यहां इंसान व जंगली हाथी रहते हैं साथ-साथ, हाथियों का बसेरा होने के कारण गांव का नाम ही पड़ गया हाथीबारी

Village of Elephant सबसे आश्चर्य की बात यह है कि साथ- साथ रहने के बावजूद आज तक इस गांव के किसी भी व्यक्ति को जंगली हाथियों ने कभी नुकसान नहीं पहुंचाया है। गांव से सटे जंगल में सालों भर हाथी रहते हैं पर कभी लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाते।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 05:15 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 07:49 AM (IST)
यहां इंसान व जंगली हाथी रहते हैं साथ-साथ, हाथियों का बसेरा होने के कारण गांव का नाम ही पड़ गया हाथीबारी
हाथी बारी के समीप जंगल में डटे हाथियों की फाइल फोटो

पंकज मिश्रा, चाकुलिया। मानव एवं जंगली पशुओं के बीच द्वंद की बात अक्सर सामने आती रहती है। हाल के दिनों में क्षेत्र में जंगली हाथियों द्वारा इंसानों को मारने की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया प्रखंड में एक ऐसा भी गांव है जहां दशकों से इंसान व जंगली हाथी लगभग साथ- साथ रहते आ रहे हैं। इस गांव का नाम ही पड़ गया है हाथीबारी यानी हाथियों का घर।

प्रखंड के कालियाम पंचायत का यह छोटा सा गांव मानव पशु का अस्तित्व का उदाहरण बन गया है। गांव के इर्द-गिर्द लगभग सालों भर जंगली हाथियों का समूह डटा रहता है। यह गांव चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है। हाथीबारी एवं राजाबासा गांव के बीच स्थित जंगल को हाथियों ने एक तरह से अपना आशियाना बना लिया है। कई बार यहां मादा हाथियों का प्रसव भी हो चुका है। दरअसल हाथीबारी के आसपास हाथियों के ठहरने की वजह भी है। एक तो चारों तरफ घना जंगल है। दूसरा, पानी का पर्याप्त स्रोत मौजूद है। गांव के तीन तरफ तीन बड़े तालाब है- चारूबांध तालाब, तालबांध तालाब तथा माड़ीबांध तालाब। इनमें लगभग सालों भर पानी रहता है। ग्राम प्रधान बलाई हेंब्रम ने बताया कि दशकों पूर्व से ही इस इलाके में हाथियों का आना-जाना रहा है। हमारे बुजुर्ग बताते थे कि गांव के जाहेर थान में अक्सर हाथियों का जमावड़ा लगता था। बड़ी संख्या में यहां जंगली हाथी आते एवं ठहरते थे। आगे चलकर इसीलिए इस गांव का नाम ही हाथीबाड़ी पड़ गया। ग्राम प्रधान वन विभाग के गांव के प्रवेश द्वार पर एक विशाल हाथी बनाने की मांग भी कर रहे हैं।

ग्रामीणों को हाथी नहीं पहुंचाते कभी नुकसान 

सबसे आश्चर्य की बात यह है कि साथ साथ रहने के बावजूद आज तक इस गांव के किसी भी व्यक्ति को जंगली हाथियों ने कभी नुकसान नहीं पहुंचाया है। गांव के फागु मुर्मू, सुकांत हेंब्रम, फागुनाथ मुर्मू आदि ने बताया कि गांव से सटे जंगल में सालों भर हाथी रहते हैं पर कभी हमें नुकसान नहीं पहुंचाते। हालांकि कई बार आते जाते हाथियों से ग्रामीणों की मुलाकात हो जाती है फिर भी वे क्षति नहीं पहुंचाते। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के अनिल सोरेन, भागान किस्कू, रंजीत किस्कू समेत कई ऐसे लोग हैं जिनका सामना हाथियों से हो चुका है, पर उन्होंने उन्हें कोई क्षति नहीं पहुंचाई। ग्रामीणों का मानना है कि हाथियों को छेड़ने पर ही वे हमला करते हैं।

हाथीबारी से नहीं आया मुआवजा का आवेदन

स्थानीय वन क्षेत्र कार्यालय से संपर्क करने पर ग्रामीणों की बात सत्य प्रतीत होती है। कार्यालय के प्रधान लिपिक तापस राय ने बताया कि विगत कुछ वर्षों के दौरान हाथियों द्वारा सिर्फ आंशिक रूप से घर क्षतिग्रस्त किए जाने का एक आवेदन हाथीबारी गांव से आया है। जानमाल के किसी नुकसान की कोई सूचना विभाग के पास नहीं है।

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