Jharkhand में पहली बार ड्रोन से हो रही पन्ना की खोज, ये रही पूरी जानकारी

Panna ki Khoj झारखंड के पूर्वी सिंहभूम में पहली बार 3 किलो भार वाले ड्रोन से पन्ना की खोज हो रही है। ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम व सेंसर से यह अनमैन्ड एरियल व्हीकल लैस है। भूतत्व निदेशालय के आदेश पर आठ भूतत्ववेताओं की टीम अन्वेषण के काम में लगी है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 08:50 AM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 09:27 AM (IST)
Jharkhand में पहली बार ड्रोन से हो रही पन्ना की खोज, ये रही पूरी जानकारी
ड्रोन का इस्तेमाल से मेहनत व समय दोनों की बचत होती है।

सुधीर पांडेय, चाईबासा। खनिज संपदा से भरपूर झारखंड में अब खनिज की खोज करने में सरकार ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रही है। खनन इलाके में पहली बार ड्रोन सर्वे हो रहा है। कोल्हान के पूर्वी सिंहभूम जिला के गुड़ाबांधा में पन्ना खनिज (इमराल्ड) के अन्वेषण के लिए खान एवं भूतत्व विभाग ड्रोन सर्वे करा रहा है। इस इलाके में 8 भूतत्ववेताओं की टीम 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ड्रोन से सर्वे कर रही है। झारखंड राज्य में पहली बार खनिज की ड्रोन सर्वे से जियोग्राफिकल मैपिंग हो रही है। यह ड्रोन तकरीबन 1 से डेढ़ घंटा तक लगातार उड़ान भर सकता है।

भूतत्व विभाग के पदाधिकारियों का कहना है कि यह एक प्रकार का अनमैन्ड एरियल व्हीकल है। डीजीसीए की गाइडलान के अनुसार ही हम लोग ड्रोन से माइनिंग एरिया में टोपोग्राफी और आउटक्रॉप मैपिंग का काम कर रहे हैं। तकरीबन 500 ग्राम का वजन लेकर यह उड़ सकता है। करीब तीन किलो के वजन वाले इस ड्रोन में हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगे हैं। सर्वेक्षण कार्य के दौरान इनमें एक्यूरेट वाल्यूम मापने की क्षमता है। यह जमीनी सतह की थ्रीडी जानकारी देने में सक्षम हैं। ड्रोन में एक सेंसर भी लगा है। ये सेंसर जमीन पर पड़ने के बाद वापस लौटने वाली सूर्य की किरणों को रीड कर लेते हैं। इसके जरिये खनिज की मौजूदगी का एक अंदाजा मिल जाता है। इसमें ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) भी लगा है।

हरियान, बारुनमुति व आसपास के इलाके में चल रहा सर्वे

भूतत्व निदेशालय की ओर से पूर्वी सिंहभूम जिलाअंतर्गत हरियान, बारुनमूति एवं निकटवर्ती क्षेत्र में पाये जाने वाले पन्ना खनिज संभावित क्षेत्र में खनिज संशोधन नियमावली 2021 में उल्लेखित मानकों के अनुरुप जी-4 स्तर के भूतात्विक अन्वेषण कार्य शुरू किया गया है। इसके लिए विभाग की ओर से एक दल का गठन किया गया है। इसके प्रोजेक्ट इंचार्ज भूतत्व विभाग के सहायक निदेशक ज्योति शंकर शतपथी है। इनके अलावा दक्षिणी छोटानागपुर अंचल के भूतत्ववेता अभिनेष कुमार, सरायकेला के जिला भूतात्विक कार्यालय के भूतत्ववेता जितेंद्र प्रसाद, जिला भूतात्विक कार्यालय के भूतत्ववेता सर्वेश, लोहरदगा के भूतत्ववेता संजीव कुमार, दक्षिणी छोटानागपुर के भूतत्ववेता सतीश चंद्र सिंह, जमशेदपुर के सर्वेक्षक जय प्रकाश नारायण और नवल किशोर सिन्हा भी सर्वे टीम में शामिल हैं।

पचीस वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मैपिंग

भूतत्व निदेशालय के निदेशक विजय कुमार ओझा ने बताया कि सर्वे टीम की ओर से सबसे पहले गुड़ाबांधा में हरियान, बारुनमूति एवं निकटवर्ती क्षेत्र में करीब 25 वर्ग किलोमीटर में ड्रोन की मदद से टोपोगाफिक एवं आउटक्राप मैपिंग करायी जा रही है। साथ ही साथ सरफेस मैपिंग का काम भी किया जा रहा है। जहां-जहां पन्ना खनिज की उपलब्धता नजर आ रही है, उसका सैंपल भी लिया जा रहा है। सैंपल को जांच के लिए एनएबीएल से मान्यता प्राप्त लैब में भेजा जायेगा। इसके बाद जियोलाजिकल रिपोर्ट तैयार कर सरकार के पास भेजी जायेगी। उसके आधार पर ही नीलामी यह अन्य प्रक्रियाएं शुरू की जायेंगी। इन सभी कार्याें का अनुश्रवण भूतत्व विभाग के अपर निदेशक शरद कुमार सिन्हा और उपनिदेशक कुमार अमिताभ कर रहे हैं। पूर्वी सिंहभूम के गुड़ाबांधा क्षेत्र में पन्ना के अन्वेषण के लिए पहली बार ड्रोन सर्वे कराया जा रहा है। ड्रोन का इस्तेमाल से मेहनत व समय दोनों की बचत होती है। 25 वर्ग किलोमीटर का मैनुअल सर्वे करने में कम से कम छह माह का समय लगता है। ड्रोन की मदद से यह सर्वे 10-12 दिन में ही पूरा हो जायेगा। यह सारा काम इस बेशकीमती पन्ना खनिज की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के लिए किया जा रहा है।

-विजय कुमार ओझा, निदेशक, भूतत्व निदेशालय, रांची।

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