बासाडेरा पहाड़ पर हाथियों ने डाला डेरा, सहमे ग्रामीण

पर्यटन स्थल बुरुडीह में हाथियों के झुंड के दस्तक से किसानों को परेशानी बढ़ गई है। झुंड में नर हाथी समेत 30 की संख्या में मादा हथनी भी शामिल हैं। यह क्षेत्र वन्य प्राणियों की आश्रयणी के रूप में जानी जाती है..

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 08:10 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 08:10 AM (IST)
बासाडेरा पहाड़ पर हाथियों ने डाला डेरा, सहमे ग्रामीण
बासाडेरा पहाड़ पर हाथियों ने डाला डेरा, सहमे ग्रामीण

संवाद सहयोगी, घाटशिला : पर्यटन स्थल बुरुडीह में हाथियों के झुंड के दस्तक से किसानों को परेशानी बढ़ गई है। झुंड में नर हाथी समेत 30 की संख्या में मादा हथनी भी शामिल हैं। यह क्षेत्र वन्य प्राणियों की आश्रयणी के रूप में जानी जाती है। दलमा एलिफेंट कॉरिडोर से हाथियों का झुंड झांटीझरना की पहाड़ी रास्तों से होते हुए बासाडेरा, बुरुडीह, केंदडांगा व कालापाथर गांव से सटे जंगलों में बुधवार की सुबह पहुंच चुके हैं। अब हाथियों का झुंड भोजन व पानी की तलाश में बुरुडीह की पहाड़ों से उतरकर किसानों के खेतों तक पहुंच गया है। ग्रामीण टॉर्च लाइट व आग जलाकर रातभर हाथियों के झुंड को खदेड़ने में जुटे रहे। फिलहाल हाथियों का झुंड बासाडेरा पहाड़ स्थित पाना झरना में डेरा जमाए हुए है। रेंजर दिनेश सिंह ने बताया कि हाथियों के झुंड पर नजर रखने के उद्देश्य से विशेष हाथी रोधक दस्ते का गठन किया गया है। साथ ही हाथियों द्वारा जिन किसानों के फसलों को नष्ट किया गया है, वे वन विभाग कार्यालय में लिखित आवेदन जमा करें, ताकि क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान किया जा सके। बाघ के हमले से बैल मरने की आशंका, दहशत में ग्रामीण : घाटशिला प्रखंड अंतर्गत बाघुडि़या पंचायत के मिर्गीटांड़ गांव स्थित घने जंगल मे बाघ के हमले से बैल मरने की आशंका जताई जा रही है। इस घटना से ग्रामीण दहशत में है। इस घटना की जानकारी के बाद बुधवार को घाटशिला वन क्षेत्र की टीम रेंजर दिनेश कुमार के नेतृत्व में गांव पहुंची। मिर्गीटांड़ के ग्रामीणों से उन्होंने विस्तृत जानकारी ली। इस क्रम में उन्होंने स्थल जांच भी किया। स्थल जांच के बाद वन विभाग की टीम व ग्रामीणों ने बाघ के हमले से बैल मरने की बात को अफवाह बताया। हालांकि ग्रामीण किसी जंगली जानवर के जंगल मे प्रवेश करने की बात से आशंकित हैं। वन विभाग की टीम में प्रभारी वनपाल संजय दास, सुभान महतो, वनरक्षी अनूप बेरा, अजित मुर्मू, ग्रामीण धानो किस्कू, बसेन हेंब्रम शामिल थे। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष भी इसी प्रकार की अफवाह से ग्रामीण परेशान थे। वन विभाग की ओर से पंजा का निशान लेकर जांच के लिए भेजा गया था, परंतु अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हुई।

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