जोहार कर रहे किसान, बन रहे आत्मनिर्भर

पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड के दामपाड़ा क्षेत्र में जोहार परियोजना के जरिये उन्नत पद्धति की खेती कर किसान अपनी तकदीर बदलने में लगे हैं। मुड़ाकाठी गांव के किसान सोरेन दंपती के पास जीविकोपार्सन का एक मात्र जरिया खेती है..

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 06:38 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 06:38 AM (IST)
जोहार कर रहे किसान, बन रहे आत्मनिर्भर
जोहार कर रहे किसान, बन रहे आत्मनिर्भर

संसू, घाटशिला : पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड के दामपाड़ा क्षेत्र में जोहार परियोजना के जरिये उन्नत पद्धति की खेती कर किसान अपनी तकदीर बदलने में लगे हैं। मुड़ाकाठी गांव के किसान सोरेन दंपती के पास जीविकोपार्सन का एक मात्र जरिया खेती है। सुनील सोरेन एवं उनकी पत्नी धानी सोरेन ने बताया पहले तकलीफों से जूझते हुए डेढ़ बीघा जमीन पर धान के साथ साथ सब्जियों की खेती करते थे लेकिन साप्ताहिक हाट बाजारों में बेचने पर भी कुछ खास आमदनी नहीं होती थी किसी तरह परिवार का भरण पोषण हो पाता था। अचानक उम्मीद की किरण जगी और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रही जोहार परियोजना से रूबरू हुए। जिसके तहत लाभ मिलने लगा। संस्था के सहयोग से करीब 1.47 लाख रुपये की अनुदान राशि से सर्दियों के मौसम में सब्जियों की खेती के लिए ग्रीन हाउस विभिन्न प्रकार की सब्जियों की छोटे छोटे पौधों में पानी के पटवन के लिए पंप सेट के अलावा सरसों, टमाटर, गोभी, समेत अन्य किस्म की सब्जियों का चारा भी उपलब्ध करा रही है। इतना ही नहीं किसानों को अपना सही अधिकार मिले इसके लिए बाजार भी मुहैया करा रही है। ग्रीन हाउस के निर्माण से सब्जियों को तेज धूप से बचाने में कारगर साबित होती हैं। इससे सब्जियों की ज्यादा पैदावार होने के साथ साथ पोषक तत्व भी बरकरार रहते हैं। जिसका नतीजा है कि आज समय के अनुरूप दिन प्रतिदिन बढ़ती मांग के साथ ही सब्जियों को बाजारों में बेचने से अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। दिन प्रतिदिन सब्जियों की आसमान छूती कीमतों के दौर में अब धीरे धीरे सभी किसानों को ज्यादा से ज्यादा उन्नत विधि से खेती करने की जरूरत है ताकि लोगों को आसानी से कम कीमतों पर सही पोषक तत्व मिल सके।

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