Corona Fighters: होम आइसोलेशन में रहते हुए 400 मरीजों का बढ़ाया हौसला, खुद भी जीती कोरोना से जंग
कोरोना वायरस से हमें डरने की नहीं बल्कि इससे लड़ने की आवश्यकता है। अगर हम सकारात्मक सोच और पूरी हिम्मत के साथ इसका मुकाबला करें तो यह डर हम पर हावी हो ही नहीं सकता क्योंकि सकारात्मक सोच और मजबूत मन हर परेशानी की चाबी है।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना को हराने के लिए एक नया प्रयोग किया जा रहा है, जो काफी हद तक सफल भी होते दिख रहा है। यह आइडिया अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) डॉ. साहिर पॉल को तब आया जब वे दूसरी बार कोरोना से संक्रमित हुए।
23 दिन पूर्व वे कोरोना से दूसरी बार संक्रमित हो गए। हालांकि, अब वे स्वस्थ हो चुके हैं। इस दौरान वह होम आइसोलेशन में रहे। मंगलवार को जिला सर्विलांस विभाग पहुंचे तो कर्मचारियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस दौरान डॉ. साहिर पाल ने अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा कि कोरोना से अधिक मानसिक डर मरीजों को नुकसान पहुंचा रहा है। मैं इसे बहुत नजदीक से महसूस किया हूं। इसे देखते हुए मैंने पॉजिटिव सोच को अपनाई। साथ ही दूसरे मरीजों को भी हौसला बढ़ाना शुरू किया। 23 दिन में लगभग 400 मरीजों को फोन कर उनका मनोबल बढ़ाया और कहा कि आज से मान लीजिए कि आपको कोरोना नहीं है। मन से ये बात बिल्कुल निकाल दीजिए। मुझे भी कोरोना हुआ है। मैं हार्ट व ब्लड प्रेशर का मरीज भी हूं। लेकिन, मेरे मन में कोरोना का भय थोड़ा भी नहीं है। मैं ऑफिस का सारा काम भी कर रहा हूं। जबकि मुझे कोरोना दूसरी बार हुई है। इस दौरान डॉ. साहिर पाल ने देखा कि उन्होंने जितने भी मरीजों से बात की उसमें किसी को भी अस्पताल जाने की नौबत नहीं आई। इसके खुद डॉ. साहिर पाल भी शामिल हैं।
डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत
कोरोना वायरस से हमें डरने की नहीं, बल्कि इससे लड़ने की आवश्यकता है। अगर हम सकारात्मक सोच और पूरी हिम्मत के साथ इसका मुकाबला करें तो यह डर हम पर हावी हो ही नहीं सकता, क्योंकि सकारात्मक सोच और मजबूत मन हर परेशानी की चाबी है। डॉ. साहिर पॉल ने जिला सर्विलांस विभाग को निर्देश दिया है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को फोन कर उनमें पॉजिटिव सोच विकसित करें। ताकि वे जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाए और अस्पताल जाने की नौबत नहीं आए।
निगेटिव एनर्जी बीमारी का मुख्य जड़
डॉ. साहिर पाल कहते हैं कि हमारी अपनी मानसिक स्थिति के अनुसार पॉजिटिव या निगेटिव एनर्जी उत्पन्न होती है। उसके अनुसार ही हमारे शरीर में हार्मोन पैदा होते हैं। 60 से 70 फीसद बीमारी का मूल कारण नकारात्मक विचार ऊर्जा का उत्पन्न होना है। आज मनुष्य गलत विचारों का भस्मासुर बना का विनाश कर रहा है। पांच वर्ष से लेकर 80 वर्ष के लोग निगेटिव हो गए हैं। उनके मन में सिर्फ गलत-गलत विचार चल रहे हैं जो उनको ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा हैं। आंकड़ों पर नहीं जाए। मृत्यु सिर्फ कोरोना से नहीं हो रही है बल्कि उन्हें अन्य बीमारियां भी थीं, जिसका मुकाबला वे कर नहीं सके। ऐसे में मन का भय दूर कीजिए, कोरोना को हराइए और आनंद से रहें।
स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदेशवासियों का बढ़ाया हौसला, कहा-बुरा वक्त है गुजर जाएगा
स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट कर प्रदेशवासियों का बढ़ाया हौसला।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी ट्वीट कर प्रदेशवासियों का हौसला बढ़ाया है। लिखा है-माना आज रास्ते कठिन हैं, मगर साथ निभाते चलना हैं। हर मंजिल पर हैं इम्तिहान जिंदगी की, मदद एक दूसरे की करते रहना है। हैं उम्मीद की रोशनी अभी दिखनी बाकी, अंधेरे रास्ते में कदम बढ़ाते साथ चलना है।
मनोचिकित्सक डॉ. दीपक गिरी का सलाह
- कोरोना से जुड़ी ज्यादा खबरें ना देखे ना सुने, आपको जितनी जानकारी चाहिए आप पहले से ही जान चुके हैं।
- कहीं से भी अधिक जानकारी एकत्र करने का प्रयास छोड़ें क्योंकि ये आपकी मानसिक स्थिति को और ज्यादा कमजोर ही करेगा।
- दूसरों को वायरस से संबंधित सलाह ना दें क्योंकि सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता एक सी नहीं होती, कुछ डिप्रेशन अर्थात अवसाद का शिकार हो सकते हैं।
- जितना संभव हो संगीत सुनें, अध्यात्म, भजन आदि भी सुन सकते है। कोरोना से ठीक होने के बाद बच्चों के साथ बोर्ड गेम खेलें, परिवार के साथ बैठकर आने वाले वर्षों के लिए प्रोग्राम बनाएं।
- अपने हाथों को नियमित अंतराल पर अच्छे से धोएं। सभी वस्तुएं की सफाई भी करें, किसी से भी मिले तो एक मीटर दूर रहे।
- आपकी नकारात्मक सोच-विचार की प्रवृति डिप्रेशन बढ़ाएगी और वायरस से लड़ने की क्षमता कम करेगी दूसरी ओर सकारात्मक सोच आपको शरीर और मानसिक रूप से मजबूत बनाकर किसी भी स्थिति या बीमारी से लड़ने में सक्षम बनाएगी ।
- विश्वास दृढ़ रखें कि ये समय शीघ्र ही निकलने वाला है और आप हमेशा स्वस्थ और सुरक्षित रहेंगे।