तमाम प्रयासों के बावजूद हर साल होते हैं ड्रॉपआउट Jamshedpur News

तमाम तरह के प्रयास विभिन्न योजनाएं राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय अभियान के बावजूद पूर्वी ¨सहभूम जिले में बच्चे हर साल ड्रॉपआउट होते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। एक आंकड़े के मुताबिक हर साल 300-400 के बीच बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ रहे हैं।

By Edited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 01:21 AM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 08:20 AM (IST)
तमाम प्रयासों के बावजूद हर साल होते हैं ड्रॉपआउट Jamshedpur News
स्कूली बच्चों की प्रतीकात्मक तस्वीर। फाइल फोटो - जागरण

जमशेदपुर(जासं) । तमाम तरह के प्रयास, विभिन्न योजनाएं, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय अभियान के बावजूद पूर्वी ¨सहभूम जिले में बच्चे हर साल ड्रॉपआउट होते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। एक आंकड़े के मुताबिक हर साल 300-400 के बीच बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ रहे हैं। वर्ष 2019 की बात करें तो कुल 377 बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है। इस वर्ष अभी भी नामांकन का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। शिक्षा विभाग एवं जिला प्रशासन शून्य ड्रॉपआउट की बात तो करता है लेकिन, यह हो नहीं पाता। ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्र के स्कूलों में ड्रॉपआउट की संख्या ज्यादा है। ऐसा क्यों हो रहा है इसके बारे में कोई भी विभागीय पदाधिकारी या शिक्षक स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाते।

नियमत: पूर्वी सिंहभूम में प्राइमरी स्कूल तीन किलोमीटर के दायरे में हैं। मिडिल स्कूल भी आठ किलोमीटर के दायर में हैं। हाईस्कूल सरकारी नियम के अनुसार 10 किमी के दायरे में एक होना चाहिए। लेकिन, पूर्वी ¨सहभूम जिले में ऐसी कई पंचायतें हैं, जहां 15 किमी के दायरे में हाई स्कूल हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जो 10 किमी के दायरे में तो है, लेकिन भौगोलिक परिस्थिति के कारण बच्चे पांचवीं के बाद स्कूल जाने से कतराते हैं।

शैक्षणिक से ज्यादा अन्य कार्यो में व्यस्त रहते शिक्षक

स्कूलों में शैक्षणिक कार्यो ज्यादा पदस्थापित शिक्षक अन्य कार्यो में ही व्यस्त रहते हैं। पढ़ाई के तरीकों से ज्यादा किसी तरह पढ़ाई पूरी करने में लगे रहते हैं। वे अन्य कार्यो में मानसिक रूप से इतने थक जाते हैं कि बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ नया नही कर पाते हैं। शिक्षकों की कमी है, एक-एक शिक्षक दो-तीन विषय पढ़ाते हैं। हाईस्कूलों में स्थिति और बदतर हैं। शहरी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षक जाना नहीं चाहते हैं, जो जाते हैं वे जुगाड़ लाकर वापस भी आ जाते हैं। वर्षो ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले शिक्षक शहर आ ही नही पाते हैं। शिक्षा विभाग भी इनकी नहीं सुनता। स्थानांतरण के लिए यहां कोई नियम कानून नहीं है, जो जब चाहते हैं, उस हिसाब से स्थानांतरण हो जाता है। नवनियुक्त शिक्षकों ने हाई स्कूलों में पठन-पाठन की कमान ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में संभाल रखी है। 

क्यों होता है ड्रॉपआउट

आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी बच्चे उठाते हैं। -मां-बाप कार्य करने चले जाते हैं तो बच्चे घर का काम करते हैं, समय मिलता है स्कूल जाते है वरना नहीं। -परेशानियों को संभाल नहीं पाते अभिभावक तो बच्चे बनते है अभिभावकों का सहारा।

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