ड्रेस कोड पर विरोध के स्वर हुए मुखर

झारखंड में सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालय के शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू होने जा रहा है। शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 11:33 AM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 11:33 AM (IST)
ड्रेस कोड पर विरोध के स्वर हुए मुखर
ड्रेस कोड पर विरोध के स्वर हुए मुखर

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : झारखंड में सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालय के शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड 15 नवंबर से अनिवार्य करने जा रही है। लेकिन यह सफल हो पायेगा या नहीं यह 15 नवंबर के बाद ही पता चलेगा। उन्हें बैज भी लगाना पड़ेगा। ग्रेनाइट कलर के बैज में शिक्षक का नाम, स्कूल का नाम व जिला का उल्लेख होगा। अभी तक इस संबंध में कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है। पहली बार इसे अनिवार्य किए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा की गई है। हालांकि इसकी लिखित अधिूसचना अब तक जारी नहीं की गई है। इधर ड्रेस कोड लागू किए जाने को लेकर शिक्षकों में विरोध है। शिक्षकों का कहना है कि जब उन्हें ड्रेस भत्ता नहीं दिया जाता तो इसे सरकार अनिवार्य कैसे कर सकती है। विभाग ने पुरुष शिक्षकों के ड्रेस कोड में क्रीम रंग की शर्ट, काली पैंट, मैरून टाई और काला जूता शामिल किया है। वहीं महिला शिक्षकों के लिए क्रीम रंग का सूट तथा मैरून रंग की सलवार या क्रीम रंग की साड़ी ओर मैरून ब्लाउज लागू किया गया है। शिक्षक संघ के सदस्यों कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक व नक्सल प्रभावित क्षेत्र के शिक्षकों को इससे नुकसान होने का अनुमान है। अगर लागू करना है तो सभी सरकारी सेवकों ने लिए ड्रेस कोड़ निर्धारित किया जाये। यह ड्रेस कोड तभी सार्थक हो पायेगा जब इसके लिए अलग से पोशाक भत्ता मिलेगा। हालांकि

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-ड्रेस कोड लागू किए जाने पर हमारा कोई विरोध नहीं है। सरकार चाहती है तो ऐसा ही होगा। लेकिन इसके लिए सरकार को पोशाक भत्ता देना होगा। बिना पोशाक भत्ता के ड्रेस कोड अनिवार्य किया जाना गलत है। - अरुण कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष, झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ।

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-नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम करने वाले शिक्षकों को इससे नुकसान का अनुमान है। पोशाक भत्ता को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जायेगा। ड्रेस कोड थोपा जायेगा तो आंदोलन होगा। -

सुनील कुमार, सलाहकार, अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ।

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