एनएच पर अफसरों की पोल खोल रहे बिजली के 696 पोल
लौहनगरी में रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 33 के किनारे गड़े पोल अधिकारियों की पोल खोल रहे हैं।
मुजतबा हैदर रिजवी, जमशेदपुर : लौहनगरी में रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 33 के किनारे गड़े बिजली के 696 पोल अधिकारियों के रवैये की पोल खोल रहे हैं। पिछले साल अप्रैल से चल रही झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के पोल और दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) के बिजली के टावर हटाने की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। पहले तो जेबीवीएनएल ने बिजली के खंभे हटाने में आने वाले खर्च का आकलन करने में देर की। उसने 25 करोड़ के खर्च का आकलन कर दिया तो अब एनएचएआइ ये रकम जारी करने में देर कर रहा है। हद तो ये है कि डीवीसी आठ महीने बीत जाने के बाद भी अब तक अपने बिजली के टावर हटाने के खर्च का आकलन तक तैयार नहीं कर पाया है। सरकारी विभागों के इस रवैये के चलते ही लौहनगरी में एनएच 33 के चौड़ीकरण का काम ठप है।
जमशेदपुर में 379 करोड़ की लागत से एनएच 33 के 44.218 किलोमीटर लंबे चिलगू से महुलिया खंड के चौड़ीकरण का काम आयरन ट्रायंगल को मिला है। कंपनी ने यहां काम शुरू कर दिया है। लेकिन, शहर में पारडीह कालीमंदिर से डिमना चौक के आगे बालीगुमा तक एनएच के किनारे लगे बिजली के 696 खंभे चौड़ीकरण के काम में बाधक हैं। कंपनी का कहना है कि ये खंभे हटेंगे तभी तो नाला निर्माण तेजी से होगा। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि जहां खंभे नहीं हैं वहां वो नाला निर्माण के लिए खोदाई का काम कर रहे हैं। लेकिन, जब अतिक्रमण या खंभे व टावर हैं वहां खोदाई नहीं हो पा रही है। एनएचएआइ ने पिछले साल अप्रैल में ही बिजली विभाग को इन खंभों को हटाने का एस्टीमेट तैयार करने को कहा था। लेकिन, वहां से एस्टीमेट मिलने में देर हुई। जब, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने खंभे हटाने का 25 करोड़ का एस्टीमेट दे दिया है। लेकिन, दिल्ली स्थित एनएचएआइ हेडक्वार्टर ने अब तक ये रकम जारी नहीं की है। इस वजह से अब तक बिजली के खंभे हटाने का काम शुरू नहीं हो सका है।
डीवीसी के एस्टीमेट का हो रहा इंतजार : दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) को भी एनएच 33 के किनारे लगे अपने टावर हटाने होंगे। इसके लिए एनएचएआइ ने डीवीसी को पिछले साल ही पत्र लिखा था। डीवीसी से टावर हटाने में आने वाले खर्च का आकलन करने को कहा गया था। डीवीसी के अधिकारियों ने अब तक टावर हटाने में आने वाले खर्च का आकलन कर रिपोर्ट एनएचएआइ को नहीं दी है। इस वजह से भी बिजली के खंभे व टावर हटाने का काम ठप है।