सरकार की घोषणा के बावजूद सबर परिवार को नहीं मिली नौकरी Jamshedpur News

नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुड़ाबांधा के षुड़ंगी गांव में रह रहे लुप्‍तप्राय सबर जनजाति का यह परिवार शिक्षित है और सरकार की ओर से इस परिवार को नौकरी देने की घोषणा की गई थी।

By Edited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 08:05 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 12:05 PM (IST)
सरकार की घोषणा के बावजूद सबर परिवार को नहीं मिली नौकरी Jamshedpur News
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धालभूमगढ़ (संवाद सूत्र)। सरकार की घोषणा के बाद भी एक शिक्षित सबर परिवार के किसी सदस्य को आज तक नौकरी नहीं मिली। सिर्फ यही नहीं, इस सबर परिवार को अब तक सरकार के किसी योजना का भी लाभ नहीं मिला। फिर भी इस परिवार ने हिम्मत नहीं हारी।

समाज के बीच सभी के साथ चलने के लिए सबसे पहले शिक्षा ग्रहण किया। यह परिवार है नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में चिन्हि्त गुड़ाबांधा प्रखंड में। इस प्रखंड के षुड़ंगी गांव में नारायण सबर का पूरा परिवार रहता है। नारायण ने 1992 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उस समय आदिम जनजाति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी। फिर भी उन्हें कोई सरकारी नौकरी नहीं मिली। झारखंड अलग राज्य निर्माण के बाद भी कुछ भी नहीं मिला। उनकी बेटी लक्ष्मी सबर ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। बीडीएसएल कॉलेज घाटशिला से ¨हदी प्रतिष्ठा में स्नातक किया। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्रवृत्ति का लाभ भी नहीं मिला। भारत सेवाश्रम संघ हरिणदुकड़ी ने उन्हें पढ़ाई में सहयोग किया। वह रेलवे व पुलिस भर्ती की परीक्षा में भी शामिल हुई। फिर भी नौकरी नहीं मिली। उसकी बहन मालती सबर व भाई प्रसाद सबर भी मैट्रिक पास है। फिर भी बेरोजगार हैं।

एक और भाई शिवचरण नौवीं कक्षा में पढ़ रहा है। पिता बकरी पालन करते हैं। लक्ष्मी घर में ट्यूशन पढ़ाती है। परिवार के अन्य सदस्य धान की खेती करते हैं। शिक्षक बनना चाहती हूं, सरकार करे सहयोग ¨हदी विषय में स्नातक करने वाली लक्ष्मी ने बताया कि वह शिक्षक बनना चाहती है। बीएड भी करना चाहती है। सरकार इस कार्य में सहयोग करे। कहा, सरकार बड़े-बड़े वादे करती है, शिक्षित सबरों को सीधे नौकरी प्रदान की जाएगी। जबकि हकीकत यह है कि अनुबंध आधारित नौकरी भी नहीं मिली।

इस सबर परिवार को पीएम आवास की स्वीकृति मिल चुकी है। आवंटन आने पर कार्य प्रारंभ होगा। परिवार पूरी तरह शिक्षित है। पंचायत के लिए यह गौरव की बात है। आदिम जनजाति का पूरा परिवार शिक्षित है। अफसोस है कि उन्हें सरकारी मदद नहीं मिल रही है। - कुनू राम मांझी, मुखिया, भालकी पंचायत।

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