी तरीके से बीपीएल कोटे से कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के बच्चों के नामांकन की जांच पिछले एक माह से चल रही थी। मंगलवार को इस मामले में नया मोड आया। मामले में पहली बार शिक्षा विभाग द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई। यह झारखंड का पहला मामला है, जिसमें प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

इस मामले का खुलासा छह फरवरी को ही एंटी करप्शन एंड क्राइम ब्यूरो ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों ने मिलकर एसएसपी से किया था। उन्होंने एसएसपी के समक्ष एक वीडियो भी प्रस्तुत किया था जिसमें बिचौलियों द्वारा साफ-साफ कहा जा रहा था कि उनके द्वारा शहर के हर स्कूलों में बीपीएल कोटे में एडमिशन दिलवाया जाता है। यह मामला जिला प्रशासन तक पहुंचा। जिला प्रशासन के आदेश बाद जांच प्रारंभ हुई। एक माह तक जांच प्रक्रिया चलने तथा जांच की धीमी रफ्तार पर सवाल उठने लगे थे कि अचानक उलीडीह थाना में मंगलवार को प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सुब्रता महतो ने आरोपी वायरल वीडियो में बच्चों के एडमिशन का दावा करवाने वाले दीपक देव और महिला वर्षा सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया गया। इन दोनों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर स्कूलो से साठ-गांठ कर बीपीएल कोटे में एडमिशन दिलवाने का काम किया है। यह मामला उजागर होने के बाद से दोनों आरोपित फरार चल रहे हैं। उम्मीद है कि एफआइआर होने के बाद जांच में और तेजी आएगी।

फर्जी प्रमाण पत्र से हुआ था दीपक की बेटी का एडमिशन

जांच में शिक्षा विभाग को यह जानकारी भी मिली कि आरोपी दीपक देव द्वारा शहर के एक स्कूल में बीपीएल कोटे में अपनी बेटी का नामांकन कराया है। जांच कराई गई तो पता चला कि उनके द्वारा जमा किया गया आय प्रमाण पत्र फर्जी है। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की टीम ने इस आधार पर अन्य स्कूलों में भी जांच प्रारंभ की गई।

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