आटोमोबाइल व स्टील सेक्टर में उत्पादन के लिए पहले की तरह चीन से आ रहा कच्चा माल व कल-पुर्जे

केमिकल व मेडिकल के अलावा आटोमोबाइल व स्टील सेक्टर में उत्पादन के लिए आवश्यक ज्यादातर कच्चा माल और कल-पुर्जे चीन से आ रहे हैं। फाउंड्री के उत्पाद भी आ रहे हैं। उद्यमियों को चीन का विकल्प नजर नहीं आ रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 12:15 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 12:15 PM (IST)
आटोमोबाइल व स्टील सेक्टर में उत्पादन के लिए पहले की तरह चीन से आ रहा कच्चा माल व कल-पुर्जे
झारखंड के आैद्योगिक क्षेत्र की तस्वीर। फाइल फोटो

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर। पिछले साल 15 जून को गलवन घाटी में चीनी व भारतीय सेना में लड़ाई हुई थी, जिसमें हमारे 20 जवान बलिदान हो गए थे। इस घटना के बाद देश में चीन के प्रति नफरत का भाव फैल गया था। यहां के उद्यमियों ने भी कहा था कि हम चीन से व्यापार नहीं करेंगे, कोई माल नहीं मंगाएंगे, लेकिन अब उद्यमियों को चीन का विकल्प नजर नहीं आ रहा है।

इस संबंध में सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अशोक भालोटिया बताते हैं कि चीन के प्रति हमारे दृष्टिकोण में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन हमारे पास विकल्प भी नहीं है। उस वक्त कोरोना की वजह से कंपनियों का उत्पादन भी 30-40 प्रतिशत था, इसलिए काम चल गया। अब जब उत्पादन की गति एक बार फिर बढ़ने लगी है, तो कच्चे माल की आवश्यकता बढ़ गई है। चीन से सस्ता और अच्छा माल हमें किसी देश से नहीं मिलता, तो क्या करें। कोई भी उद्यमी कमाने के लिए ही पूंजी लगाता है। हमें जहां से समय पर सस्ता और अच्छा मिलेगा, खरीदना मजबूरी है। ग्राहक भी यही चाहता है कि उसे कम कीमत में अच्छी चीज मिले। आज देश में केमिकल व मेडिकल के अलावा आटोमोबाइल व स्टील सेक्टर में उत्पादन के लिए आवश्यक ज्यादातर कच्चा माल और कल-पुर्जे चीन से आ रहे हैं। फाउंड्री के उत्पाद भी आ रहे हैं। देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां चीन से माल मंगा रही हैं, तो हमारी क्या बिसात है। कम से उत्पादन क्षेत्र में अभी चीन की आवश्यकता भारत ही नहीं पूरी दुनिया को है।

केंद्र सरकार कर रही चीन से आयात को हतोत्साहित

आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक उद्यमी ने बताया कि दरअसल गलवन मुठभेड़ के बाद केंद्र सरकार ने आयात नियमों में एक नई चीज जोड़ दी है, जिसमें अब यह भी बताना है कि हम जो माल खरीद रहे हैं, वह मूल रूप से कहां का है। मसलन, हम थाईलैंड से कोई माल मंगा रहे हैं और वह चीन का उत्पाद है, तो हमें इस बात का उल्लेख करना होगा। इसके तहत सरकार उन उत्पादों का आयात हतोत्साहित करना चाहती है, जिसका विकल्प भारत में मौजूद है। इस प्रावधान के बाद चीन से कंज्यूमर प्रोडक्ट के आयात में काफी कमी आई है, लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पाद आवश्यकता के अनुसार आ रहे हैं।

उत्पादन क्षमता की वजह से चीन का माल सस्ता

एक अन्य उद्यमी ने बताया कि चीन का माल सस्ता क्यों है, इस पर शायद कभी विचार नहीं किया गया। चीन की उत्पादन क्षमता जबरदस्त है, जिसका कोई देश मुकाबला नहीं कर सकता। भारत में साल के लगभग चार महीने छुट्टी में चले जाते हैं, जिसमें मजदूर ड्यूटी पर नहीं रहते। यूरोपीय देशों में लगभग 15 दिन साल में छुट्टी रहती है, जबकि चीन में एक मई के अलावा कोई छुट्टी नहीं रहती। वहां की सभी कंपनियां साल के 364 दिन खुली रहती हैं। वहां मजदूर हड़ताल भी नहीं होती। अब आप जितनी भी टेक्नोलाजी लगा लें, मानवश्रम का कोई विकल्प नहीं है। हम चाहकर भी अपने देश की जरूरत के लायक उत्पादन नहीं कर पाते, जबकि वह अपने देश की जरूरत पूरी करने के बाद पूरी दुनिया को माल दे पाता है। मूल वजह यही है।

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