केंद्र सरकार की नई पहल का देश के आठ करोड़ व्यवसायियों को मिलेगा फायदा, जानिए
देश के आठ करोड़ व्यवसायी भी एमएसएमई सेक्टर से जुड़ गए हैं। इसके लिए कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया है। ये रही पूरी खबर।
जमशेदपुर, जासं। कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने पिछले वर्ष केंद्र सरकार से मांग की थी कि देश के छोटे-बड़े सभी व्यवसायियों को मीडियम स्मॉल माइक्रो इंटरप्राइजेट (एमएसएमई) सेक्टर में शामिल करे। शुक्रवार दो जुलाई को संबधित मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने अधिसूचना जारी कर व ट्वीट के माध्यम से इसकी जानकारी सार्वजनिक की है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने इस पहल पर खुशी जताई है।
दोनों ने कहा कि आज देश के आठ करोड़ व्यवसायी भी एमएसएमई सेक्टर से जुड़ गए हैं। इसके लिए व्यापारिक संगठन के दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया है जिन्होंने एतिहासिक कदम उठाते हुए देश भर के व्यापारियों को इतना बड़ा उपहार दिया है। साथ ही कैट ने देश भर के व्यापारियों की ओर से केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का भी विशेष रूप से आभारी व्यक्त किया है जिन्होंने इस निर्णय में व्यापारियों के वकील बनकर दृढ़ता से एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाई। सोंथालिया का कहना है कि इस निर्णय से व्यापारी एमएसएमई श्रेणी के अंतर्गत आएंगे और प्राथमिकता के आधार पर उन्हें बैंकों व वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी। इसके अलावा अब व्यापारियों द्वारा विभिन्न सरकारी योजनाओं का भी लाभ एमएसएमई सेक्टर के रूप में उठा सकते हैं।
बसानी ने भी बताया मील का पत्थर
कैट के राष्ट्रीय सचिव का कहना है कि देश के व्यापारिक समुदाय, जो लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है और लगभग 115 लाख करोड़ का सालाना कारोबार करता है, उन सभी के लिए बहुत बडा दिन है। वहीं, सिंहभूम चैंम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव भरत वसानी ने भी सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि कोविड महामारी से प्रभावित व्यापारी अब बैंकों से आवश्यक वित्त प्राप्त करके अपने व्यवसाय को फिर से खड़ा कर पाने में सक्षम होंगे। इन व्यापारियों को बैंक पहले लोन देने में आनाकानी करती थी। सरकार का यह कदम न केवल अर्थव्यवस्था को बल्कि भारत के सबसे जीवंत खुदरा व्यापार को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।